वृद्धावस्था में पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ | Nutritional needs in old age in Hindi
वृद्धावस्था में पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ –
वृद्धावस्था में पोषक आवश्यकता प्रौढ़ावस्था के समान ही होती हैं लेकिन आधारीय चयापचय की दर कम हो जाने से ऊर्जा की कम आवश्यकता पड़ती है तथा थायमिन भी कम मात्रा में आवश्यक होती है ।
( i ) ऊर्जा
पच्चीस साल की आयु तक आधारीय चयापचय की दर बढ़ती है लेकिन पच्चीस साल के बाद आधारीय चयापचय की दर निरन्तर कम होने लगती है । साठ साल की आयु के बाद यह काफी तीव्र गति से कम होने लगती
( ii ) प्रोटीन
इस अवस्था में प्रोटीन की आवश्यकता उतनी ही होती है जितनी कि प्रौढ़ अवस्था में अर्थात् एक ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम शारीरिक भार । वृद्धावस्था में शरीर के अन्दर नयी कोशिकाएँ अधिक नहीं बनती बल्कि कोशिकाओं की टूट-फूट पहले से अधिक हो जाती है इसलिए प्रोटीन की आवश्यकता में कोई अन्तर नहीं आता है ।
( iii ) कार्बोहाइड्रेट
आहार में ऊर्जा की कमी करने के लिए कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ भी कम मात्रा में लेने चाहिए ।
( iv ) वसा
वृद्धावस्था में वसा की अधिक मात्रा दो प्रकार से हानिकारक है —
पहला, आहार में अधिक वसा का इस्तेमाल करने से ज्यादा कैलोरी शरीर में पहुँचेगी जो कि वसा के रूप में शरीर में एकत्रित होती जायेगी जिससे शारीरिक भार में वृद्धि होने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जायेंगी ।
दूसरा, अधिक मात्रा में वसा लेने से धमनियाँ मोटी हो जाती हैं जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु नहीं रह पाता जिससे हृदय सम्बन्धी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
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