घरेलू वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
घरेलू वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वस्त्रों या परिधानों का चुनाव एक जटिल और दुष्कर कार्य है, इसलिए मात्र गृहिणी ही नहीं, अपितु सभी उपभोक्ताओं को अनिवार्य रूप से वस्त्रों का चुनाव करते समय निम्नांकित बातों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, अन्यथा उनको इस सन्दर्भ में निश्चय ही शोखा और हानि उठाने को बाध्य होना चाहिये।
1. उद्देश्य और प्रयोजन (Purpose & Suitability)
प्रत्येक कुशल गृहिणी तथा सामान्य उपभोक्ता को किसी भी प्रकार का वस्त्र अथवा परिधान खरीदते समय इस तथ्य पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, कि खरीदा जाने वाला वस्त्र वस्तुतः किस उद्देश्य और प्रयोजन से सम्बन्धित है। घर-गृहस्थी के लिए वस्त्रों को प्रयोजनानुसार ही खरीदा जाना चाहिए, अन्यथा व्यर्थ में समय, धन और श्रम का दुरुपयोग होता है। सामान्यतया देखा जाता है कि उद्देश्यविहीन अथवा निष्प्रयोजन खरीदा गया वस्व उद्देश्य पूर्ति न कर सकने के परिणामस्वरूप कुछ ही समयोपरान्त अनुपुयक्त हो जाता है।
2. टिकाऊपन (Durability)
प्रत्येक कुशल गृहिणी को वस्त्र खरीदते समय उसकी मजबूती और टिकाऊपन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वस्त्रों के टिकाऊपन के सन्दर्भ में वस्त्रों के रंगों का पक्का होना, वस्त्र की बुनाई यथावत् बना रहना तथा वस्त्र का अधिकतम समय पर उपयोग होते रहना आदि तत्त्व सम्मिलित होते हैं।
3. समुचित और पक्के रंग (Proper & Fast Colours)
विभिन्न प्रकार के रंग मानव जीवन में एक विशिष्ट प्रभाव अंकित करते हैं तथा मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति भी करते हैं। प्रत्येक कुशल गृहिणी को वस्त्र खरीदते समय इस तथ्य का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि खरीदे जा रहे वस्त्र का रंग व्यक्ति की त्वचा, रहने के स्थान तथा मौसम और ऋतु के अनुकूल ही हो।
इसके अतिरिक्त उसे इसका भी पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना चाहिए कि किस विधि से वस्त्रों की रंगाई करना अधिक उपयुक्त होगा, कौन-कौन से रंग वस्त्रों पर पक्के चढ़ते हैं और कौन-कौन से कच्चे चढ़ते हैं, या कौन-कौन से रंग तीव्र धूप, प्रकाश और पसीने के फलस्वरूप कच्चे या हल्के हो जाते हैं।
4. कार्यक्षमता (Service ability)
वस्त्र खरीदते समय गृहिणी को इस तथ्य पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि खरीदा जाने वाला वस्त्र वस्तुतः किस विशिष्ट कार्य हेतु है। उदाहरणार्थ-कमीज अथवा पैन्ट का कपड़ा, कुर्ते का कपड़ा, मेज के कवर हेतु कपड़ा अथवा खिड़कियों पर टांगा जाने वाला कपड़ा आदि।
खरीदा जाने वाला कपड़ा भले ही किसी भी कार्य हेतु क्यों न खरीदा जा रहा हो, वह दीर्घकाल की अवधि तक आवश्यक उपयोग किया जाये अर्थात् कपड़े में कार्यक्षमता सम्बन्धी गुण अवश्य निहित हो। प्रत्येक गृहिणी को कपड़ा क्रय करते समय इस तथ्य पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि वह गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरे और उसकी कार्यक्षमता भी उत्तम कोटि की हो।
