अच्छी पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ [ Characteristics of a Good Text Book ]
पाठ्यपुस्तकों से तात्पर्य ( Meaning of Text Books ) :
वर्तमान में शिक्षा के सभी स्तरों की पाठ्यचर्या निश्चित होती है। किसी भी स्तर की किस कक्षा में ज्ञान-कौन से विषय पढ़ाने हैं और इन विषयों के अन्तर्गत क्या-क्या पढ़ना-पढ़ाना है, यह निश्चित होता है। जो पुस्तकें विभिन्न विषयों के निश्चित पाठ्यक्रमानुसार तैयार की जाती हैं, उन्हें पाठ्यपुस्तकें कहते हैं।
पाठ्यपुस्तकों का महत्त्व ( Importance of Text Books )
वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यपुस्तकों की बड़ी उपयोगिता है , उनका बड़ा महत्त्व है, विशेषकर कूली शिक्षा में पाठ्यपुस्तकों की उपयोगिता को हम निम्नलिखित रूप में देख - समझ सकते हैं-
1. पाठ्यक्रम की सीमा समझने में सहायक -
किसी भी स्तर के किसी भी विषय की पाठ्यपुस्तक पाठ्यक्रम में निहित पाठ्यसामग्री , विद्यार्थियों के मनोविज्ञान और समय की उपलब्धता को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है , इसलिए उससे पाठ्यक्रम की सीमा स्पष्ट होती है और उस स्थिति में शिक्षकों को यह ता रहता है कि उन्हें क्या पढ़ाना है और विद्यार्थियों को यह पता रहता है कि उन्हें क्या पढ़ना है ।
2. पाठ्य सामग्री के प्रकरणों की सीमा समझने में सहायक –
पाठ्यपुस्तकों में विषय विशेष की सीमा के साथ उसमें निहित प्रकरणों की सीमा भी निश्चित होती है । इनसे शिक्षकों को क्या पढ़ाने के साथ कितना पढ़ाना पढ़ाना है , यह स्पष्ट होता है और शिक्षार्थियों को क्या पढ़ने के साथ कितना पढ़ना है , यह स्पष्ट होता है ।
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3. शिक्षण अधिगम में सहायक
पाठ्यपुस्तकों की राहायता से शिक्षक यथा क्रम में शिक्षण नियोजित करत हैं , शिक्षण अधिगम में एक क्रम बना रहता है ।
4. समय और शक्ति की बचत -
पाठ्यपुस्तकों से शिक्षकों को यह पता चलता है कि उन्हें किस प्रकरण को कितना विस्तार देना है , उन्हें भटने की गुंजाइश नहीं रहती , शिक्षण - अधिगम तद्नुकूल चलता है , समय और शक्ति का अपव्यय नहीं होता । दूसरे शब्दों में समय और शक्ति की बचत होती है ।
5. समूह शिक्षण में सहायक -
पाठ्यपुस्तकें समूह ( कक्षा ) शिक्षण में बहुत सहायक होती है । इनकी सहायता से शिक्षक समूह ( कक्षा ) के सभी विद्यार्थियों को एक-साथ पढ़ा सकता है । और सबसे बड़ी बात यह है कि कक्षा कार्य शुरू होने से पहले ही विद्यार्थियों को यह पता रहता है कि आज उन्हें क्या पढ़ना है , वे उसे पढ़ने के लिए तैयार रहते हैं ।
6. वैयक्ति शिक्षण में सहायक
वैयक्तिक शिक्षण ( डाल्टन प्रणाली , अभिक्रमित अध्ययन आदि ) में तो पाठ्यपुस्तकों की और भी अधिक आवश्यकता होती है , बच्चे इनकी सहायता से स्वयं पाठ्यसामग्री की खोज करते हैं ।
7. कक्षा शिक्षण की कमी की पूर्ति में सहायक
पाठ्यपुस्तकें कक्षा शिक्षण की पूरक होती हैं । कक्षा में जो कुछ पढ़ाया - सिखाया जाता है , यह आवश्यक नहीं कि सभी बच्चे उसे पूर्ण रूप में समझ लें । उस स्थिति में बच्चे घर पर इन पाठ्यपुस्तकों का सहारा लेते हैं और जो कुछ वे कक्षा में नहीं सीख पाते हैं , उसे घर पर इन पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से सीखते है । इतना ही नहीं अपितु वे इन पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से सीखे हुए ज्ञान की आवृत्ति करते हैं और इस प्रकार उनका ज्ञान दृढ होता है ।
