विद्यालय प्रबन्ध की वर्तमान समस्याएँ: Problems of School Management

विद्यालय प्रबन्ध की वर्तमान समस्याएँ ( Present Problems of School Management )

भूतकाल में समाज का जीवन बहुत साधारण था और विद्यालय प्रबन्ध भी साधारण कार्य था। आधुनिक जीवन बहुत ही जटिल हो गया है और विद्यालय की प्रणाली भी बहुत जटिल हो गई है । लोकतन्त्र और विज्ञान ने नई दृष्टि और विस्तृत दृष्टिकोण दिया है।


शिक्षा क्षेत्र में, पालक के विकास, शिक्षण विधि, पाठ्यक्रम निर्माण आदि पर अनेकों सिद्धान्तों के प्रतिपादन ने नवीन शैक्षिक जागृति ला दी है । निम्नलिखित तथ्य विद्यालय प्रबन्धात्मक समस्याओं को प्रभावित करते हैं - 


विद्यालय जाने वाली जनसंख्या में वृद्धि

लोग शिक्षा के प्रति अधिक जाग्रत हो गये हैं । आज हम अधिक संख्या में छात्रों को विद्यालयों में पढ़ने जाते देखते हैं। वे रुचि, आवश्यकता सम्मान और कई बातों में एक दूसरे से भिन्न हैं । छात्रों की पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि भी भिन्न है । इसने शैक्षिक प्रबन्ध की समस्या को भी बहुत ही जटिल बना दिया है । 


1. आज के विद्यालय का कार्य केवल छात्र का मानसिक विकास करना ही नहीं है, अपितु उसे ' मिलकर रहने की कला ' में भी निपुण करना है जो कि अपने आप में एक विषय है।


2. प्रबन्ध पर बढ़ती हुई नई माँगों की मान्यता प्रधानाचार्य के कार्य में परिवर्तन लाती है ।


3. विद्यालयों से आशा की जाती है कि वे राष्ट्रीय एकता प्राप्त करने में सहायक हों। अतः इसका शैक्षिक प्रबन्ध पर विशेष प्रभाव पड़ता है । 


4. विद्यालय प्रारम्भिक लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों की सेवा पर लगा हुआ है । साथ ही व्यक्ति एवं उन्नतिशील समाज के सुधार के लिए इसकी सेवा को माना जाये । इस दृष्टिकोण से विद्यालय के कार्यों को देखते हुए हम देखते हैं कि कई प्रबन्धात्मक कठिनाइयाँ खड़ी हो जाती हैं ।


यह स्पष्ट है कि नवीन परिस्थितियाँ नवीन तकनीक की माँग करती हैं और वे पुरानी, कठोर और कट्टर प्रणाली के लिए एक चुनौती हैं।

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