सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन | Formal Means of Social Control in Hindi
जटिल समाजों में व्यवस्था बनाये रखने हेतु औपचारिक नियन्त्रण का सहारा लिया जाता है। ऐसे समाज में औपचारिक नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित साधनों का प्रमुखतः प्रयोग किया जाता है-
( 1 ) कानून
विभिन्न औपचारिक संगठनों के द्वारा समय - समय पर अनेक कानून बनाये जाते हैं ताकि सदस्यों के व्यवहारों पर नियन्त्रण किया जा सके । इन कानूनों की सहायता से व्यक्ति के अधिकारों एवं कर्तव्यों को भी निश्चित किया जाता है।
( 2 ) राज्य
राज्य या सरकार की अपनी प्रभुसत्ता एवं शासन-व्यवस्था होती हैं। राज्य नौकरशाही व्यवस्था के माध्यम से लोगों से कानूनों का पालन कराता है और इनका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करता है । दण्ड के भय से व्यक्ति कानून को तोड़ने का सामान्यतः साहस नहीं करता।
( 3 ) पुलिस व अदालत
पुलिस भी औपचारिक नियन्त्रम का प्रमुख साधन है। पुलिस जिन लोगों को कानून - विरुद्ध कार्य करने पर पकड़ती है, उन पर अदालत में मुकदमा चलता है और दोषी पाये जाने पर उन्हें दण्डित किया जाता है । यह दण्ड जुर्माना, कैद और मृत्युदण्ड तक के रूप में हो सकता है। दण्ड के भय से भी व्यक्ति कानूनों को तोड़ने से घबराता है और इस प्रकार इसके व्यवहार पर नियन्त्रण रखता
( 4 ) जेल या बन्दीगृह
अदालत द्वारा सुनाये गये दण्ड को व्यक्ति को जेल या बन्दीगृह में रहकर काटना पड़ता है । जेल में व्यक्ति को अपने परिवार जनों , रिश्तेदारों, मित्रों, पड़ौसियों, आदि के साथ रहने का अवसर नहीं मिलता। उसे इन सबसे अलग कर दिया जाता है। यह पृथक्करण व्यक्ति के लिए काफी कष्टदायक होता है । यहाँ उसे शारीरिक और मानसिक कष्ट तक झेलने पड़ते हैं । जेल के भय से व्यक्ति कानूनों के विरुद्ध आचरण करने से घबराता है ।
( 5 ) स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालय
ये सब औपचारिक नियन्त्रण के साधन हैं । शिक्षण संस्था से सम्बन्धित कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना विद्यार्थियों के लिए आवश्यक होता है। इनके विरुद्ध आचरण करने पर उन्हें शिक्षण संस्था के प्रधान द्वारा दण्डित किया जाता है । एक ओर वह दण्ड के भय से नियमों के विरुद्ध कार्य नहीं करता है और दूसरी ओर शिक्षण संस्था उसे कर्त्तव्यों एवं अधिकारों का बोध कराती है , अनुशासन में रहने के लिए प्रोत्साहित और आवश्यकतानुसार बाध्य भी करती है।
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