अच्छी पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ ( Characteristics of a Good Text Book )
वर्तमान में किसी भी देश में शिक्षा के सभी स्तरों के लिए पाठ्यचर्या निश्चित होती है , पाठ्यचर्या में पढ़ाए जाने वाले विषय निश्चित होते हैं और विषयों के अन्तर्गत पढ़ाए जाने वाली विषय सामग्री निश्चित होती है । शिक्षा के किसी स्तर पर पढ़ाए जाने वाले विषय विशेष की निश्चित सामग्री को समाहित करते हुए जो पुस्तकें तैयार की जाती हैं , उन्हें पाठ्यपुस्तक कहते हैं । शिक्षा के क्षेत्र में इन पुस्तकों की बड़ी उपयोगिता है, उनका अपना महत्व है । परन्तु तभी जब इनमें निम्नलिखित विशेषताएँ हो ।
1. सम्पूर्ण सामग्री की प्रस्तुति -
एक अच्छी पाठ्यपुसतक में पाठ्यचर्या में निहित विषय विशेष की सम्पूर्ण सामग्री निहित होती है और इस सामग्री का विस्तार कक्षा विशेष के बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास और समय की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है ।
2. पाठ्यसामग्री का अध्यायों में विभाजन
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में पढ़ाए जाने वाली सम्पूर्ण विषय सामग्री को अध्यायों में विभाजित करके प्रस्तुत किया जाता है और किसी भी अध्याय की विषया सामग्री अपने में पूर्ण इकाई होती है , और उसका पूर्व एवं अग्र अध्याय की सामग्री से तार्किक तालमेल होता है , सुसम्बधता होती है ।
3. प्रत्येक प्रकरण की तार्किक प्रस्तुति
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में अध्याय विशेष को उपयुक्त प्रकरण का नाम दिया जाता है । इसमें अध्याय ( प्रकरण विशेष ) की सामग्री को तार्किक क्रम में प्रस्तुत किया जाता है ।
4. किसी भी प्रकरण की शीर्षक -
उपशीर्षक में प्रस्तुति एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में किसी भी अध्याय ( प्रकण ) की विषय सामग्री को उचित शीर्षक एवं उपशीर्षकों में विभाजित करके प्रस्तुत किया जाता है । इससे पाठकों को विषय सामग्री का स्पष्ट ज्ञान होता है ।
5. सरल एवं बोधगम्य भाषा
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक की भाषा सरल एवं बोधगम्य होती है । हमारे देश में पाठ्यपुस्तकें क्षेत्रीय भाषओं और साथ ही अंग्रेजी भाषा में तैयार की जाती हैं । एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में इन भाषाओं के शुद्ध रूप का प्रयोग किया जाता है परन्तु साथ ही ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो शब्द प्रचलन में होते हैं और छात्र उनसे परिचित होते हैं । ऐसी ही भाषा को सरल एवं बोधगम्य भाषा कहते हैं ।
6. प्रवाहपूर्ण शैली -
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में किसी भी अध्याय ( प्रकरण ) की विषय सामग्री को तार्किक क्रम में प्रस्तुत किया जाता है , शीर्षक और उपशीर्षकों में प्रस्तुत किया जाता है और सरल एवं बोधगम्य भाषा में प्रस्तुत किया जाता है , इससे उसमें प्रवाह तो स्वाभविक रूप से होता है , परन्तु यदि इसे इस रूप में प्रस्तुत किया जाए कि लेखक और पाठक के बीच अन्तःक्रिया हो और पाठक छात्रों को ऐसा अच्छी पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ लगे कि लेखक उनके सामने उपस्थिति है तो इसे प्रवाहपूर्ण शैली कहते हैं । इससे छात्रों को पाठ्यसामग्री का स्पष्ट ज्ञान होता है ।
