शिक्षा के औपचारिक अभिकरण (Formal Agencies of Education)
शिक्षा के औपचारिक अभिकरण (Formal Agencies of Education): शिक्षा के औपचारिक अभिकरण एक निश्चित योजना के अनुसार होता है। इनका प्रयोग बालक के आचरण को रूपान्तरित करने के लिए किया जाता है। इसमें किसी संस्था द्वारा एक विशेष विधि एवं व्यवस्था के अनुसार किसी निश्चित उद्देश्य को सामने रखकर किसी विशेष काल एवं अवधि में दी जाती है।
प्रायः विद्यालय ही ऐसे प्रमुख औपचारिक साधन है जिसे समाज जानबूझकर स्थापित करता है कि वह ज्ञान के विकास में सहयोग दें और समाज के बालकों एवं प्रौदों को उन्नति के मार्ग पर ले जाएँ। इस प्रकार कहा जा सकता है कि औपचारिक अभिकरणों के द्वारा शिक्षा नियमित, सुव्यवस्थित, उपयुक्त सामग्रो तथा व्यक्ति के द्वारा विशेष अवस्था दशा तथा स्थान में एक पूर्व निश्चित पाठ्यक्रम तथा समय सारिणी का अनुसरण करके दी जाती है।
औपचारिक अभिकरण की विशेषताएँ (Characteristics of Formal Agency)
औपचारिक अभिकरण के निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-
1. औपचारिक अभिकरण के द्वारा शिक्षा निर्धारित समय में सम्पन्न होती है।
2. औपचारिक अभिकरण के द्वारा पाठ्यक्रम निश्चित होता है तथा इसे पूर्व निर्धारित समय में ही समाप्त कर दिया जाता है।
3. औपचारिक अभिकरण में शिक्षा नियोजित ढंग से दी जाती है।
4. औपचारिक अभिकरण में शिक्षार्थी शिक्षक की देख-रेख में शिक्षा प्राप्त करते हैं।
5. औपचारिक अभिकरण में प्रत्येक सोपान के निर्धारित पाठ्यक्रम की सयमाप्ति पर परीक्षा प्रणाली द्वारा शिक्षार्थी के ज्ञान का परीक्षण होता है। परीक्षण और मूल्यांकन निश्चित नियमों के अनुसार होता है।
6. औपचारिक अभिकरण में ज्ञानार्जन के लिए पुस्तकालय, वाचनालय, संग्रहालय, प्रयोगशाला आदि होते है। इनकी सहायता से शिक्षण कार्य को अधिक उपयोग तथा ज्ञानवर्द्धक बनाया जा सकता है।
7. औपचारिक अभिकरण में रिज्ञक्षा क्रमबद्ध तथा सोपानात्मक होती है।
8. औपचारिक अभिकरण द्वारा शिक्षा में शिथार्थी के व्यक्तित्व चतुर्मुखी विकास के लिए अनेक पाठ्य सहगामी क्रियायें जैसे- खेल-कूद, व्यायाम, वाद-विवाद, पर्यटन आदि होते हैं।
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