कक्षा एवं समुदाय के सम्बन्ध में शैक्षिक आकांक्षा एवं समस्याएँ EDUCATIONAL ASPIRATION AND PROBLEMS REGARDING CLASS AND COMMUNITY
आकांक्षा का अर्थ ( MEANING OF ASPIRATION )
भविष्य में विभिन्न प्रकार की आकांक्षाएँ जो कि एक विद्यार्थी प्राप्त करना चाहता है, वह इसी स्तर पर निश्चित की जाती है । विद्यार्थियों का विषय चयन भी इस स्तर पर उनके भविष्य एवं आकांक्षा को ध्यान में रखकर निश्चित किया जाता है । विद्यार्थी में आकांक्षा जितनी अधिक प्रबल होगी, उसके भविष्य में उन्नति करने की क्षमता उतनी ही अधिक तीव्रगामी एवं प्रबल होगी । आकांक्षाएँ ही विद्यार्थी के पारिवारिक एवं विद्यालयी वातावरण से प्रभावित होती हैं ।
बैबस्टर शब्द कोष के अनुसार, शब्द Aspiration का अर्थ है- आकांक्षा ( Ambition ), कामना और लालसा ( Longing ) | सामान्य बोलचाल की भाषा में Ambition और Aspiration को एक - दूसरे के पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता है । शिक्षाविदों ने आकांक्षा को निम्न प्रकार स्पष्ट किया है
चाइल्ड एण्ड विटिंग ( 1954 ) के अनुसार , " आकांक्षा स्तर दिए गए कार्य में भविष्य की क्रिया का अनुमान है । "
जेम्स ( 1964 ) के अनुसार, " किसी विशिष्ट परिस्थिति में व्यक्ति द्वारा स्वयं के क्रिया स्तर को स्वीकारना आकांक्षा का स्तर है । "
हरलॉक ( 1976 ) के अनुसार, " व्यक्ति द्वारा प्राप्त किए जा चुके लक्ष्यों और जिन्हें वह प्राप्त करने की आशा करता है , के बीच विरोध ही आकांक्षा स्तर है । "
शैक्षिक आकांक्षा (EDUCATION ASPIRATION)
शैक्षिक आकांक्षा में उपलब्धि की इच्छा निहित रहती है । शैक्षिक आकांक्षा यह नहीं बतलाती कि विद्यार्थी अपना लक्ष्य प्राप्त करने में कितना सफल रहा: यह तो केवल इस बात का उल्लेख करती है कि विद्यार्थी क्या प्राप्त करना चाहता है या उसका लक्ष्य क्या है ? शैक्षिक आकाक्षाओं को उच्च आदर्श भी कहा जा सकता है अर्थात् जहाँ तक पहुँचने की हम लालसा रखते हैं, किन्तु जरूरी नहीं कि वे प्राप्त हों । प्रत्येक देश की राजनैतिक, सामाजिक , आर्थिक तथा धार्मिक व्यवस्था के अनुरूप ही शिक्षा व्यवस्था की गई है ।
प्रत्येक नागरिक की शिक्षा के सम्बन्ध में कुछ आकाक्षाएँ होती है , जैसे- धर्म, जाति , वर्ण एवं स्थान के भेदभाव के बिना शिक्षा प्राप्त करने की आकांक्षा, शिक्षा में अवसरों की समानता इत्यादि । प्रत्येक व्यक्ति की कोई-न-कोई लालसा या अभिलाषा अवश्य होती है, जो कि उच्च या निम्न स्तर की भी हो सकती है । इसी आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण यर्थाथवादी एवं निराशावादी श्रेणी में किया जाता है । किसी व्यक्ति में , किसी भी क्षेत्र में कुछ कर दिखाने या बनने की विद्यमान अभिलाषा को आकांक्षा कहा जाता है तथा वह आकांक्षी या महत्वाकांक्षी कहलाता है ।
आकांक्षा और महत्वाकांक्षा में कोई विशेष अन्तर नहीं है । आकांक्षा जहाँ लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रयत्न है , वहीं महत्वाकांक्षा, उससे आगे का एक कदम " आकांक्षा स्तर, व्यक्ति द्वारा स्वयं के लिए विशिष्ट लक्ष्यों का निर्धारण करना है । आकांक्षा स्तर क्षमता व योग्यता तथा पूर्ण सफलता व असफलता से भली-भाँति प्रभावित होता है । शिक्षा के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने या बनने की अभिलाषा जिस विद्यार्थी में विद्यमान रहती है , उसे शैक्षिक आकांक्षा कहते हैं , परन्तु यह इच्छा या लालसा शैक्षिक क्षेत्र में कितनी मात्रा में है, इससे उस विद्यार्थी की शैक्षिक आकांक्षा का पता चलता है ।
शैक्षिक आकांक्षा का अर्थ शैक्षिक क्षेत्र में विद्यार्थी की अपनी वर्तमान स्थिति से अपने आप को ऊँचा उठाने की इच्छा अथवा प्रयास से लगाया जाता है । सही अर्थों में शैक्षिक आकांक्षा वह है जो हम अपने शिक्षा के क्षेत्र में तथा भविष्य में किसी कार्य को इतना अच्छा करने का प्रयास करें कि वह हमारे द्वारा निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति का साधन बन जाये । शैक्षिक आकांक्षा का परिचय सबसे पहले लेविन की शिष्या डेम्बों ने कराया था , किन्तु इस दिशा में गहन अध्ययन के पश्चात् विचार प्रकट करने का श्रेय हांपी को है ।
