परिवार और गोत्र में अंतर स्पष्ट कीजिये ( Explain the difference between family and gotra. )
( 1 ) परिवार उभयपक्षीय है जबकि गोत्र एकपक्षीय सम्बन्ध है -
जब कोई भी परिवार बनता है तो उसमें पति तथा पत्नी - दो व्यक्ति होते हैं । ये दोनों रक्त - सम्बन्धी भी हो सकते हैं , बिल्कुल भिन्न - भिन्न रक्तों के भी हो सकते हैं, आजकल के परिवारों में तो भिन्न - भिन्न रक्तों के ही होते हैं। परिवार में पति तथा पत्नी दोनों की अपनी - अपनी वंशावली होती है ।
इन दोनों वंशावलियों का मेल परिवार में होता है । क्योंकि परिवार में पति तथा पत्नी अर्थात् पिता तथा माता दोनों की वंशावलियाँ गिनी जाती हैं , इसलिए परिवार को उभयपक्षीय संस्था कहा जाता है। गोत्र को देखते हुए माता - पिता दोनों की वंशावलियों को नहीं देखा जाता बल्कि गोत्र में सिर्फ पिता की या सिर्फ माता की वंशावली को देखा जाता है । जो पितृप्रधान जातियाँ हैं , उनमें गोत्र देखना हो तो पिता के पिता , पितामह के पिता - इस तरह पिता का ही वंश देखा जायेगा , माता का नहीं ।
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परिवार और गोत्र में अंतर |
जो मातृप्रधान जातियाँ हैं , उनमें गोत्र देखना हो तो माता की माता , नानी की माता , इस तरह माता का ही वंश देखा जायेगा , पिता का नहीं । पितृप्रधान जातियों में स्त्री के विवाह के बाद पति का ही गोत्र हो जाता है इसलिए उसमें माता - पिता दोनों के गोत्र देखने के बजाय सिर्फ पिता का गोत्र देखा जाता है ।
इस दृष्टि से अगर परिवार को हम माता - पिता दोनों का वंश देखने के कारण ' उभयपक्षीय ' कह सकते हैं , तो गोत्र को सिर्फ माता या सिर्फ पिता अर्थात् एक ही वंश देखने के कारण एकपक्षीय कह सकते हैं ।
( 2 ) परिवार अस्थिर है जबकि गोत्र स्थिर है —
पति या पत्नी में किसी एक के मर जाने पर परिवार समाप्त हो जाता है, परन्तु कई परिवारों के समाप्त हो जाने पर भी गोत्र नष्ट नहीं होता । परिवार अस्थिर है, गोत्र स्थिर है , परिवार अदृढ़ है, गोत्र दृढ़ तलाक आदि से परिवार झट से टूट सकता है, गोत्र तलाक देने पर भी नहीं सकता ।
( 3 ) परिवार में सम्बन्ध निकट का होता है-
गोत्र में दूर का परिवार में सभी सदस्य बिल्कुल निकट के सम्बन्धी होते हैं , गोत्र में सब सदस्य निकट के सम्बन्धी नहीं होते । कहीं - कहीं तो गोत्र में इतना दूर का सम्बन्ध होता है कि उसे सम्बन्ध कहना भी खींचातानी है , किन्तु जिनका गोत्र मिल जाय, उनका परिवार की तरह का कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध न भी हो, तो भी एक गोत्र वाले आपस में एक - दूसरे को परिवार का सा सम्बन्धी मानते हैं ।
( 4 ) परिवार सार्वभौमिक है-
गोत्र नहीं परिवार पहले था, गोत्र बाद में हुआ, इसलिए ऐसी जनजातियाँ पायी जाती हैं , जिनमें परिवार की संस्था है, गोत्र की संस्था नहीं । उदाहरणार्थ, काडर तथा अण्डमान द्वीपवासियों में गोत्र की संस्था नहीं है, परिवार की है, उनमें अधिक जनजातियाँ कमार और बैगा हैं जिनमें परिवार के साथ - साथ गोत्र की संस्था पायी जाती है।
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