7. चित्र , रेखाचित्र और चाटों का उपयुक्त प्रयोग
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में विषयसामग्री को स्पष्ट करने के लिए आवश्यक चित्रों , रेखाचित्रों और चाटों का प्रयोग किया जाता है , परन्तु उन्हीं का जिनकी स्पष्ट तस्वीर बच्चों के मन मस्तिष्क में नहीं होती । छोटी कक्षाओं में इनकी विशेष उपयोगिता होती है ।
8. उत्तम क्वालिटी के काग़ज का प्रयोग-
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में उत्तम प्रकार के कागज का प्रयोग होता है , उसका कागज सफ़ेद व उपयुक्त मोटाई का होता है । यह कागज़ ऐसा होता है कि उसमें एक तरफ की छपाई दूसरी तरफ न समझे ।
9. उत्तम छपाई -
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में यह भी विशेषता होती है कि उसकी छपाई साफ , सुन्दर व स्पष्ट होती हैं , सफेद कागज पर काली स्याही का प्रयोग होता है , अक्षरों का आकार बच्चों की आयु के अनुसार होता है , पूर्व प्राथमिक कक्षाओं को पाठ्यपुस्तकों में अपेक्षाकृत बड़ा , प्राथमिक कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में उससे कुछ छोटा और माध्यमिक कक्षाओं और उससे आगे की कक्षाओं पाठ्यपुस्तको में उससे भी छोटा , ऐसा जिसमें यह पुस्तक छपी है ।
पुस्तक के किसी भी पृष्ठ पर पृष्ठ के दूसरी तरफ की छपाई नहीं झलकती है । साथ ही किसी भी पृष्ठ की स्याही गहरी और किसी की न दिखाई देनी वाली नहीं होती , सभी पृष्ठों की स्याही चमक समान होती है । पुस्तक के किसी भी पृष्ठ पर स्याही के धाग - धब्बे भी नहीं होते ।
10. सुन्दर एवं आकर्षक मुखपृष्ठ -
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक का मुखपृष्ठ सुन्दर एवं आकर्षक होता है , इतना सुन्दर और आकर्षक कि बच्चे उसे हाथ में लेते ही उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और उसके पृष्ठों को उलटने - पलटने लगते हैं । प्राथमिक कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों के मुखपृष्ठ गहरे रंग के और चित्रयुक्त होते हैं और माध्यमिक स्तर की पाठ्यपुस्तकों के हल्के रंग के और शैक्षिक महत्त्व को दर्शाने वाले होते हैं । वर्तमान में मुखपृष्ठों पर जो लड़कियों के चित्र अंकित करने का प्रचलन चला है , यह उपयुक्त नहीं है ।
अब तो कम्प्यूटर का युग हैं , कम्प्यूटर द्वारा सीखते हुए लड़के - लड़कियों के चित्रों का प्रयोग होना चाहिए , विज्ञान की पुस्तकों के मुखपृष्ठ पर प्रयोगशालाओं में प्रयोग करते हुए लड़के - लड़कियों का चित्रों का प्रयोग होना चाहिए और पुस्तकालयों एवं वाचनालयों में शान्त रूप में पठन करते हुए लड़के - लड़कियों के चित्रों का प्रयोग होना चाहिए । सुन्दर और आकर्षक के साथ - साथ उनका शैक्षिक मूल्य अच्छी पुस्तकों के मुखपृष्ठ कुछ ऐसे ही सुन्दर , आकर्षक और शैक्षिक मूल्य प्रधान होते हैं । भी होना चाहिए ।
11. उचित मूल्य और उपलब्धता-
एक अच्छी पाठ्यपुस्तक में सब कुछ अच्छाइयाँ होने के बाद भी उसका मूल्य युक्ति संगत होता है। तारीफ तो किसी पाठ्यपुस्तक की तब है जब वह अच्छे कागज पर छपने और अच्छा मुखपृष्ठ लगने के बाद भी अधिक मूल्य की न हो , उसके मूल्य निर्धारण में प्रकाशक , लेखक और पुस्तक विक्रेता के लाभ के साथ अभिभावकों की जेब का भी ख्याल रखा गया हो । इन छात्रों के सब अच्छाइयों के साथ-साथ वह छात्रों को हर स्थान पर उपलब्ध भी हो ।
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