गर्भवती का आहार कैसा होना चाहिए ? What should be the diet of a pregnant woman?
गर्भकालीन अवस्था में एक साथ दो मानव शरीरों का पोषण होता है । माँ जो भोजन लेती है उससे ही गर्भस्थ जीव भी पोषण प्राप्त करता है । अतः गर्भवती माँ का आहार ऐसा होना चाहिए जो गर्भवती माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए उपयुक्त हो ।
सम्पूर्ण गर्भकालीन अवस्था में शिशु के आकार व भार में वृद्धि का सम्पूर्ण दायित्व माँ के पोषण का होता है । एक सामान्य शिशु किलोग्राम तक होता है और इतना ही वजन पानी की थैली , प्लेसेण्टा तथा बढ़े हुए गर्भाशय का होता है । इस प्रकार सम्पूर्ण गर्भकाल में 9 से 10 किलोग्राम तक भार बढ़ता है । इस भार के बढ़ने की दर 250 से 500 ग्राम प्रति सप्ताह होती है ।
अतः प्रत्येक गर्भवती स्त्री को इस भार क्रम को नियमित रखने का प्रयास करना चाहिए जो कि केवल संतुलित और उत्तम पोषण द्वारा ही संभव है । 2 गर्भकालीन आहार के सम्बन्ध में यह भ्रामक अवधारणा है कि यदि गर्भवती माँ को कम आहार दिया जायेगा तो भ्रूण छोटा होगा और प्रसव में कोई परेशानी नहीं होगी । किन्तु यह अवधारणा गलत है शिशु अपना पोषण माँ के शरीर से ही करता है ।
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गर्भवती महिला के लिए पौष्टिक भोजन |
इसलिए गर्भवती माँ का आहार ऐसा होना चाहिए जो शिशु शरीर की पोषणीय माँ को भी पूरा कर सके । गर्भवती माँ जो भोजन लेती है उसमें विद्यमान पौष्टिक तत्त्व पाचन के बाद रक्त में मिल जाते हैं और रक्त के साथ ये पौष्टिक तत्त्व शिशु शरीर में पहुँच जाते हैं ।
अगर माँग के रक्त में पर्याप्त मात्रा में शरीर निर्माणक पौष्टिक तत्त्व ( प्रोटीन ) विद्यमान होती है तो शिशु शरीर की समुचित वृद्धि व विकास होता है और अगर माँ के आहार में पौष्टिक तत्त्वों की अपर्याप्तता होती है तो माँ के शरीर में संगृहीत पौष्टिक तत्त्व निकलकर खून में मिल जाते हैं और शिशु की शारीरिक माँग को पूरा करते हैं जिससे माँ के शरीर में पौष्टिक तत्त्वों की कमी हो जाती है अतः गर्भवती स्त्री को एक सामान्य स्त्री की तुलना में अधिक पौष्टिक तत्त्व युक्त भोजन की आवश्यकता होती है ।
गर्भवती का आहार संतुलित व पौष्टिक होने से गर्भकालीन कठिनाइयाँ कम हो जाती हैं , प्रसव सामान्य होता है तथा गर्भस्थ शिशु का भी समुचित विकास होता है । अतः भ्रूण के समुचित विकास और निर्माण हेतु आहार में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन , कार्बोज , खनिज लवण ( कैल्शियम , फास्फोरस , लौह लवण , आयोडीन ) और सभी विटामिन सम्मिलित होने चाहिए क्योंकि ये तत्त्व भ्रूण के निर्माण व स्वास्थ्य रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाते हैं ।
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