शिक्षण एवं अधिगम के बीच सम्बन्ध का वर्णन ( Describe the relationship between teaching and learning)
शिक्षण तथा अधिगम के सम्बन्ध का स्वरूप ( Structure of Teaching and Leaming Relationship )
शिक्षण तथा अधिगम के सम्बन्ध के स्वरूप को तीनों रूपों से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है -
1. शिक्षा प्रक्रिया के चार पक्षों के सम्बन्ध के रूप में- हासफोर्ड ने अपनी पुस्तक ' अनुदेशन सिद्धांत ' में शिक्षा के चार पक्षों का उल्लेख किया है । जिनके सम्बन्ध के स्वरूप के ये चार पक्ष निम्नलिखित है
1. अधिगम ( शिक्षार्थी ) - अधिगम प्रक्रिया के माध्यम में व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है ।
2. शिक्षण ( शिक्षक ) - शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से अधिगम में सुगमता प्रदान की जाती है ।
3. पाठ्यक्रम -पाठ्यक्रम प्रक्रिया में विद्यालयों द्वारा नियोजित अनुभवों को सम्मिलित किया जाता है ।
4. शैक्षिक आयोजन - शैक्षिक आयोजन में समस्त शैक्षिक अनुभवों की क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है । जो विद्यालय में या विद्यालय के बाहर की जाती है।
शिक्षा के चारों पक्षों में अन्तः प्रक्रिया का स्वरूप
शिक्षा के चारो पक्षों में अन्तःप्रक्रिया के स्वरूप निम्न रूप से होता है -
1. इसमें पाठ्यक्रम के उस पक्ष को शैक्षिक नियोजन में सम्मिलित किया जाता है जिसमें शिक्षक की आवश्यकता नहीं होती है ।
2. शैक्षिक नियोजन में छात्र बिना पाठ्यक्रम तथा शिक्षक के अन्तःप्रक्रिया होती है ।
3. इसमें शिक्षक, शिक्षार्थी तथा पाठ्यक्रम के मध्य शैक्षिक आयोजन के द्वारा अन्तःप्रक्रिया होती है ।
4. इसमें शिक्षक तथा पाठ्यक्रम के मध्य शैक्षिक आयोजन के द्वारा अन्तःप्रक्रिया होती है ।
5. पाठ्यक्रम के बिना ही शिक्षक तथा शिक्षार्थी में शैक्षिक आयोजन से अन्तःप्रक्रिया होती है ।
6. शिक्षक का व्यवहार बिना पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक आयोजन के होता है ।
7. पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक आयोजन में प्रयोग न किया जाय और न छात्रों तक पहुंच सके ।
8. पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक आयोजन की अंतःक्रिया जो छात्र तक नहीं पहुंचती है ।
9. शैक्षिक आयोजन का वह कार्यक्रम जिसे प्रयुक्त न किया जा सके । शैक्षिक आयोजन , शिक्षण तथा अधिगम के द्वारा शिक्षार्थी का समस्त अधिगम नहीं होता । इसमें शिक्षार्थी के उन अधिगमों को भी सम्मिलित किया जाता है जो अन्य माध्यमों से होता है ।
2. शिक्षण अधिगम के सम्बन्ध की मनोवैज्ञानिक रूपरेखा
बर्नाड ने शिक्षण-अधिगम सम्बन्ध के स्वरूप को निम्न चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया है छात्र अधिगम परिस्थिति प्रक्रिया शिक्षक बनार्ड द्वारा प्रस्तुत इस चित्र से स्पष्ट होता है कि शिक्षण तथा अधिगम के सम्बन्ध के लिए व्यापक रूप से अधिगम परिस्थितियां महत्वपूर्ण घटक होती हैं । इसके पश्चात शिक्षण की क्रियायें अधिगम प्रक्रिया का संचालन करती हैं जिनमें छात्र अपने अनुभवों एवं क्रियायों द्वारा व्यवहार में परिवर्तन होता है । शिक्षण और अधिगम के क्रियाओं के समन्वय से बालक का विकास होता है । छात्रों के विकास के लिए शिक्षण और अधिगम की क्रियाओं का समन्वय ही उत्तरदायी होता है ।
3. शिक्षण अधिगम सम्बन्ध के घटक
अधिगम के उद्देश्य ही शिक्षण तथा अधिगम के उद्देश्य के लिए उत्तरदायी होते हैं । उद्देश्यों के माध्यम से ही कक्षा में शिक्षण तथा अधिगम में संबंध स्थापित होते हैं । शिक्षण तथा अधिगम के सम्बन्ध को निम्नतालिका द्वारा समझा जा सकता है-
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि शिक्षण उद्देश्यों, अधिगम स्वरूपों तथा शिक्षण स्तरों के क्रम में घनिष्ठ समानता होती है तथा अधिगम उद्देश्य , अधिगम का स्वरूप तथा शिक्षण स्तर के लिए ' पूर्व आवश्यकता ' पिछले की होती है यथा- बोध स्तर के विकास के लिए स्मृति स्तर शिक्षण पूर्व आवश्यकता होती है। बोध उद्देश्य के लिए ज्ञान उद्देश्य पूर्व आवश्यकता होती है । इसी प्रकार प्रत्यय अधिगम के लिए बहुभेदीय अधिगम पूर्व आवश्यकता होती है ।
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