फिटिंग समस्याएँ क्या होती हैं? फिटिंग में आई गड़बड़ियों से कैसे निजात पाया जा सकता है ?
परिधान फिटिंग समस्याएँ: परिधान रचना में फिटिंग अति महत्त्वपूर्ण होती है। कितना ही बहुमूल्य वस्त्र क्यों नहीं यदि उसकी फिटिंग सही न हो तो ऐसा परिधान सुन्दर नहीं लगता है। प्रायः परिधान के निर्माण के पश्चात् फिटिंग समस्यायें आती हैं जिसका प्रमुख कारण शरीर के विभिन्न भागों की सही नाप नहीं लेना है। परिधान का कपड़ा काटते समय प्रायः शरीर रचना सम्बन्धी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
सही नाप लेना सुन्दर परिधान रचना के लिये आवश्यक है। वस्तुतः सही नाप लेना अभ्यास द्वारा आता है। परिधान रचना के पश्चात् प्रायः वस्व छोटा, बड़ा, कसा, ढीला हो जाता है। कभी-कभी वस्व झोल भी मार देता है। कभी-कभी परिधान रचना के लिये कपड़ा कम पड़ जाने के कारण भी फिटिंग समस्या आ जाती है। परिधान कभी-कभी रचना के बाद सिकुड़ने के कारण छोटा हो जाता है।
अतः कपड़ा सिलने से पूर्व उसे एक बार धोकर ही सिलना उपुयक्त होता है। परिधान रचना से पूर्व प्रायः ब्राउन पेपर पर नमूना नहीं काटा जाता है। इससे भी बाद में फिटिंग समस्या आती है। उचित सिलाई के अभाव में भी फिटिंग समस्याये आती हैं। सिलाई के लिये सीधे पक्की सिलाई करने से भी फिटिंग समस्यायें आती है ।
1. परिधान रचना के लिये शरीर की प्रामाणिक रचना का शान होना अत्यावश्यक है।
इस शरीर की प्रामाणिक रचना के ज्ञान का प्रयोग कपड़ा काटते समय अवश्यमेव ही रखना चाहिये। यथा ब्लाउज की फिटिंग सही तभी हो सकती है जब स्तनों की गोलाई के अनुरूप सही कपड़ा काटा जाये। यदि ब्लाउज की फिटिंग में गड़बड़ी हो जाये तो सिलाई को उधेड़कर पुनः सही माप के अनुरूप सुधार कर पुनः सिलाई कर उचित फिटिंग को प्राप्त किया जा सकता है।
2. नाप लेते समय हमेशा प्रत्यक्ष विधि का प्रयोग किया जाना चाहिये।
प्रायः कपड़े के नाप के आधार पर बनाये गये वस्त्रों में फिटिंग समस्या ज्यादा आती है। जो कपड़े फिट बैठते हों उन्हें नाप के लिये प्रयुक्त करने पर भी फिटिंग समस्या आ जाती है। अतः प्रत्यक्ष विधि से नाप लेते समय क्रमानुसार आगे बढ़ना चाहिये। यदि फिटिंग समस्या फिर भी आती है तो पुनः सही माप लेकर उसकी फिटिंग सही कर देनी चाहिये।
3. कभी-कभी परिधान रचना के समय कम कपड़े से समस्या आती है अतः कपड़ा खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि कपड़ा नाप के अनुसार पूरा हो। यदि कम कपड़े के कारण फिटिंग समस्या हो तो उसकी कपड़े को बोड़ और मंगाकर सिलाई के माध्यम से। फिटिंग कर देनी चाहिये।
4. हर व्यक्ति को अपनी शारीरिक आकृति के अनुसार वस्त्र निर्मित करा चाहिये।
कभी-कभी फिटिंग ठीक होने के बावजूद भी परिधान सुन्दर एवं आकर्वर नहीं लगते हैं। ऐसा रंगों में कुशल प्रबन्धन द्वारा ठीक किया जा सकता है।
5. परिधान रचना के समय यह ध्यान देना चाहिये कि शरीर का कौन-स हिस्सा बेहब है, वह नाप के अनुरूप किस प्रकार छिपाया जा सकता है। इस साथ-ही-साथ यह देख लेना भी हितकारी रहता है कि कौन-सा भाग सुन्दर प्रती होता है। फिटिंग में सुन्दर भाग के सौन्दर्य को निखारा जा सकता है वहीं भाग को वस्त्र द्वारा छिपाया जा सकता है।
6. मुख्य परिधान के लिये वस्त्र खरीदते समय अन्य वस्वों के खण्ड जो नमूने बनाने में प्रयुक्त होते हैं उन्हें भी खरीद लेना चाहिये। महीन कपड़ों के पी। लगाये जाने वाले अस्तर के अनुरूप कपड़ा भी मुख्य कपड़े के रंग के अनुरू खरीदना ठीक रहता है। किशोरियों के कपड़े की बाँह बनाने के लिये अनुरूप नै भी साथ ही खरीदना चाहिये। अस्तर एवं मेट का कपड़ा नाप के अनुरूप ए मुख्य कपड़े के रंग को ध्यान में रखते हुये खरीदना चाहिये।
7. परिधान रचना से पूर्व कपड़े की सिकुड़न की जाँच कर लेनी चाहिये
बिना सुकड़न की जाँच किये परिधान की रचना करने से फिटिंग समस्या सकती है। समस्याय आती हैं। फिटिंग में आई गड़बड़ियों से निजात के उपाय-फिटिंग में आई गड़बड़ियों सों निजात पाने के निम्नलिखित उपाय हैं-
8. कोट, कमीज, कुर्ता आदि बस्त्रो को ताना रखकर काटना अनिवार्य है, क्योंकि ताना रखकर काटने पर ही वस्व उचित ढंग से लटकता है आस्तीन में भी लाने के सूतों को कन्धों से कलाई तक लयबद्ध रुख में ही रखन चाहिये। ऐसा न करने से उचित लटकने के अभाव में वस्व की शोभा में गिराक आ जाती है।
9. फिटिंग समस्या से बचने के लिये परिधान काटने से पूर्व ब्राउन पेपर उसका नमूना लेना चाहिये। यह भी आवश्यक है कि परिधान के टुकड़े उचित मा के काटे जाय तभी फिटिंग ठीक आती है।
10. उचित सिलाई के अभाव में भी परिधान में झोल आ जाता है. फिटिंग को प्रभावित करता है। अतः परिधान रचना के समय उचित सिलाई कला पर ध्यान देना चाहिये।
- Infancy: शैशवावस्था में पोषण की आवश्यकता क्यों होती है ?
- Vitamin A: विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रोग
- कपड़े की फिटिंग समस्या को दूर कैसे करे?
- तौलिये का चयन कैसे करें? | How to choose towels?
- चादरों का चयन कैसे करें?
- पिलो कवर कैसा होना चाहिए?
- कुशन कवर क्या होता है? | What is a cushion cover?
- उत्तर प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र