प्रभावपूर्ण विद्यालय प्रबन्ध के सिद्धान्त ( Principles of Effective School Management )
1. आधारभूत प्रदर्शन ।
2. प्रजातान्त्रिक प्रबन्ध
3. आँकड़ों का वैज्ञानिक संग्रहण
4. पाठ्यक्रम को छात्र के विकास का साधन मानता ।
5. अध्यापक वर्ग के व्यक्तित्व के प्रति आदर
6. समन्वय स्थापित करना ।
7. अध्यापकों का विद्यालय के उत्तरदायित्व में सहयोग लेना ।
8. विद्यालय सामग्री का दक्षतापूर्ण उपयोग ।
9. वित्त का न्याययुक्त उपयोग ।
10. लक्ष्य निर्धारण तथा योजना ।
11. आवधिक निरीक्षण ।
12. लचीलापन ।
13. अध्यापकों की व्यावसायिक उन्नति ।
14. आशावादी सिद्धान्त ।
15. छात्रों को प्रशासन में साथ लेना ।
1. आधारभूत दर्शन – विद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी वर्ग को शिक्षा एवं विद्यालय के उद्देश्य स्पष्ट हों । यह उचित ही कहा गया है कि " सत्र के आरम्भ में ही प्रत्येक को यह स्पष्ट कर दिया जाये जिससे कोई भी संदेह में न रहे कि विद्यालय क्या करना चाहता है या क्या प्राप्त करना चाहता है । "
2. प्रजातांत्रिक प्रबन्ध- एक दक्षतापूर्ण प्रबन्ध को प्रजातांत्रिक प्रबन्ध के सिद्धान्तों पर आधारित होना चाहिए जैसी कि चर्चा की गई है ।
3. आँकड़ों का वैज्ञानिक संग्रहण - इसका यह आशय है कि विद्यालय वृत्त ( रिकॉर्ड ) को उचित ढंग से रखा जाये और उन्हें हर प्रकार पूर्ण और शुद्ध होना चाहिए । इस दिशा में कोई कमी सारे संगठन की योजना को उलट सकती है । प्रबन्धक को , जो कि विद्यालय का प्रधान है , विद्यालय प्रबन्ध के इस पक्ष पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।
4. पाठ्यक्रम को छात्र के विकास का साधन मानना- छात्र विभिन्न प्रकार की रुचि , योग्यता और सुझाव प्रदर्शित करते हैं , अत : पाठ्यक्रम भी विविध एवं लोचदार होना चाहिए ।
5. अध्यापक वर्ग के व्यक्तित्व के प्रति आदर- अध्यापक वर्ग के व्यक्तित्व का आदर किया जाना चाहिए । अत्यधिक अनुरूपता अध्यापक वर्ग का यंत्रीकरण कर देती है तथा पहल शक्ति , उत्साह और प्रयोग करने जैसी आवश्यक विकासशील शक्तियों को हानि पहुंचाती है ।
6. समन्वय - कार्यक्रम का नियोजन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि सभी कर्मचारी एक समन्वित अंग की तरह कार्य करें ।
7. उत्तरदायित्वों में सहभागिता होना -अध्यापक वर्ग का पूर्ण सहयोग एवं सहायता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विद्यालय का प्रधान नीतियों के निर्माण एवं उनके परिचालन हेतु अध्यापक वर्ग को भी उसमें सम्मिलित करे ।
8. विद्यालय सामग्री का दक्षतापूर्ण उपयोग - विद्यालय व्यवस्था क्या है ? विद्यालय सामग्री से हमारा आशय भवन , अध्यापक एवं छात्रों से है । विद्यालय के अध्यापक वर्ग के कार्य - विभाजन का बँटवारा अध्यापकों की योग्यता और अनुभव के आधार पर किया जाये । एक अच्छी समय - सारणी, प्रधानाध्यापक को विद्यालय भवन का उत्तम उपयोग करने में सहायक होगी ।
9. वित्त का न्याययुक्त उपयोग – विद्यालय अधिकारियों के हाथ में विद्यालय वित्त ट्रस्ट के रूप में है , धन का अपव्यय ही अनेकों समस्याओं का कारण हो सकता है , विशेष रूप से बालनिधि का जो कि छात्रों में अनुशासनहीनता उत्पन्न कर सकता है । अतः यह बहुत आवश्यक है कि बाल - निधि को छात्रों के ही हित में व्यय किया जाय ।
10. लक्ष्य - निर्धारण तथा योजना - सत्रानुसार कार्यक्रम निश्चित कर लेना चाहिए । वर्ष का पाठ्यक्रम उचित भागों में बाँटा जाना चाहिए ।
11. आवधिक निरीक्षण - आवधिक एवं मासिक निरीक्षण करते रहना चाहिए जिससे छात्रों एवं अध्यापकों को उन्नति का ज्ञान हो सके तथा नीतियों को सफलता पर सोच - विचार किया जाये ।
12. लचीलापन- इस बात पर बल दिया जाना चाहिए कि प्रबन्ध साधन है न कि साध्य , इसे साध्य के ऊपर अधिकार नहीं करना चाहिए । साध्य तो बालक के व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास है । पाठ्यक्रम , अध्यापन - विधि , परीक्षा , समय - सारणी , वास्तव में विद्यालय प्रबन्ध का प्रत्येक पक्ष इस साध्य के लिए लगा है । अतः यह उचित है कि प्रबन्ध को लचीला रखा जाये । एच . जी . स्टीड ( H. G. Stead ) ने ठीक ही कहा है कि प्रबन्ध को तरल होना चाहिए , अध्यापकों को अपनी अध्यापन - विधि का प्रयोग करने का अधिकार होना चाहिए । इसी प्रकार छात्रों को भी अनेक नियम एवं बन्धनों के रूपों को मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए । ठीक ही कहा गया है कि स्व - अनुशासन डण्डे से प्राप्त नहीं किया जा सकता , इसे केवल प्रेम और सहानुभूति से प्राप्त किया जा सकता है ।
