अनुकरण क्या है? - समाजीकरण में इसकी भूमिका

अनुकरण क्या है? समाजीकरण में इसकी भूमिका अथवा महत्त्व की विवेचना कीजिए? 

सामाजिक जीवन में अनुकरण का विशेष महत्त्व है। मानव अधिकतर सामाजिक व्यवहारों को अनुकरण के द्वारा ही सीखता है । इसके महत्त्व को प्रदर्शित करते हुए श्री जयदेव सिंह ने कहा है— “ सामाजिक एकरूपता एवं समानात का स्रोत अनुकरण है । ” चेतन एवं अचेतन अवस्था में हमारे द्वारा किये गये समस्त कार्य अनुकरण ही होते हैं । सभी साधारण एवं जटिल क्रियाओं को अनुकरण कहा जाता


अनुकरण का अर्थ एवं परिभाषा


विभिन्न विद्वानों ने अनुकरण को परिभाषित करते हुए कहा है मीड ( Mead ) के अनुसार- " दूसरों के कार्यों या व्यवहारों को जानबूझ कर अपनाने को अनुकरण कहते हैं । " 


मैक्डूगल ( McDugall ) के अनुसार " अनुकरण केवल एक मनुष्य द्वारा उन क्रियाओं को जो दूसरों के शरीर सम्बन्धी व्यवहार से सम्बन्धित है , की नकल करने पर लागू होता है । ” 


हेज ( Hayes ) का कहना है— “ अनुकरण सामाजिक संकेत की ही एक उपजाति है । यह किसी बाहरी क्रिया के लिये दिया गया एक विचार है जो प्राप्त होने के पश्चात् एक क्रिया के रूप में प्रगट होता है । " 


थाउलस ( Thouless ) का कहना है- " अनुकरण एक प्रतिक्रिया है , जिसके लिये उत्तेजक दूसरे की उसी प्रकार की प्रतिक्रिया का ज्ञान है । " 


लिण्टन ( R. Linton ) का कहना है— “ दूसरे द्वारा प्रदर्शित व्यवहार का अनुगमन करना ही अनुकरण है । अनुकरण के लिये आवश्यक नही कि पहले किसी चीज का साक्षात् रूप में निरीक्षण किया जाय । आधुनिक उच्च वर्ग में तो केवल सुन अवस्था पढ़कर ही अनुकरण करना आरम्भ कर देते हैं । " 


अनुकरण का सामाजिक जीवन में महत्त्व


अनुकरण का सामाजिक जीवन में विशेष महत्व है । यह सामाजिक सीखने की प्रक्रिया को सरल बना देता है । अनुकरण के द्वारा ही व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों एवं सामाजिक विशेषताओं को सीखता है । भाषा , नैतिक , नियम एवं सांस्कृतिक विशेषताओं को सीखने में यह सुगमता प्रदान करता है । सामाजिक नियन्त्रण एवं समाजीकरण की प्रक्रिया में भी अनुकरण का महत्त्व है ।


श्री जयदेव सिंह के अनुसार— “ अनुकरण सामाजिक एकरूपता एवं समानता का स्रोत है । " ( The source of social similarity and conformity is imitation ) मानव के सभी व्यवहार अनुकरण पर ही आधारित होते हैं । सामाजिक जीवन में अनुकरण के महत्त्व को संक्षेप में दर्शाते हुए कहा जा सकता है 


( 1 ) सामाजिक अधिगम ( सीखना ) का आधार

अनुकरण सामाजिक अधिगम ( सीखना ) की प्रक्रिया को अत्यन्त ही सरल बना देता है । किसी नई प्रक्रिया को सीखने के लिये परीक्षण की लम्बी अवधि की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती । व्यक्ति अल्प समय में ही सामाजिक व्यवहारों को सीख जाता है । सामाजिक जीवन से सम्बन्धित हम अनेक व्यवहारों को अनुकरण द्वारा ही सीखते हैं । वास्तविकता तो यह है कि यह सामाजिक अधिगम ( सीखने ) का एक प्रमुख कारक ही नहीं वरन् आधार भी है । 


( 2 ) सामाजिक संगठन में सहायक

अनुकरण सामाजिक संगठन में ही सहायक सिद्ध होता है । अनुकरण के द्वारा ही सामाजिक - रीति - रिवाजों , मूल्यों एवं आदर्शों को सीखता है , जिसके कारण सामाजिक संगठन में एकता स्थापित रहती है । 


( 3 ) सामाजिक एकरूपता

अनुकरण समाज में एकरूपता की भी स्थापना करता है । इसके कारण सामाजिक एकरूपता बनी रहती है । अनुकरण के कारण सामाजिक रीति - रिवाज , परम्पराओं एवं व्यवहार प्रतिमान पूरे समाज में तेज गति से फैलते हैं परिणामतः समाज में एकरूपता विकसित होती है । 


( 4 ) सामाजिक सांस्कृतिक अनुकूलन में सहायक

अनुकरण आज के गतिशील समाजों में व्यक्ति के द्वारा अनुकूलन में भी सहायक सिद्ध होता है । यातायात एवं संचार के साधनों के विस्तार के कारण व्यक्ति की गतिशीलता में वृद्धि हुई है , उसे नये समाजों में जाकर नवीन रीति रिवाजों , आदर्शों एवं मूल्यों से अनुकूलन की समस्या का सामना करना पड़ता है । अनुकरण इस कार्य में उसकी सहायता करता है क्योंकि वह अनुकरण द्वारा नये समाज के रीति - रिवाजों , आदर्शों एवं मूल्यों को सीख लेता है । 


( 5 ) संस्कृति का हस्तान्तरण

अनुकरण की सहायता संस्कृति का हस्तान्तरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता रहता है । संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार भी अनुकरण के कारण ही सम्भव हो पाता है । इसके कारण समाज में सांस्कृतिक निरन्तरता बनी रहती है । 


( 6 ) व्यक्तित्व का विकास

अनुकरण के व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक सिद्ध होता है । अनुकरण के द्वारा व्यक्ति सामाजिक गुणों को सीख कर अपने व्यक्तित्व का विकास करता है । श्री टी ० पी ० नन ने अनुकरण को व्यक्तित्व के विकास की प्रथम पीढ़ी कहकर सम्बोधित किया है । 


( 7 ) सामाजिक प्रगति में सहायक

अनुकरण के कारण सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया को बल मिलता है , परिणामतः यह सामाजिक प्रगति में सहायक सिद्ध होता है । अनुकरण के द्वारा ही नये आविष्कारों को बल मिलता है , जिससे सामाजिक प्रगति होती है । श्री टार्डे का अनुकरण के सम्बन्ध में कथन है— " It is the key to the social mystery . " . 


( 8 ) इच्छाओं की पूर्ति में सहायक

अनुकरण वैयक्तिक इच्छाओं की पूर्ति में भी सहायता करता है । अनुकरण की सहायता से व्यक्ति विभिन्न व्यवहारों एवं कार्यो को सीख कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है ।


निष्कर्ष ( Conclusion )

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि दूसरों के व्यवहार एवं कार्यों की नकल करना ही अनुकरण है । यह दूसरों के व्यवहार को अपनाने की प्रक्रिया है । सामाजिक जीवन में इसका विशेष महत्त्व है । अनुकरण समाजीकरण एवं सामाजिक सीख ( अधिगम ) का एक प्रमुख शाधन एवं आधार है । इसके द्वारा समाज में सांस्कृतिक निरंतरता भी बनी रहती है।


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