राधाकृष्णन आयोग के सुझाव - Suggestions of Radhakrishnan Commission

उच्च शिक्षा में दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली की समस्या को दूर करने के लिए राधाकृष्णन कमीशन ने क्या सुझाव दिये ? 

1. शिक्षा मन्त्रालय को मूल्यांकन की वैज्ञानिक विधियों का कार्य आरम्भ करना चाहिए । 

2. अन्तिम परीक्षा में छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन करते समय उनके द्वारा किये जाने वाले कक्षा कार्य पर ध्यान दिया जाना चाहिये । 

3. प्रत्येक विषय के लिए निर्धारित सम्पूर्ण अंकों में से एक तिहाई अंक कक्षा कार्य के लिए होने चाहिए । 

4. स्नातक-पूर्ण स्तर पर छात्रों की परीक्षा प्रत्येक वर्ष के अन्त में स्वतः पूर्ण इकाइयों के रूप में ली जानी चाहियें।

5. विश्वविद्यालय शिक्षा को ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करना चाहिए, जो राजनीति , प्रशासन व्यवसाय, उद्योग और वाणिज्य आदि क्षेत्र में नेतृत्व कर सकें । 

6. इस शिक्षा द्वारा छात्रों में ऐसे गुणों का विकास किया जाना चाहिये , जिससे वे भविष्य में उत्तम नागरिक बन सकें और देश में लोकतंत्र को सफल बनाने में अपना योगदान दे सकें । 

7. विश्वविद्यालयों में सभ्यता के अग्रदूत प्राप्त होने चाहिए और उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए । 

8. विश्वविद्यालयों को छात्रों के पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास पर ध्यान देना चाहिए । 

9. विश्वविद्यालयों को अपने छात्रों को दूरदर्शी, बुद्धिमान एवं साहसी बनाने का प्रयास करना 

10. विश्वविद्यालय शिक्षा का मुख्य कार्य छात्रों का चारित्रिक उत्थान करना होना चाहिए । 

11. विश्वविद्यालय शिक्षा द्वारा छात्रों में विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास किया जाना चाहिए । 

12. संविधान में वर्णित समानता, स्वतंत्रता एवं बन्धुत्व के आदर्शों का संरक्षण करना भी विश्वविद्यालय शिक्षा का उद्देश्य है ।


राधाकृष्णन आयोग की सिफारिशों का विश्वविद्यालय शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा ? राधाकृष्णन आयोग के सुझावों का मूल्यांकन कीजिए


आयोग की सिफारिशों का विश्वविद्यालय शिक्षा पर प्रभाव राधाकृष्णन आयोग के सुझावों और संस्तुतियों के आधार पर विश्वविद्यालय शिक्षा का तीव्र विकास हुआ । 1960-61 तक भारत में 45 विश्वविद्यालय और 1,122 महाविद्यालय स्थापित हो चुके थे , जिनमें 41,759 शिक्षक कार्य कर रहे थे और 8.9 लाख छात्र एवं छात्राएँ अध्ययनरत थे । 470 शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थापित किये जा चुके थे । देश में कृषि और इन्जीनियरिंग की शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय स्थापित किये गये । तकनीकी शिक्षा के 51 कालेज भी खोले गये ।


मेडिकल कालेजों की संख्या में वृद्धि हुई । 1959 में यू० जी० सी० ( U. G.C. ) को स्वायत्तशासी संस्था बन दिया गया था । भारत सरकार ने आयोग की संस्तुति के आधार पर 1954 में ही ग्रामीण उच्चतर शिक्षा समिति की स्थापना कर दी गयी थी और इस समिति की सिफारिशों पर जामिया नगर, उदयपुर ( राज. ), बिचपुरी आगरा ( उ ० प्र ० ) , सुन्दर नगर ( बिहार ) और अमरावती आदि में 13 ग्रामीण शिक्ष संस्थानों की स्थापना की गयी थी ।

इन्हे भी पढ़ना मत भूलियेगा -

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top