कढ़ाई के प्रमुख टांकों की विवेचना कीजिए।

कढ़ाई के प्रमुख टांकों की विवेचना कीजिए।

(1) उल्टा बखिया

डिजाइन की रेखा के साथ-साथ बायीं से दायीं ओर थोड़े से तिरछे नियमित टाँके लेते हुए काम करें। धागा हमेशा पहले टांके की बायीं ओर निकलता है। यह टंका फूलों के तने, रूप रेखा आदि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। इसे भराव (filling) के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है। किसी आकृति में उल्टे बखिए की कतारें पास-पास बनाई जाती है, जब तक कि वह आकृति पूरी नहीं भर जाती।

कढ़ाई के प्रमुख टांकों की विवेचना कीजिए।


(2) सीधा टांका अथवा इकहरी भराई का टांका

ये नियमित अथवा अनियमित ढंग से समान इकहरी दूरी द्वारा दर्शाए जाते हैं। कभी-कभी ये टांके विभिन्न आकारों के भी होते हैं। टांके न ही अधिक लम्बे और न ही अधिक ढीले होने चाहिए।


(3) भराई का टांका

चित्र में दिखाए अनुसार सीधे टांकों के साथ प्रारम्भ करके आकृति में पास-पास टांके भरो। यदि आवश्यक हो तो पहले कच्चे अथवा जंजीरी टांके से नीचे पैडिग करने के लिए काम किया जाता है जिससे डिजाइन उभरा हुआ दिखाई देता है। साफ किनारा बनाने की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। ज्यादा बड़े-बड़े टांके नहीं बनाने चाहिए क्योंकि वे खिंच सकते हैं।


(4) लम्बे तथा छोटे टांके (Long and short stitches)

इस प्रकार भराई के टांके को यह नाम इसलिए दिया गया है कि क्योंकि सभी टांके विभिन्न लम्बाइयों के होते हैं। ये प्रायः बहुत बड़ी अथवा बहुत अनियमित आकृति जो कि भराई के टांके द्वारा नहीं बनाई जा सकती, को भरने के लिए प्रयुक्त होते हैं।


इसका प्रयोग रेखाच्छादित प्रभाव (shaded effect) प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पहली कतारों में टांके बारी-बारी से बड़े और छोटे होते हैं तथा आकृति के रूपरेखा के अनुसार होते हैं। अगली कतारों में टांकों को इस तरह भरा जाता है कि वे समतल दिखाई दें।


(5) मच्छी टांका

बायीं तरफ से निचली लाइन से सूई को बाहर निकालें तथा थोड़ा बायीं ओर छोटा टांका भरते हुए सूई के नीचे से धागे के साथ दायीं तरफ की ओर ऊपरी लाइन में डालों इसके बाद सूई को निचली लाइन में थोड़ा दायीए तरफ डालें तथा धागे को सूई के ऊपर से लेते हुए एक छोटा टांका बायीं ओर डालीं।


उत्तम प्रभाव करने के लिए इन दो गतिविधियों को अन्त तक दोहराएँ। सूई द्वारा उठाए गए, वस्त्र तथा टांकों के बीच का स्थान समान होना चाहिए इस टांके को मिलते-जुलते अथवा विपरीत धागे द्वारा किनारे बनाए जाते हैं। किनारे बनाते हुए गोल तथा नुकीली सूई का प्रयोग करना चाहिए तथा वस्त्र को ऊपर की ओर नहीं उठाना चाहिए।


(6) क्रास टांका (Cross Stitch)

क्रॉस के निचली बाईं लाईन से कूई को निकालें तथा टांके को वस्त्र के निचली बायीं लाइन में से लेते हुए उसी लाईन के सिरे में डालें। लाईन के अन्त तक इस प्रकार लगातार करते जाएँ। क्रास का दूसरा आधा भाग पूरा करो। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक टांके का ऊपरी आधा हिस्सा एक ही दिशा में हो।


(7) पंखों वाला टांका

सिरे के मध्य से सूई को निकालें। बाएँ हाथ के अंगूठे से धागे को नीचे की ओर पकड़े तथा उसी स्तर (लैवल) पर थोड़ा दायीं और सूई को डालो तथा नीचे से मध्य की ओर धागे को सूई के सिरे के नीचे रखते हुए एक छोटा टांका लो। बाद में सूई को थोड़ा बायीं ओर उसी स्तर पर डालो तथा धागे को सूई के सिरे के नीचे की ओर रखते हुए एक टांका मध्य की ओर लो। इन दो गतियों को बारी-बारी से दोहराएँ। दोहरा पंखों वाला टांका दिखाया गया है जिसमें दो टांके बायीं ओर बायीं ओर बारी-बारी से लिए गए हैं।


(8) जंजीरी टांका

लाइन के सिरे पर धागा बाहर निकालें और बाएँ हाथ के अंगूठे से ऐसे दबाओ जहाँ से सूई निकाली थी वहीं पर उसको डालो तथा थोड़ी सी दूरी से इसके सिरे का बाहर निकालें। धागे को सूई की नॉक के नीचे रखते हुए बीच में से निकालें।


(9) डेजी टांका अथवा खुला हुआ जंजीरी टांका

जंजीरी टांके के समान काम करो परन्तु प्रत्येक लूप को निचले सिरे पर एक छोटे टांके के साथ कस दो। इस टांके को अकेले या समूह में फूल की पत्तियाँ बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।


(10) फ्रेंच नाट

धागे को आवश्यक स्थान पर लाएँ। बाएँ हाथ के अंगूठे से धागे को नीचे दबाएँ तथा धागे को सूई पर दो बार लपेटें । धागे को मजबूती से पकड़े हुए ही सूई को प्रारम्भिक बिन्दु पर घुमाएँ तथा जहाँ से धागा पहले निकला था उसके पास में ही सुई को डाल दें। (तीर का निशान देखिये)। पीछे की ओर से धागे का खींचे। इस प्रकार एक फ्रेंच नॉट प्राप्त होती है। अब अगले टांके लिए (B) स्थिति में सूई को निकाले।


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