आहार चिकित्सा का महत्त्व (Importance of Diet Theraphy)
आहार चिकित्सा का महत्त्व सन् 1854 में क्रायमियन युद्ध के दौरान फ्लोरेंस नाइटिंगेल नामक परिचारिका द्वारा आहत सैनिकों की सेवा में भोजन के योगदान से पता चलता है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने यह प्रमाणित कर दिया कि औषधि चिकित्सा एवं रोगी की परिचर्या के साथ ही स्वास्थ्य लाभ कराने में आहार का विशेष महत्त्व होता है।
तभी से चिकित्सकों में आहार चिकित्सा की ओर ध्यान दिया जाने लगा है तथा इस कार्य हेतु विशेष व्यक्तियों की नियुक्तियाँ की गई। पहले ये व्यक्ति सुपरिण्टेण्डेण्ट ऑफ डायट (Superintendent of diet) कहलाते थे।
Also Read It-
- Infancy: शैशवावस्था में पोषण की आवश्यकता क्यों होती है ?
- Vitamin A: विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रोग
- कपड़े की फिटिंग समस्या को दूर कैसे करे?
- तौलिये का चयन कैसे करें? | How to choose towels?
- चादरों का चयन कैसे करें?
- पिलो कवर कैसा होना चाहिए?
- कुशन कवर क्या होता है? | What is a cushion cover?
- उत्तर प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र