आत्मानुभूति शिक्षा का सर्वोत्कृष्ट उद्देश्य है। क्यों ?
‘ सत्य ज्ञनमनन्तं ब्रह्म ' कथन में शिक्षा का भार संगुफित है । उचित कामोपासना में प्रवृत्त होकर अंतःकरण की शुद्धि द्वारा , परम ज्ञान प्राप्त कर उसके द्वारा ब्रह्म का वास्तविक स्वरूप समझना तथा उस स्वरूप में स्वयं को अन्तर्भूत करने में समर्थ होना आवश्यक माना गया है ।
उपनिषद् कालीन शिक्षा का मूल उद्देश्य शिक्षा केवल शिक्षा के लिए नहीं, अपितु शिक्षा जीवन के लिए श्री और मुंडकोपनिषद् के अनुसार सत्य ज्ञानोपलब्धि से समस्त संशयों का निराकरण होने पर ही मानव को ब्रह्म साक्षात्कार सम्भव था । ब्रह्म साक्षात्कार को विशेष महत्त्व दिया गया है । इसी के द्वारा मनुष्य ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर ब्रह्म में लीन हो सकता है ।
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