जादू एवं विज्ञान में क्या अंतर है? What is the difference between magic and science?
जादू और विज्ञान में अंतर -
( 1 ) दोनों की अभिव्यक्तियाँ भिन्न - भिन्न होती हैं ।
( 2 ) विज्ञान तथ्यों पर आधारित है जबकि जादू में विस्मय, प्रत्याशा, अनिश्चय आदि का समावेश होता है ।
( 3 ) विज्ञान को किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए उसे अवलोकन , परीक्षण एवं सत्यापन की प्रक्रिया से गुजरना होता है । इसके लिए वह प्रयोगशाला का सहारा लेता है । जादू गुह्य ( रहस्यमय दैविक ) कारणों की कल्पना करता है और रहस्यमय वातावरण में ही सम्पादित होता है ।
जादू में अनुमानों की परीक्षा के लिये कोई प्रयोगशाला नहीं होती वरन् वे मानव के व्यक्तिगत अनुभवों का परिणाम होते हैं । कभी - कभी जादू में भी कारण - कार्य का सम्बन्ध स्थापित हो जाता है । इसलिए उनके फल भी विज्ञान की तरह ही सत्य होते हैं , तब जादू और विज्ञान निकट होते हैं ।
( 4 ) विज्ञान की असफलता का कारण अपर्याप्त ज्ञान होता है और इसे अतिरिक्त शोध द्वारा सही किया जा सकता है । जादू की असफलता का कारण यह माना जाता है कि या तो जादूगर ने निषेधों का पालन नहीं किया है या किसी ने प्रति - जादू द्वारा उस जादू को असफल कर दिया है या जादुई क्रियाओं का सम्पादन उचित रीति से नहीं हुआ है ।
( 5 ) जादू में जादूगर को जादुई क्रिया करने से पूर्व कुछ निषेधों का पालन करना होता है , परन्तु विज्ञान में एक वैज्ञानिक को किसी प्रकार के निषेध के पालन की कोई आवश्यकता नहीं होती ।
( 6 ) जादू का सम्बन्ध आदिम समाजों से अधिक है जबकि विज्ञान का सम्बन्ध - आधुनिक एवं सभ्य समाजों से फ्रेजर के अनुसार , संस्कृति के अति प्राचीन स्वरूप में जादू की प्रधानता रही होगी । उसके बाद धर्म का अस्तित्व आया होगा । तर्क का विकास होने पर विज्ञान का जन्म सम्भव हुआ होगा ।
टायलर ने जादू , विज्ञान और धर्म के सम्बन्ध में लगभग ऐसी ही व्याख्या की है । टायलर का विचार है कि सभी संस्कृतियों में जादू , विज्ञान और धर्म पाये जाते हैं । संस्कृति की पिछली एवं विकास की निम्न अवस्था में विज्ञान की अपेक्षा जादू एवं धर्म को अधिक महत्व दिया जाता है । ज्यों - ज्यों हम सभ्यता की ओर अग्रसर होते हैं , सांस्कृतिक दृष्टि से प्रगति करते जाते हैं , जादू एवं धर्म का प्रभाव घटता जाता है और विज्ञान का प्रभाव क्षेत्र तथा महत्व बढ़ता जाता है ।
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