लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति - Lord Curzon's Education Policy

माध्यमिक शिक्षा के बारे में लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति | Lord Curzon's Education Policy

सरकार द्वारा गठित भारतीय शिक्षा आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन से माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में द्रुतगति से प्रगति हुई । लार्ड कर्जन के भारत आने पर उसने माध्यमिक विद्यालयों की संरचनात्मक वृद्धि की अपेक्षा उनके गुणात्मक वृद्धि पर अधिक बल दिया ।


इसके परिणामस्वरूप माध्यमिक विद्यालयों की संख्या गिरने लगी किन्तु विद्यार्थियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होने के कारण सन् 1913 के सरकारी प्रस्ताव के तहत माध्यमिक शिक्षा के विस्तार को प्रोत्साहन प्रदान किया गया ।


लार्ड कर्जन के उच्च शिक्षा सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए


लार्ड कर्जन के शिक्षा सम्बन्धी सुधार

कमीशन ने केवल उच्च शिक्षा अर्थात् विश्वविद्यालय तथा उससे सम्बन्धित कॉलेजों की शिक्षा के सम्बन्ध में ही अपने विचार प्रकट किये हैं ।


1. सीनेट व सिण्डीकेट का पुनर्गठन कमीशन ने यह सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों के पुनर्गठन की आवश्यकता नहीं है बल्कि सीनेट और सिण्डीकेट का पुनर्गठन आवश्यक है । सीनेट की सदस्य संख्या कम करके अवधि 5 वर्ष कर दी गयी तथा सिण्डीकेट की सदस्य संख्या 9 से 15 करने की सिफारिश की गयी । 


2. विधान परिवर्तन कमीशन ने विश्वविद्यालयों के विधानों में परिवर्तन की सलाह दी और शिक्षण के सम्बन्ध में अधिक सुविधा दिये जाने का प्रस्ताव किया । 


3. अध्यापकों एवं विद्वानों को प्रतिनिधित्व कमीशन से यह भी सिफारिश की कि विश्वविद्यालयों एवं सम्बन्धित कॉलेजों के अध्यापकों तथा विद्वानों को सीनेटों में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाय तभी उपयुक्त शिक्षा सम्भव होगी । 


4. सम्बन्धित कॉलेजों का ध्यान कमीशन ने यह सुझाव दिया कि सम्बन्धित कॉलेजों की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाय , साथ ही उनको मान्यता देने के नियम कड़े किये जायें जिससे शिक्षा का स्तर नीचे न होने पाये । 


5. निरीक्षण विश्वविद्यालय की शिक्षा का सतर्कता से अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाय तथा विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्ध कॉलेजों का निरीक्षण किया जाय । 


6. योग्य अध्यापकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय की उच्च शिक्षा को उच्च स्तर तक बढ़ाने और उसकी मान्यता स्थिर रहने के लिए योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की जाय । 


7. पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली – कमीशन ने इस बात की आवश्यकता महसूस की कि इन विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के साथ छात्रावासों की व्यवस्था आवश्यक है ।


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