सामाजिक अनुकरण | अनुकरण के प्रकार - Questionpurs

सामाजिक अनुकरण | अनुकरण के प्रकार

सामाजिक जीवन में अनुकरण का विशेष महत्त्व है । मानव अधिकतर सामाजिक व्यवहारों को अनुकरण के द्वारा ही सीखता है । इसके महत्त्व को प्रदर्शित करते हुये श्री जयदेव सिंह ने कहा है— “सामाजिक एकरूपता एवं समानता का स्रोत अनुकरण है । "चेतन एवं अचेतन अवस्था में हमारे द्वारा किये गये समस्त कार्य अनुकरण ही होते हैं । विभिन्न विद्वानों ने अनुकरण को परिभाषित करते हुये कहा है-


मीड ( Mead ) के अनुसार "दूसरों के कार्यों या व्यवहारों को जानबूझ कर अपनाने को अनुकरण कहते हैं।" 


मैगडूगल ( MeDugall ) के अनुसार "अनुकरम केवल एक मनुष्य द्वारा उन क्रियाओं को जो दूसरों के शरीर सम्बन्धी व्यवहार से सम्बन्धित है , की नकल करने पर लागू होता है । " 


अनुकरण के प्रकार


विभिन्न विद्वानों ने अनुकरण के प्रकारों का वर्णन किया है । जैसे -


मैकडूगल ( McDougall ) का वर्गीकरण 

मैकडूगल के द्वारा अनुकरण के निम्न प्रकार 


( 1 ) सहानुभूतिपूर्वक अनुकरण

सहानुभूतिपूर्वक अनुकरण जान - बूझकर किया जाता है । सहानुभूति प्रदर्शित करने के लिये इस प्रकार का अनुकरण किया जाता है, जैसे दूसरे को रोता हुआ देखकर रोना आदि । मानव समाज ही नहीं अनुकरण के इस स्वरूप को पशुओं में भी देखा जाता है । 


( 2 ) विचार चालक अनुकरण

इसे स्वतः अनुकरण भी कहा जाता है । विचार व्यक्ति के शरीर को सक्रिय करते हैं । जैसे नृत्य देखते हुए व्यक्ति स्वतः भी पाँव के भाव द्वारा नृत्य के पैरों का साथ देता है । 


( 3 ) सप्रयोजन अनुकरण

इसमें किसी अन्य व्यक्ति के कार्य अथवा क्रिया का जानबूझकर अनुकरण किया जाता है । इसमें अनुकरण का उद्देश्य निश्चित रहता है । विद्यालय में छात्रों द्वारा इसी श्रेणी का अनुकरण किया जाता है । 


( 4 ) माध्यमिक अनुकरण

इसे माध्यमिक अनुकरण इस कारण कहते हैं कि यह द्वितीय एवं तृतीय प्रकार के बीच का प्रयोजन होता है अर्थात् इसमें विचारपूर्वक प्रयोजन एवं सप्रयोजन अनुकरण का मिश्रण होता है। 


( 5 ) निरर्थक अनुकरण

इसे प्रारम्भिक अनुकरण भी कहते हैं । इस अनुकरण का कोई उद्देश्य नहीं होता। छोटे बालकों द्वारा इसी प्रकार का अनुकरण किया जाता है।


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