ब्रिटिश प्रधानमंत्री | British Prime Minister's
ब्रिटिश शासन - व्यवस्था में प्रधानमंत्री का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है । प्रस्तुत प्रधानमंत्री ही सर्वोच्च कार्यपालिका का अध्यक्ष होता है । क्राउन में निहित समस्त शक्तियों का प्रयोग व्यवहार में मंत्रिपरिषद् करती है और क्योंकि मंत्रिपरिषद् में केन्द्रीय स्थान प्रधानमंत्री को प्राप्त है , इसलिए अन्ततोगत्वा शासन की समस्त शक्ति प्रधानमंत्री के हाथ में चली जाती है ।
जॉन मार्ले के अनुसार, " प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् रूपी महाराज की अधारशिला है । '
रैम्जे म्यूर का कथन है कि " प्रधानमंत्री राज्यपोत का परिचालक है । ”
प्रधानमंत्री को परम्परानुसार ' समकक्षों में प्रथम ' माना जाता है किन्तु उसकी दिन - प्रतिदिन बढ़ती हुई महत्ता को देखते हुए विलियम हर्कोटे ने यह मत व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री ' सितारों के बीच चन्द्रमा ' है ।
जेनिंग्स के शब्दों में, ' प्रधानमंत्री वह सूर्य है जिसके चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते हैं । '
आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री की इतनी महत्ता होते हुए भी सन् 1937 में क्राउन के मंत्री अधिनियम के पारित होने तक उसके पद को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं थी । उस समय तक उसे ' कोषागार के प्रथम लार्ड ' की हैसियत से वेतन मिलता था । सन् 1937 के अधिनियम ने प्रधानमंत्री के पद को कानूनी मान्यता देते हुए उसको दस हजार पौंड वार्षिक वेतन तथा दो हजार पौंड वार्षिक निवृत्ति वेतन ( पेंशन ) देना स्वीकार किया ।
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