हांपी ने अपने प्रयोगात्मक अध्ययन के आधार पर बताया कि लक्ष्य निर्धारण को व्यवहार के अनेक कारक प्रभावित करते हैं । इस पर वैयक्तिक भिन्नताओं का भी प्रभाव पड़ता है , क्योंकि कुछ विद्यार्थियों का आकांक्षा स्तर सदैव उच्च होता है , कुछ का निम्न । कुछ विद्यार्थी अपने लिए उचित आकांक्षा स्तर निश्चित करने में असमर्थ होते है , जबकि अन्य व्यक्ति इस सम्बन्ध में यर्थाथवादी होते हैं एवं अपने पूर्व - अनुभव के आधार पर अपना आकांक्षा स्तर निर्धारित करते हैं ।
इसके अतिरिक्त भी इस प्रकार प्रत्यय से सम्बन्धित कुछ कारक , जैसे - विद्यार्थी के लक्ष्य का आत्मनिष्ठ स्वरूप, लक्ष्य की प्राप्ति पर तनाव की समाप्ति, भग्नाशा की समस्या , चिन्ता की अभिप्रेरणा तथा तात्कालिक पूर्व अनुभवों का प्रभाव अतः आकांक्षा स्तर को निम्न घटक प्रभावित करते हैं-
1. कार्य की सफलता या असफलता आकांक्षा स्तर को उच्च एवं निम्न श्रेणी का बनाती है । यदि विद्यार्थियों को सफलता मिल जाती है तो वह आगे होने वाली परीक्षाओं को सुगमता से उत्तीर्ण कर लेता है और असफलता मिलने पर विद्यार्थी का उत्साह कम हो जाता है ।
2. आकक्षा स्तर पर समूह तथा सामूहिक कारों का भी प्रभाव पड़ता है । व्यक्ति हमेशा आ कार्यों की तुलना दूसरों से करके अपने को समायोजित करता है ।
3. आकांक्षा स्तर व्यक्तित्व की विशेषताओं पर भी निर्भर करता है , जिसमें अहम योग का प्रमुख स्थान है । आकांक्षा स्तर का सम्बन्ध भी अहम् शक्ति से है । अहम् के प्रति लगाव पर उल्लेखनीय कार्य आर . बी . कैटल ने भी किया है । उन्होंने अपने विचारों में बताया कि अहम् शक्ति से यह ज्ञात होता है कि वह विद्यार्थी की अहम दृष्टि से पूर्ण है या नहीं ।
दूसरे शब्दों में , वे व्यक्ति जो उच्च प्रत्याशा रखते हैं , परन्तु निष्पत्ति उतनी नहीं होती है । इसी प्रकार , जिन व्यक्तियों का आकांक्षा स्तर उच्च होता है , उनका अहम् उच्च होता है । आर . बी . कैटल के अनुसार , अहम् शक्ति का मुख्य लक्षण, वृढ़ता, कार्यरत होना, आत्म निर्भरता तथा विश्वास आदि है ।
समुदाय में विद्यार्थियों का आकांक्षा स्तर ( Aspiration Level of Students in the Community )
समुदाय के विभिन्न वर्गों से तात्पर्य कार्य कर रहे व्यक्तियों की विभिन्नता से है । इसमें पद प्रस्थिति , सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर विभिन्नता है । इनके विचारों, रहन-सहन, खान-पान एवं जीवन - शैली में विभिन्नता होती है । चूँकि हर व्यक्ति अपने गुण, विचार, योग्यता में भिन्न होता है , इसी कारण ये कारक विभिन्न वर्ग को जन्म देते हैं । यहाँ पर विभिन्न वर्ग से तात्पर्य उद्योगों में कार्यरत व्यक्तियों को उसकी आय के आधार पर तीन भिन्न-भिन्न वर्गों उच्च , मध्य एवं निम्न में वर्गीकृत किया गया है । इन्हीं तीनों वर्गों के बालक एवं बालिकाओं के शैक्षिक आकांक्षा स्तर का अध्ययन किया गया है ।
1. उच्च आय वर्ग,
2. मध्य आय वर्ग
3. निम्न आय वर्ग
अध्ययन की आवश्यकता
शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने को इस योग्य बनाने का प्रयास करता है कि वह अपने जीवन का निर्वाह समुचित ढंग से कर सके । कार्मिक वर्ग देश की समृद्धि की रीढ़ का कार्य करते हैं जिन पर विकास का समस्त ढाँचा टिका हुआ है । विभिन्न वर्गों के व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों से रोजगार के लिए आते हैं , कुछ स्थानीय होते हैं तथा कुछ अन्य शहरों अथवा प्रांतों से भी सम्बन्धित होते हैं , ये अपनी शिक्षा एवं योग्यता के आधार पर कार्यों में लगे होते हैं ।
शिक्षा का समुदाय से अटूट सम्बन्ध है जिसके कारण कभी समुदाय शिक्षा को तथा कभी शिक्षा समुदाय को प्रभावित करती है । समुदाय की आवश्यकतानुसार ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है । समुदाय के मूल्यों , आदर्शों मान्यताओं आवश्यकताओं , आर्थिक स्थिति आदि का प्रभाव शिक्षा पर पूर्णरूपेण परिलक्षित होता है । विशिष्ट समुदाय की गहन जानकारी उसमें रह रहे व्यक्तियों को होती है । उद्योगों का पूर्णतया ज्ञान उस समुदाय में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को होता है।
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