उत्तर प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र | Traditional Clothes of Uttar Pradesh in Hindi
उत्तर प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र उत्तर प्रदेश के पारम्परिक वस्त्रों में धोती, कुरता, साड़ी, चिकन के कुर्ते, टोपी इत्यादि हैं। परम्परागत वस्त्रों में उत्तर प्रदेश का लखनऊ, चिकन के कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है। नवाबों के शहर लखनऊ में चिकनकारी का काम होता है ।
उत्तर प्रदेश का पारंपरिक वस्त्र चिकन है। चिकन एक प्राचीन वस्त्र है। चिकन के वस्त्रों में श्वेत मलमल के ऊपर कढ़ाई रेशमी धागों से की जाती है। आजकल विभिन्न रंगों के सूती एवं रेशमी धागों का भी प्रयोग चिकन के वस्त्रों में किया जाता है । चिकन के वस्त्रों में प्रमुखतः साटिन, स्टेम, मूरी तथा हेरिंग बोन टांके का उपयोग किया जाता है।
बखिया एवं विभिन्न टांकों की मदद से अलग-अलग भागों को दर्शाया जाता हैं जाली टांकों से चिकनकारी का कार्य साड़ियों पर किया जाता है । पुरुषों के कुर्ते, टोपी, कफ, कालर आदि भी काढ़े जाते हैं । उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग के जिलों यथा मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर, अलीगढ़, आदि में ज्यादातर लोग कृषि करते हैं । उनके परम्परागत वस्त्रों में कुर्ता , पायजामा, टोपी, साड़ी आदि हैं ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष प्रायः कुर्ता , पैजामा या धोती ही पहनते हैं। स्त्रियाँ सूती साड़ी ज्यादातर पहनती हैं। उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के जिलों में यथा जालौन, हमीरपुर, कानपुर देहात, झांसी, कालपी आदि जिलों में भी कुर्ता, पैजामा या धोती, साड़ी ही परम्परागत परिधान हैं जो कि पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा पहने जाते हैं।
देसी स्टाइल का कुर्ता, पैजामा या धोती पुरुषों द्वारा पहना जाता है, जबकि महिलायें ज्यादातर साड़ी ही पहननती हैं । उत्प प्रदेश के अवध क्षेत्र के जिलों में लखनवी कुर्ता , पैजाम , टोपी पुरुषों द्वारा पहना जाता है । जबकि महिलाओं द्वारा चिकन की साड़ी या सलवार सूट पहना जाता है ।
इस क्षेत्र की ग्रामीण महिलायें प्रायः सती साड़ियाँ ही प्रयोग में लाती हैं । उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र यथा- गोरखपुर, मऊ, वाराणसी, आजमगढ़ आदि में सामान्यतः लोग धोती, कुर्ता, गमछा धारण करते हैं । स्त्रियाँ सूत की साड़ियाँ पहनती हैं । इस परिक्षेत्र में हथकरघा से वस्त्र बनाये जाते हैं । हथकरघा से वस्त्र निर्माण में मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर अग्रणी हैं।
अतः इस क्षेत्र के व्यक्ति धोती , कुर्ता के अलावा हथकरघा से निर्मित गमछा भी धारण करते हैं। उत्तर प्रदेश के मस्लिम बहुल क्षेत्रो यथा - रामपुर , अलीगढ़ , लखनऊ आदि के मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग परम्परागत रूप में शेरवानी, कुर्ता, टोपी, अचकन आदि पहनते हैं । इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की महिलायें प्रायः सूट, सलवार, लंहगा आदि पहनती हैं ।
हालाँकि आजकल उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहरी लोग पाश्चात्य वस्त्रों को पहनते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोगों का झुकाव परम्परिक वस्त्रों की ओर है । इन ग्रामीण लोगों ने ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की ग्राम्य संस्कृति को वस्त्र के माध्यम से सहेजकर रखा है ।
उत्तर प्रदेश के पारम्परिक वस्त्रों में अन्तःवस्त्र भी आते हैं । उत्तर प्रदेश के पुरुष प्रायः जांघिया पहनते हैं । जो कि साधारणतया पटरे वाले कपड़े का बना होता है। गाँव के युवक इस पटरे वाले कपड़े का पजामा भी पहनते हैं । ग्रामीण क्षेत्रों के नवयुवक कौपीन ( लंगोटी ) भी धारण करते हैं ।
प्रायः शारीरिक गतिविधियों में अभिरुचि रखने वाले युवक कौपीन धारण करते हैं । ग्रामीण पुरुष ऊपर सूती वस्त्र से बना जेब वाला बनियान पहनते हैं जो कि प्रायः सफेद होता है । उत्तर प्रदेश के कुछ लोग घर पर लुंगी भी धारण करते हैं जो कि प्रायः चेकदार होती है ।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश की महिलायें साड़ी के ऊपर बड़ा ब्लाऊज पूरी बांह का पहनती हैं । महिलायें प्रायः साड़ी के रंग के अनुरूप पेटीकोट भी साडी के पहले पहनती हैं । उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में साड़ी ब्लाउज के ऊपर महिलायें ओढ़नी भी ओढ़ती हैं ।
उत्तर प्रदेश में शिशुओं के परम्परागत वस्त्रों में गाठन तथा लपेटने वाला वस्त्र या किमोनो आता है । छह महीने के ऊपर के शिशु के लिए झवला , डबल ब्रेस्ट की कमीज , बिना बाजू की डायपर, पिन बैक वाली सिल्प ऑन , लंगोट आदि प्रयुक्त किये जाते हैं ।
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