College student diet: कॉलेज जाने वाली छात्रा का आहार
किशोरावस्था 13-18 वर्ष की अवस्था को कहते है इस अवस्था में बच्चे की शरीरिक बनावट हाव भाव व्यवहार विचार आदि में परिवर्तन आने लगते है। यौन अंगों का विकास इसका प्रमुख कारण है। लड़कियों में लड़कों की तुलना से अधिक परिपक्वता आती है। जो कि मानसिक स्तर पर विशेष रूप से उन्हें प्रभावित करती है।
व्यक्ति को अपने समस्त जीवन काल में सर्वाधिक पोषण तत्वों का आवश्कता किशोरावस्था में होती है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को लौह तत्व की अधिक आवश्यकता होती है। यहीं बात आयोडीन पर भी लागू होती अन्यथा थाइराइड ग्रन्थि सम्बन्धित विशेषताएं उत्पन्न होने की आशंका रहती है।
किशोरी की आधारीय आवश्यकता
1. आहार में व्यजानों की मात्रा तथा सेवन के समय का ध्यान रखना चाहिए।
2. आहार खाद्य पदार्थो को पकाने में रंग, स्वाद बनावट आदि का भी ध्यान रखना चाहिए।
3. आहार में सलाद एवं फलों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
4. आहार के सभी पोषक तत्वों जैसे-प्रोटीन कार्बोज वसा विटामिन तथा खनिज लवणों आदि की प्राप्ति हो ।
5. आहार में बनाये जाने वाले व्यंजनों में क्रम से परिवर्तन अवश्य होना चाहिए।
6. मौसम के अनुसार प्रतिदिन फलों का भी आधार में समावेश होना चाहिए।
7. जैम-जैली, मुरब्बा चटनी आदि का प्रयोग भी अहार के आकर्षक एवं स्वादिष्ट बनाता है।
8. शर्बत, ठंडाई, आइसक्रीम आदि गर्मी में रूचिकर लगते है। उनका प्रयोग भी पूर्ण रूप में किया जाना चाहिए।
9. शाकाहारी बच्चों की प्रोटीन युक्त पदार्थ दूध व दही, दाले चना, सोयाबीन, मूंगफली आदि अधिक देने चाहिए जिसमें प्रोटीन की पूर्ति हो सके।
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