वस्त्रों से व्यक्ति बनता है - Questionpurs

वस्त्रों से व्यक्ति बनता है। इस कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिये।

वस्त्रों से व्यक्ति बनता है, सामाजिक परिप्रेक्ष्य में यह उक्ति सत्य है। वस्त्र ही व्यक्ति के संस्कार, परिवेश एवं सामाजिक प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं। वस्त्र व्यक्ति की अभिरुचि को भी दर्शाते हैं। वस्त्रों का प्रभाव मानव के मन एवं मस्तिष्क पर होता है। भावों को अभिव्यक्त करने का उत्तम माध्यम वस्त्र ही हैं। रुचि के अनुरूप वस्त्र न धारण कर पाने के कारण व्यक्तिहीनता का अनुभव करता है।


वस्त्रों से व्यक्ति बनता है

व्यक्ति के सलीके से पहने गये वस्त्र दिखने में आकर्षक होने के कारण दूसरों का ध्यान अपनी ओर सहज ही आकर्षित करते हैं। व्यक्तित्व के विकास में वस्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। उत्तम वस्त्र समाज में सम्मान दिलाते हैं। वस्त्रों का परम महत्व घर के बाहर निकलकर ही ज्ञात होता है। व्यक्ति के परिधान उसकी कला संस्कृति एवं समाज के द्योतक होते हैं। वस्त्र संस्कृति के अक्षुण्य प्रतिनिधि होते हैं एवं वस्त्र ही संकेत कर देते हैं कि व्यक्ति किस देश या संस्कृति का है।


व्यक्ति एवं वस्त्र का सम्बन्ध अटूट होता है। प्राचीन काल में वस्त्रों का महत्व पहचाना गया था अतः सामाजिक विभेद का अनुपम साधन पहनावे के आधार पर ही किया जाता था। प्रायः अमीर लोग अपने वस्त्र की सजावट कीमती रत्नों से करते थे। सैनिक, राजा, रानी, सेनापति, अमात्य आदि प्राचीनकाल में अपने वस्त्रों से ही पहचान लिये जाते थे। प्राचीन काल में पुरोहित, संन्यासी, वैद्य, एवं सामान्य जन वस्त्रों के पहनावे के चलते ही पहचाने जाते थे।


विशेष वर्षों पर विशेष वस्त्र धारण करने की भी प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। शादी के समारोह में किसी को बतलाने की आवश्यकता नहीं होती कि कौन दूल्हा और कौन दुल्हन है, बल्कि दूल्हा, दुल्हन के विशिष्ट वस्त्र स्वयं ही इंगित कर देती है कि दूल्हा या दुल्हन कौन है। सेना, पुलिस, अर्द्धसैनिक बल, रेलवे के गार्ड, टी० टी०, स्टेशन मास्टर अपने वस्त्रों से तुरन्त पहचान लिये आते हैं।


व्यक्ति का परिधान ही सर्वप्रथम किसी को संकेत करता है कि व्यक्ति कौन है। वस्त्रों द्वारा ही व्यक्ति का मूल्य आँका जाता है। राजनेता, गाँधीवादी, बौद्ध भिक्षु, भिक्षु, वीतरागी, सूफी सन्त, इत्यादि लोग अपने वस्त्रों के माध्यम से ही पहचान लिये जाते हैं।


हर राष्ट्र का पहनावा अपने आप में उस राष्ट्र की कल एवं संस्कृति का द्योतक होता है। यथा-भारत में साड़ी का महत्व, राजस्थान में घाघरा चोली आदि।


वस्त्रों के माध्यम से आप तुरन्त ही जान जाते हैं कि व्यक्ति किस क्षेत्र. या राष्ट्र का है यथा आपके शहर में कोई युवती जापान की प्रचलित पोशाक धारण किये हुये भ्रमण करती है तो आप उसके वस्त्रों के माध्यम से उसे तुरन्त पहचान लेंगे। इसी प्रकार आपके शहर में कोई व्यक्ति लुंगी एवं कमीज पहने परम्परागत रूप में दिखे तो आप जान जायेंगे कि यह व्यक्ति दक्षिण भारतीय है।


वस्त्र ही व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं को भी इंगित करता है। यदि आपको कोई व्यक्ति पगड़ी पहने दिखाई दे तो आप सहज ही अनुमान लगा लेंगे कि यह व्यक्ति सिख सम्प्रदाय स्वीकार करता है। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति धोती, कुर्ता धारण किये हुये सिर पर शिखा सहित चन्दन धारण किये हुये मिले तो आप उसे शीघ्र ही पहचान लेंगे कि यह पुरोहित है। मौलवी, इमाम, पादरी को उनके वस्त्र विशेष के पहनावे की वजह से ही पहचाना जाता है।


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