इसी प्रकार, मासिक परीक्षाओं को भी सब कुछ नहीं समझ लेना चाहिए । ये केवल पूर्व वांछित साध्य के लिए साधन मात्र हैं । विद्यालय प्रबन्ध जो कि प्रत्येक पक्ष- छात्रों, अध्यापकों और प्रधानाध्यापक का सेवक है, उसे स्वामी का स्थान प्राप्त नहीं होना चाहिए ।
13. अध्यापकों की व्यावसायिक उन्नति - ऐसे मार्ग एवं साधनों की खोज की जानी चाहिए जिससे अध्यापक वर्ग की व्यावसायिक उन्नति हो ।
14. आशावादी सिद्धान्त - सम्पूर्ण प्रबन्ध की भावना मूलत : आशावादी होनी चाहिए।
15. छात्रों का भाग लेना - विद्यालय कार्यक्रमों में विद्यार्थियों का भाग लेना भी आवश्यक है।
इसे भी पढ़ें...
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री के कार्य - British Prime Minister's work in Hindi
- अमेरिका का राष्ट्रपति - President of America
- सम्राट कोई त्रुटि नहीं करता - The Emperor Makes no Mistake
- द्विसदनीय विधायिका के पक्ष-विपक्ष
- संसदीय सरकार की विशेषताएं - Features of Parliamentary Government
- संविधान के प्रकार - Types of Constitution in Hindi
- विधायिका के कार्य - Functions of the Vidhayika
- लार्ड सभा ( Lord Assembly )
- अमेरिका में प्रतिनिधि सभा का संगठन - Organization of the House of Representatives in America
- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के लक्षण - Adhyakshatmak Shasan Pranali kya hai
- अमेरिकी सीनेट - US Senate in Hindi
- विधि का शासन क्या है? - What is the rule of law?
- आदर्श संविधान के लक्षण - Characteristics of an ideal constitution
You May Also Like This
- संघवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या है? - Main features of Federalism
- ब्रिटिश संविधान में अभिसमय - Convention in the British Constitution
- राजा और राजमुकुट में अंतर - Difference between King and Crown
- राजनीतिक दल- अर्थ, परिभाषा, विभाजन और कार्य
- पूंजीवाद - अर्थ, परिभाषा, विशेषता, गुण और दोष | What is capitalism?
- उदारवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं? What are the main features of liberalism?
- स्वदेशी आन्दोलन के प्रारम्भ का तात्कालिक कारण क्या था?
- राजनीतिक संस्कृति और संस्कृति का सम्बंध एवं परिभाषा
- श्रेणी समाजवाद क्या है? श्रेणी समाजवाद के सिद्धान्त
- केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड - Central Advisory Board of Education
- Wardha Education Scheme - वर्धा शिक्षा योजना
- हण्टर आयोग के गुण एंव दोष - Merits and Demerits of the Hunter Commission in Hindi
- National Policy on Education 1986: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में क्या-क्या संकल्प लिये गये?
- Vayask Shiksha - वयस्क शिक्षा के सन्दर्भ में सार्जेण्ट के क्या सुझाव
इन्हे भी पढ़ना मत भूलियेगा -
- भारतीय शिक्षा आयोग 1964-66
- राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति, 1958 द्वारा नारी शिक्षा के लिए सुझाव
- मध्यकालीन भारत के प्रमुख शिक्षण केन्द्र
- विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के गुण एवं दोष
- निस्यंदन सिद्धांत क्या है?
- मध्यकालीन शिक्षा के उद्देश्य
- विद्यालय संकुल - School Complex
- लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति
- आत्मानुभूति शिक्षा का सर्वोत्कृष्ट उद्देश्य है। क्यों ?
- मैकाले का विवरण पत्र क्या है?
- शैक्षिक अवसरों की समानता - equality of educational opportunities
- सामाजिक शिक्षा के उद्देश्य - Objectives of social education
- राधाकृष्णन आयोग के सुझाव - Suggestions of Radhakrishnan Commission
- भारतीय शिक्षा आयोग 1882 - Indian Education Commission
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग - University Grants Commission
- ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड क्या है? | Operation Blackboard Yojana In Hindi
- Wood's Manifesto: वुड के घोषणा पत्र का महत्व तथा भारतीय शिक्षा पर प्रभाव
- शिक्षा में अपव्यय - Wastage in Education
- Acharya Ramamurthy - आचार्य राममूर्ति समिति की सिफारिशें
- Vocational Education - व्यावसायिक शिक्षा के उद्देश्य और लक्ष्य