साम्राज्यवाद के विकास की सहायक दशाएँ ( कारक ) | Conditions conducive to the development of Imperialism

साम्राज्यवाद के विकास की सहायक दशाएँ ( कारक ) | Conditions conducive to the development of Imperialism

आधुनिक साम्राज्यवाद का उदय उन्नीसवीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के उपरान्त हुआ और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसका पतन हो गया। साम्राज्यवाद के विकास में सहायक दशाएँ निम्नलिखित थीं- 


1. औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप यूरोप के देशों को अपने औद्योगिक विकास के लिए कच्चे माल को आवश्यकता थी । इसकी प्राप्ति के लिए उन्होंने अफ्रीका , एशियायी एवं अमेरिकी महाद्वीपों के क्षेत्रों को उपयुक्त

2. औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप अपने तैयार माल को बेचने के लिए यूरोपीय देशों को बाजार की आवश्यकता थी । 

3. औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप यूरोपीय देशों ने व्यापारिक फसलों के उत्पादन पर ही अधिक ध्यान दिया था; अतः वहाँ खाद्य उत्पादों की कमी होने के कारण इनका आयात करना आवश्यक हो गया था । 

4. आयात - निर्यात तथा उद्योग - धन्धों के विस्तार के लिए यातायात एवं संचार के साधनों का विकास करने की आवश्यकता थी । इससे भी साम्राज्यवाद को बल मिला। 

Development of Imperialism

5. शक्तिशाली देशों द्वारा अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए उपनिवेशों में रोजगार की सम्भावनाएँ बढ़ाने के उद्देश्य से भी साम्राज्यवाद का प्रसार किया गया। 

6. पूंजीवाद के विकास के कारण यूरोपीय देशों के पूँजीपतियों को विदेशों में पूँजी निवेश करना लाभप्रद हा और पूँजी की सुरक्षा के लिए वे सम्बन्धित विदेशी क्षेत्रों पर राजनीतिक नियन्त्रण स्थापित करना आवश्यक समझने लगे ।

7. यूरोप के देश उग्र राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होकर राष्ट्र के गौरव में वृद्धि, राष्ट्र सुरक्षा एवं उपनिवेशों पर नियन्त्रण रखने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सैनिक अड्डे स्थापित करना चाहते थे। इससे भी साम्राज्यवाद को प्रोत्साहन मिला। 

8. यूरोपीय देशों की अपने धर्म, सभ्यता एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार की भावना भी साम्राज्यवाद के उदय का प्रमुख कारण बनी । 

9. भौगोलिक खोजो तथा वैज्ञानिक आविष्कारों से भी साम्राज्यवाद के विकास को प्रोत्साहन मिला । 

10. ईसाई पादरियों के धर्म प्रचार तथा ईसाई धर्म की प्रभुसत्ता की भावना भी साम्राज्यवाद के विकास में सहायक सिद्ध हुई। 


इस प्रकार औद्योगिक क्रान्ति, पूँजीवाद का विकास, उग्र राष्ट्रवाद की भावना, भौगोलिक खोजें, ईसाई धर्म प्रचारकों का प्रभाव, परिवहन व संचार के साधनों का विकास आदि कारकों ने साम्राज्यवाद के उदय और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।


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