साम्राज्यवाद का अर्थ और परिभाषा
'साम्राज्यवाद' शब्द अंग्रेजी भाषा के 'इम्पीरियलिज्म' (Imperialism) का हिन्दी अनुवाद है। 'इम्पीरियलिज्म' शब्द लैटिन भाषा के 'इम्पेरियम' शब्द से बना है। इस शब्द का अर्थ होता है ' दूसरे देश के भू- क्षेत्र को उपनिवेश बनाना ' । सुप्रसिद्ध विद्वान हेज के अनुसार, "शक्तिशाली देशों द्वारा कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर प्रभुत्व स्थापित करने की प्रक्रिया एवं नीति को साम्राज्यवाद ( Imperialism )कहते हैं । सामान्य शब्दों में साम्राज्यवाद का अर्थ राज्य के भूमिगत विस्तार से है ।
इस प्रकार साम्राज्यवाद एक 'विस्तारवादी नीति' है । ” राजनीतिक शब्दावली में ' साम्राज्यवादी देश ' अपने को ' मेट्रोपोलिस ' कहते हैं । 'मेट्रो' का अर्थ 'मातृ' और 'पोलिस' का अर्थ देश है अर्थात् ' मातृदेश ' । साम्राज्यवाद को पूँजीवादी एकाधिकार की अन्तिम अवस्था माना गया है । यह पूँजीवाद के विकास का एक महत्त्वपूर्ण सोपान है ।
डॉ ० सम्पूर्णानन्द के अनुसार, "साम्राज्यवाद वह अवस्था है , जिसमें पूँजीवादी राज्य , शक्ति के बल पर दूसरे देशों के आर्थिक जीवन पर नियन्त्रण स्थापित करते हैं । " इस नियन्त्रण के अनेक रूप हैं , जैसे — उस देश के कच्चे माल को सस्ते मूल्यों पर लेना , उस देश में अपने देश के बने हुए माल को बेचना , अपने देश की जनसंख्या को उस देश में बसा देना आदि । इस प्रकार साम्राज्यवाद एक विस्तारवादी नीति है और इसके मूल में आर्थिक कारण निहित हैं । साम्राज्यवाद की एक सटीक परिभाषा देना कठिन कार्य है ।
पॉमर व परकिन्स ( Palmer and Perkins ) का कहना है, " साम्राज्यवाद की विवेचना, निन्दा और रक्षा की जा सकती है और इसके लिए प्राणों का बलिदान किया जा सकता है, लेकिन इसकी ऐसी परिभाषा नहीं दी जा सकती , जो सबको मान्य हो । " फिर भी कुछ विद्वानों ने साम्राज्यवाद को परिभाषित करने का प्रयास किया है ।
मॉर्गेन्थो ( Morgenthau ) के अनुसार, " एक देश द्वारा अपने राज्य की सीमाओं के बाहर शक्ति का विस्तार करना ही साम्राज्यवाद है । "
शूमाँ ( Schuman ) के मतानुसार- " साम्राज्यवाद शक्ति और हिंसा द्वारा किसी राष्ट्र के नागरिकों पर विदेशी शासन थोपना है। "
लेनिन के शब्दों में— " साम्राज्यवाद पूँजीवाद की सर्वोच्च अवस्था है। "
उपयुक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि साम्राज्यवाद का जन्म अनेक राज्यों, प्रदेशो और क्षेत्रों से मिलकर होता है । साम्राज्यवाद में अनेक राज्य और राष्ट्रीयताओं के लोग निवास करते हैं। साम्राज्यवाद में सम्पूर्ण प्रदेशों की जनता पर एक केन्द्रीकृत सत्ता का शासन या प्रभुत्व होता है।
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