आदर्श संविधान के लक्षण | Characteristics of an ideal constitution
( 1 ) राज्य के शासन का स्वरूप और संगठन– राज्य प्रशासन का स्वरूप किस प्रकार सृजित होगा , यह निर्णय संविधान द्वारा ही किया जाता है । सरकार के विभिन्न अंग किस प्रकार संगठित होंगे , किस प्रकार कार्य करेंगे यह सब संविधान द्वारा ही निश्चित किया जाता है ।
( 2 ) सरकार के विभिन्न अंगों के कार्य तथा उनका पारस्परिक सम्बन्ध - सरकार के विभिन्न अंगों - व्यवस्थापिका , कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के पारस्परिक सम्बन्धों को निश्चित करना तथा उनके कार्य संचालन की व्यवस्था करना संविधान के नियमों पर आधारित है ।
( 3 ) नागरिकों के मूलाधिकारों की व्यवस्था - अ का युग है जिसमें नागरिकों के अधिकारों पर अधिक बल दिया जाता है तथा वहीं -आधुनिक युग प्रजातन्त्र संविधान अच्छा माना जाता है , जिसमें नागरिकों को अधिकाधिक अधिकार प्राप्त हों । अतः आधुनिक संविधान में ही नागरिकों को कुछ अधिकार प्रदान किये जाते हैं जो मौलिक अधिकार कहलाते हैं ।
( 4 ) सरकार और जनसाधारण का पारस्परिक सम्बन्ध - शासन का जनसाधारण से क्या सम्बन्ध होगा इसका निश्चय संविधान के द्वारा ही किया जाता है । और संविधान के नियम ही व्यक्तियों एवं सरकार के पारस्परिक सम्बन्दों को निश्चित करते हैं । व्यक्तियों के अधिकार और कर्त्तव्य तथा उनका प्रशासन में भाग लेने के लिए अधिकार संविधान के नियमों द्वारा निश्चित किया जाता है ।
( 5 ) संविधान में संशोधन की व्यवस्था - सामाजिक परिस्थितियों में सदैव परिवर्तन होता रहता है अतः बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरूप संविधान के नियमों में परिवर्तन किया जाना परम अपेक्षित है । अतः प्रशासन का संगठन एवं संचालन करने वाले नियमों में परिवर्तन की व्यवस्था होना आवश्यक है ।
इसे भी पढ़ना न भूले –
- आधुनिकीकरण क्या हैं? आधुनिकीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
- राष्ट्रीय जीवन के लिए शिक्षा के कौन-कौन से कार्य है?
- स्वदेशी आन्दोलन के प्रारम्भ का तात्कालिक कारण क्या
- धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा क्या है?
- राजनीतिक संस्कृति और संस्कृति का सम्बंध एवं परिभाषा
- उदारवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
- ऑनलाइन शिक्षा Online Education - अर्थ, प्रभाव , लाभ और हानि
- Social Media: सोशल मीडिया के फायदे, नुकसान, लाभ, इफेक्ट, सोशल मीडिया नेटवर्क