सांस्कृतिक तत्व क्या है? सांस्कृतिक तत्व की प्रमुख विशेषताएँ - Cultural Element.

सांस्कृतिक तत्व क्या है? सांस्कृतिक तत्व की प्रमुख विशेषताएँ - Cultural Element.

संस्कृति के अन्तर्गत सम्पूर्ण जीवन - विधियों का समावेश होता है ।अतः स्पष्ट है कि संस्कृति में अनेक विधियों या तरीकों का एक सन्तुलित संगठन होता है । एक - एक विधि संस्कृति की एक-एक इकाई या तत्व है ।संस्कृति की इन इकाइयों या तत्वों को सांस्कृतिक तत्व कहते हैं ।


ये सांस्कृतिक तत्व भौतिक और अभौतिक दोनों प्रकार के ही हो सकते हैं , जैसे- -एक बर्तन या एक मेज या एक कहावत या एक जनरीति ।इस प्रकार के असंख्य सांस्कृतिक तत्वों को मिलाकर सम्पूर्ण सांस्कृतिक ढाँचे का निर्माण होता है ।अतः हम कह सकते हैं कि सम्पूर्ण सांस्कृतिक ढाँचे की सबसे छोटी इकाई को सांस्कृतिक तत्व कहते हैं ।"


सांस्कृतिक तत्व सम्पूर्ण सांस्कृतिक व्यवस्था की सबसे छोटी वह इकाई है जिसका कि मानव जीवन में काम आने की दृष्टि से विभाजन नहीं हो सकता । ”


श्री हॉबेल के अनुसार , “ एक सांस्कृतिक तत्व व्यवहार का एक प्रकार या इस प्रकार के व्यवहार से उत्पन्न एक भौतिकवस्तु है जिसे कि सांस्कृतिक व्यवस्था की सबसे छोटी इकाई माना जा सकता है । "


श्री हर्षकोविट्स ने सांस्कृतिक तत्व को एक संस्कृति विशेष से सबसे छोटी पहचानी जा सकने वाली इकाई कहा है और श्री क्रोबर ने इसे “ संस्कृति का न्यूनतम परिभाष्य तत्व " के रूप मेंस्वीकार किया है । अतः संक्षेप में किसी काम में आ सके , इस प्रकार की एक संस्कृति की सबसे छोटी इकाई को सांस्कृतिक तत्व कहते हैं । 


सांस्कृतिक तत्व की तीन प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख


( 1 ) प्रत्येक सांस्कृतिक तत्व का उसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक इतिहासहोता है , चाहे वह इतिहास छोटा हो या बड़ा । उदाहरणार्थ , सर्वप्रथम घड़ी का आविष्कार किसने किया और कब किया , पहले की सूर्य घड़ी से आधुनिक स्वयं - क्रियाशील या आप से आप चलने वाली घड़ी का क्रम विकास कैसे हुआ , इत्यादि के सम्बन्ध में एकइतिहास है । उसी प्रकार एक विशेष प्रकार के विश्वास का या किसी पशु या पौधे को टोटम के रूप में स्वीकार करने का इतिहास ढूंढ़ा जा सकता


( 2 ) सांस्कृतिक तत्व , संस्कृति की भाँति स्थिर नहीं होता , गतिशीलता उसको एक उल्लेखनीय विशेषता है । सांस्कृतिक तत्व से सम्बन्धित व्यक्ति ; जैसे - एक स्थान से दूसरे स्थान को फैलते हैं या दूसरे लोगों के सम्पर्क में आते हैं , वैसे - वैसे सांस्कृतिक तत्व भी फैलते रहते हैं । एक संस्कृति समूह दूसरे संस्कृति समूह से • मिलता है तो सांस्कृतिक तत्वों का आदान - प्रदान होता है । आधुनिक युग में यातायात तथा संचार के साधनों में उत्तरोत्तर उन्नति होने के फलस्वरूप सांस्कृतिक तत्वों की गतिशीलता और भी बढ़ गई है । 


( 3 ) सांस्कृतिक तत्वों में पृथक् - पृथक् या छिटके हुए रहने की प्रवृत्ति नहीं होती है । वे फूलों के गुलदस्ते की तरह एक साथ घुल - मिलकर रहते हैं , क्योंकि कोई भी तत्व अकेला स्थायी नहीं रह सकता । उदाहरणार्थ घड़ी एक सांस्कृतिक तत्व है , परन्तु समस्त मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति केवल घड़ी से ही नहीं हो सकती , इसके लिए अन्य अनेक सांस्कृतिक तत्वों की आवश्यकता होगी ।


इस कारण ये सभी सांस्कृतिक तत्व एक साथ मिलकर संस्कृति की एक या विविध आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं । यदि केवल घड़ी को ही लिया जाये तो भी हम यही पायेंगे कि घड़ी के विभिन्न पुर्जों या इकाइयों में एक शृंखला या संगठन है , सभी पुर्जों को एक क्रम से लगाया जाना चाहिए , नहीं तो घड़ी नहीं चलेगी , कोई भी पुर्जा इधर - उधर हो जाने से घड़ी बेकार हो जायेगी, इस अर्थ में भी सांस्कृतिक तत्वों में छिटके हुए रहने की प्रवृत्ति नहीं होती है ।


सांस्कृतिक तत्वों का सर्वप्रथम महत्व यह है कि इन तत्वों को समझे बिना किसी भी संस्कृति को पूर्णतया समझना सम्भव नहीं है कि किसी भी संस्कृति के अध्ययन , विश्लेषण तथा निरूपण में ये सांस्कृतिक तत्व के प्राथमिक चरण या आधार हैं जिस पर सम्पूर्ण सांस्कृतिक ढाँचा निर्भर रहता है । सर्वश्री गिफोर्ड तथा क्रोबर ने संस्कृति का अध्ययन सांस्कृतिक तत्व सम्बन्धी प्रश्नावली की सहायता से किया था । उसी प्रकार सर्वश्री रे , फिलमेक आदि ने भी सांस्कृतिक तत्वों के अध्ययन पर अधिक बल दिया है।


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