5. मौसम तथा ऋतुओं की अनुकूलता (Suitability of Climate & Weather)
प्रत्येक गृहिणी को अनिवार्य रूप से वस्त्रों की खरीददारी के पूर्व यह तथ्य भी ध्यान रखना चाहिए कि खरीदे जा रहे वस्त्र वस्तुतः मौसम तथा वस्तुओं के अनुकूल है अथवा नहीं। इसका प्रमुख कारण है कि वस्त्र ही मानवीय शरीर के प्रमुख आवरण रक्षक है तथा वस्त्र ही मानव शरीर को गर्मी, बरसात, सर्दी और कड़ी धूप आदि से सुरक्षित रखकर शरीर का तापक्रम सामान्य बनाए रखते हैं।
ऋतु और मौसम के अनुसार वस्त्र धारण करने वालो को स्वयं तो सूख और आराम की अनुभूति होती है, इसके साथ-साथ वे देखने वालों को भी अच्छे प्रतीत होते हैं। गर्मी के मौसम में पहनने वाले वस्त्रों का रंग हल्का और सफेद होना चाहिए, जिससे शरीर का पसीना शोषित हो सके, जबकि सर्दी में प्रयोग किये जाने वाले वस्वों का रंग गहरा और उनको ऊनी तथा भारी भी होना चाहिए।
6. वस्त्रों की सफाई तथा धुलाई (Washing & cleaning of clothes)
नित्य-प्रति उपयोग किये जाने वाले की धुलाई नियमित रूप से की जाती है, जबकि यदा-कदा कपड़ों को कभी-कभार ही धोना पड़ता है।
प्रत्येक कुशल गृहिणी को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि धुलाई की प्रक्रिया किस प्रकार का प्रभाव कपड़े पर अंकित करती है, किस कपड़े को कितनी देर तक पानी में भिगोया जाये और धोया जाने वाला कपड़ा पानी में भीगने पर कहीं सिकुड़ तो नहीं जाता है आदि वस्त्रों की धुलाई-सफाई प्रक्रिया में किस-किस प्रकार के क्षारीय और अम्लीय शोधक पदार्थों का प्रयोग किया जाये तथा वस्त्रों की धुनाई में रगड़ने-पटकने की क्रिया क्या प्रभाव डालते है।
इसके अतिरिक्त गृहिणी का वस्त्रों पर साबुन का प्रभाव, वस्त्र धोने की विधियों, वस्त्रों को सुखाने की विधियों तथा टांगने की विधियों से उत्पन्न प्रभाव का विशद् ज्ञान होना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप वस्त्रों को सुरक्षित विधि से धोया जा सकेगा। इससे धुले वस्त्र सदैव चित्ताकर्षक प्रतीत होंगे।
7. उचित मूल्य (Proper Price)
प्रत्येक गृहिणी के मासिक बजट में वस्त्र एक अत्यधिक आवश्यक और महंगी वस्तु होती है। इसलिए प्रत्येक गृहिणी को वस्त्र की खरीददारी करते समय अपने मासिक बजट के अनुसार आय वाले वस्त्र ही खरीदने का प्रयास करना चाहिए और भी संक्षेप में यह भी कहा जा सकता है कि बाजार में बिकने वाले कपड़े के थान पर छपी मोहर अथवा लेबल देख-समझकर सदैव उत्तमकोटि का कपड़ा ही खरीदना चाहिए।
8. प्रचलित फैशन (Current Fashion)
वर्तमान समय में सर्वत्र नवीनतम डिजाइन और फैशन का साम्राज्य स्थापित है, इसलिए प्रत्येक गृहिणी को वस्त्रों की खरीददारी के पूर्व अपने समाज में प्रचलित फैशन का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। फैशन समयानुसार तीव्रता पूर्वक बदलता रहता है, इसलिए इस सन्दर्भ में विशेष और विशद् जानकारी प्राप्त करना गृहिणियों के लिए सदैव हितकर सिद्ध होगा।
