जादू ( Magic ) क्या है? जादू की परिभाषा और जादुई क्रियाओं के तत्व

जादू क्या है? What is magic?

मनुष्य ने अति मानवीय जगतु पर या अलौकिक शक्ति के नियन्त्रण करने हेतु दो उपायों को अपनाया प्रथम तरीका उस शक्ति की विनती या आराधना करके उसे प्रसन्न करना और फिर उस प्रसन्नता से लाभ उठाना या उस शक्ति के द्वारा की जाने वाली हानियों से बचना है । इसी से धर्म का विकास हुआ और दूसरा तरीका उस शक्ति को दबाकर अपने अधिकार में करके उस शक्ति को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के हेतु प्रयोग करना है, यही जादू है ।

जादू की परिभाषा ( Definition of magic )

डॉ . दुबे के अनुसार , " जादू उस शक्ति विशेष का नाम है , जिससे अति - मानवीय जगत् पर नियन्त्रण प्राप्त किया जा सके और उसकी क्रियाओं को अपनी इच्छानुसार भले या बुरे, शुभ - अशुभ उपयोग में लाया जा सके । "


श्री मैलिनोवस्की ने जादू के सम्बन्ध में लिखा है कि " जादू विशुद्ध व्यावहारिक क्रियाओं का योग है जिन्हें उद्देश्यों की पूर्ति के साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है । " 


श्री फ्रेजर के विचार उक्त विचार से कुछ भिन्न हैं । जादू की परिभाषा करते हुए आपने लिखा है कि " जादू इस आधार पर एक आभासी विज्ञान है कि कार्य - कारण सम्बन्ध के एक अटल नियम के अनुसार यह प्रकृति पर दबाव डालता है । " इस प्रकार श्री फ्रेजर के अनुसार जादू प्रकृति पर नियन्त्रण पाने का एक साधन है । यह साधन कुछ नियमों पर इस अर्थ में आधारित है कि इसके अन्तर्गत कार्य - कारण की एक नियमितता पाई जाती है ।


जादुई क्रियाओं के तत्व ( Elements of magic )

डॉ . दुबे के अनुसार, किसी भी जादुई क्रिया में हमें तीन तत्वों का समावेश मिलता है-


( 1 ) कतिपय शब्द उच्चारित या अभिमन्त्रित -

ये शब्द साधारण से कुछ भिन्न और सामान्यतः गुप्त रखे जाते हैं । इनका उपयोग केवल वे ही लोग जानते हैं जो कि जादुई क्रिया में निपुण होते हैं । ये निपुण व्यक्ति जादू के इन शब्दों या मन्त्रों को अपने शिष्यों को ही सिखाते हैं ।

जादू ( Magic ) क्या है? जादू की परिभाषा और जादुई क्रियाओं के तत्व

कभी - कभी जब जादू को एक सामान्य सामाजिक घटना के रूप में स्वीकार किया जाता है, तब उस समाज के सभी सदस्य इन शब्दों से परिचित होते हैं, किन्तु उस स्थिति में भी इन शब्दों को उन लोगों से गुप्त रखा जाता है जो उस समाज के सदस्य नहीं , क्योंकि यह विश्वास किया जाता है कि वैसा न करने पर जादू की प्रभावशीलता के कम हो जाने की सम्भावना रहती है । 


( 2 ) शब्दोच्चारण के साथ कतिपय विशिष्ट क्रियाएँ -

मन्त्रों के प्रतिफलित होने के लिए बहुधा उनके उच्चारण के साथ कतिपय क्रियाओं का करना भी आवश्यक होता है । ये क्रियाएँ मन्त्रोच्चारण को नाटकीय तत्व प्रदान करती हैं और यह विश्वास किया जाता है कि उनका सम्मिलित प्रभाव उद्देश्य को पूर्ति या अभीष्ट की सिद्धि में सहायक सिद्ध होता है 


( 3 ) जादू करने वाले व्यक्ति की विशेष स्थिति -

जिन दिनों जादू की क्रियाएँ की जाती हैं , उन दिनों रोज जैसा जीवन नहीं बिताया जाता है उससे कुछ भिन्न प्रकार का जीवन बिताना आवश्यक समझा जाता है । इस काल में जादूगर को कुछ चीजों को खाने - पीने या कुछ विशिष्ट व्यवहारों की मनाही होती है।


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