स्वदेशी आन्दोलन के प्रारम्भ का तात्कालिक कारण क्या था?
स्वदेशी आन्दोलन: स्वदेशी आन्दोलन के प्रारम्भ का तात्कालिक कारण लॉर्ड कर्जन द्वारा वर्ष 1905 ई . में बंगाल विभाजन था । लॉर्ड कर्जन का भारत शासनकाल शिष्टमण्डलों , भूलों तथा आयोगों के लिए प्रसिद्ध था । उसने भारत को कभी एक राष्ट्र ही नहीं माना । उसका उद्देश्य कांग्रेस को पूर्णरूपेण समाप्त कर देना था । उसकी प्रतिक्रियावादी नीतियाँ ; जैसे- कलकत्ता कॉर्पोरेशन का अधिनियम , विश्वविद्यालय अधिनियम , बंगाल विभाजन तथा वर्ष 1902 का दिल्ली दरबार आदि के विरुद्ध भारतीयों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई।बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन के सबसे घृणित कार्यों में से एक था । विभाजन के समय बंगाल की कुल आबादी 8 करोड़ थी । उस समय बंगाल प्रान्त में बंगाल , बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे । अंग्रेजों ने विभाजन का कारण प्रशासनिक बताया परन्तु वास्तविक कारण प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक था 1 सितम्बर , 1905 को सरकार ने घोषणा कर दी कि 16 अक्टूबर , 1905 से विभाजन प्रभावी हो जाएगा ।
7 अगस्त , 1905 को कलकत्ता के टाउन हाल में बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन की विधिवत् घोषणा की गई । 16 अक्टूबर , 1905 को बंगाल विभाजन के दिन पूरे बंगाल में ' शोक दिवस ' मनाया गया । स्वदेशी आन्दोलन और बहिष्कार आन्दोलन को फैलाने का काम उग्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक , लाला लाजपत राय , अरबिन्द घोष इत्यादि ने किया ।राजनीतिक संस्कृति और संस्कृति का सम्बंध एवं परिभाषा
इन्होंने बहिष्कार आन्दोलन में सिर्फ विदेशी कपड़ों का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि स्कूलों , अदालतों , उपाधियों , सरकारी नौकरियों के बहिष्कार का भी नारा दिया । सैयद हैदर रजा ने दिल्ली में तथा चिदम्बरम् पिल्लै ने मद्रास प्रेजीडेन्सी में इस आन्दोलन का नेतृत्व किया । वर्ष 1905 में गोखले की अध्यक्षता में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बनारस अधिवेशन में बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन व बहिष्कार आन्दोलन का समर्थन किया ।
इस आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि इसमें ' आत्म - निर्भरता ' का नारा दिया । टैगोर के शान्ति निकेतन की तर्ज पर ' बंगाल नेशनल कॉलेज की स्थापना की गई जिसके प्राचार्य अरबिन्द घोष बने । वर्ष 1906 में ' राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् ' का गठन किया गया । आचार्य पी सी राय ने बंगाल केमिकल्स एवं फार्मास्युटिकल्स की स्थापना की ।उदारवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
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