1813 का आज्ञा पत्र | Charter Act of 1813
इंग्लिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के ' आज्ञा - पत्र ' का प्रत्येक 20 वर्ष के बाद ब्रिटिश पार्लियामेण्ट के माध्यम से पुनरावर्तन किया जाता था । इस उद्देश्य से सन् 1813 में ' आज्ञा - पत्र ' को पार्लियामेण्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया । इस अवसर पर घोर विरोध होते भी ग्राण्ट व विल्बरफोर्स के दल को विजय प्राप्त हुई ।
1813 के आज्ञा पत्र में अग्रांकित धारा को जोड़कर भारत में शिक्षा प्रसार का उत्तरदायित्व कम्पनी पर रखा गया- " साहित्य के पुनरुद्धार और समुन्नति के लिए भारतीय विद्वानों को प्रोत्साहित करने के लिए व भारत के विदेश प्रदेशों के निवासियों में विद्वान् के ज्ञान का प्रसार व विकास के लिए प्रति वर्ष कम-से-कम एक लाख रुपये की धनराशि पृथक् रखी जायगी और व्यय की जायगी । "
1813 ई ० का आज्ञा - पत्र क्या है ?
1813 का आज्ञा - पत्र इंग्लिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के ' आज्ञा - पत्र ' का प्रत्येक 20 वर्ष के बाद ब्रिटिश पार्लियामेण्ट के माध्यम से पुनरावर्तन किया जाता था । इस उद्देश्य से सन् 1813 में ' आज्ञा - पत्र ' को पार्लियामेण्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया । उस अवसर पर घोर विरोध होते हुए भी ग्राण्ट व विल्बरफोर्स के दल को विजय प्राप्त हुई ।
1813 के आज्ञा पत्र में अग्रांकित धारा को जोड़कर भारत में शिक्षा प्रसार का उत्तरदायित्व कम्पनी पर रखा गया- " साहित्य के पुनरुद्धार और समुन्नति के लिए भारतीय विद्वानों को प्रोत्साहित करने के लिए व भारत के ब्रिटिश प्रदेशों के निवासियों में विद्वान् के ज्ञान का सार व विकास के लिए वर्ष कम - से - कम एक लाख रुपये की धनराशि पृथक् रखी जायगी और व्यय की जायगी । "
इस धारा का भारतीय शिक्षा के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसके कारण ग्राष्ट व विल्बरफोर्स द्वारा लगभग बीस वर्ष तक चलाये जानेवाले आन्दोलन की इतिश्री हुई । इसने भारतीयों की शिक्षा को कम्पनी का उत्तरदायित्व बताया । इसने भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का सूत्रपात करके भारतीय शिक्षा को एक नयी दिशा में मोड़ा , नूरुल्ला तथा नायक के अनुसार " 1813 के आज्ञा - पत्र ने भारतीय शिक्षा के इतिहास को एक नयी दिशा में मोड़ा । " भारत के निवासियों को उम्मीद थी कि 1813 के ' आज्ञा - पत्र ' में जोड़े जानेवाली नवीन धारा से उन्हें शिक्षा की अधिक उत्तम सुविधाएँ उपलब्ध जायँगी, लेकिन उसकी आशा पर तुषारपात हो गया ।
इसका कारण था कि ' धारा ' में एक लाख रुपये की धनराशि को व्यय करने की विधि का व साहित्य शब्द के अर्थ का स्पष्टीकरण नहीं किया गया था । इन दोनों प्रश्नों को लेकर, कम्पनी के कर्मचारियों में विवाद शुरू हो गया । फलस्वरूपं , 1813 से 1833 तक कम्पनी ने किसी निश्चित शिक्षा नीति का अनुसरण नहीं किया , तथापि इस अवधि के अन्तिम दस वर्षों की एक विशेषता अंकित करने के योग्य है । 1813 व 1833 के बीच में शिक्षा की एकांगी महत्त्वपूर्ण विशेषता अरबी अथवा संस्कृत की अपेक्षा उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी की बढ़ती लोकप्रियता है ।