प्रत्येक गृहिणी को यह ज्ञात होना ही चाहिए कि किस रूप रंग के शरीर या आकृति वाले व्यक्ति पर किस प्रकार का परिधान खिलेगा और किस पर नहीं अथवा कौन-कौन से वस्त्र व्यक्ति विशेष को फैशनानुसार सूट (Suit) करते हैं और कौन-कौन से नहीं।
9. वस्त्रों की समुचित देख-रेख, सुरक्षा तथा संरक्षण (Care Protection & Storage Clothes)
प्रत्येक कुशल गृहिणी को अनिवार्य रूप से विभिन्न प्रकार के वस्त्रों की समुचित देख-रेख, सुरक्षा तथा संरक्षण आदि की सम्पूर्ण जानकारी भी प्राप्त करनी चाहिए। पहनने के पश्चात् वस्त्रों को खूंटी या हँगर पर किस प्रकार से टांगा जाये कि उनकी आकृति (Shape) न बिगड़े तथा सन्दूक या आलमारी में रखे गये वस्त्रों की किस तरह से सुरक्षा की जाये जिससे इनमें कीड़े और फफूंदी न लगे आदि समस्याओं और बातों की जानकारी सभी गृहिणियों को वस्त्र खरीदने से पूर्व ही ज्ञात कर लेनी चाहिए। -
10. निर्माण की जानकारी (Knowledge of Textile Manufac turing)
प्रत्येक गृहिणी को वस्त्रों की खरीदारी के पूर्व वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया सम्बन्धी जानकारी यथा सम्भव प्राप्त करनी चाहिए, क्योंकि इसी जानकारी के आधार पर वह किसी भी वस्त्र में प्रयुक्त होने वाले सूत, तन्तु, धागे तथा वस्त्र की परिसज्जा और परिष्कृति सम्बन्धी प्रक्रिया को सरलतापूर्वक समझ जाती है। वस्त्र परखने की इस क्षमता के फलस्वरूप वह कभी भी वस्त्रों की खरीददारी में धोखा नहीं उठायेगी।
इसे भी पढ़े - शैशवावस्था में पोषण की आवश्यकता क्यों होती है ? इसे भी पढ़े - विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रोग इसे भी पढ़े - कपड़े की फिटिंग समस्या को दूर कैसे करे? इसे भी पढ़े - तौलिये का चयन कैसे करें? इसे भी पढ़े - चादरों का चयन कैसे करें? इसे भी पढ़े - पिलो कवर कैसा होना चाहिए? इसे भी पढ़े - कुशन कवर क्या होता है?
इसे भी पढ़े - वस्त्रों के काटने तथा सिलाई करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
इन्हें पढ़ना ना भूलें -
- प्रारंभिक स्कूल के बच्चे के लिए वस्त्रों के चयन पर एक टिप्पणी लिखिये।
- कढ़ाई के प्रमुख टांकों की विवेचना कीजिए।
- पेपरकटिंग - पेपरकटिंग की उपयोगिता व महत्त्व
- परिधान निर्माण के मूल सिद्धांत
- भारत की परम्परागत कढ़ाईयों में फुलकारी
- भारत के परम्परागत वस्त्र
- परिधान फिटिंग समस्याएँ क्या होती हैं?
- मधुमेह रोगी के लिये आहार
- गर्भवती का आहार कैसा होना चाहिए ?
- कॉलेज जाने वाली छात्रा का आहार
- विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रोग
- आहार चिकित्सा का महत्व
- उपचारात्मक आहार का महत्व
- परिधान के सिद्धान्त
- पिलो कवर कैसा होना चाहिए?
- विटामिन ( Vitamins )
- कपड़े की क्वालिटी कैसे चेक करें?
- ढाका की मलमल क्यों प्रसिद्ध है?
- उत्तर प्रदेश के पारंपरिक वस्त्र
- वस्त्र की ड्राफ्टिंग एवं कटिंग क्रिया
- वृद्धावस्था में पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