बालक पर समुदाय के शैक्षिक प्रभाव का वर्णन कीजिए।
बालक पर समुदाय का शैक्षिक प्रभाव :- प्रत्येक समुदाय बालक पर औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के प्रभाव डालता है। निम्नलिखित पंक्तियों में हम बालक पर समुदाय के औपचारिक प्रभावों पर प्रकाश डाल रहे हैं-
1. शारीरिक विकास पर प्रभाव
यूँ तो बालक के शारीरिक विकास पर परिवार तथा स्कूल आदि संस्थाओं का भी गहरा प्रभाव पड़ता है। परन्तु इस सम्बन्ध में समुदाय के वातावरण का प्रभाव भी कुछ कम नहीं पड़ता है। समुदाय स्थानीय संस्थाओं का निर्माण करता है। ऐसी संस्थाएं गांवों तथा नगरों के मोहल्लों एवं गली-कूचों में सफाई का प्रबन्ध करती है और जगह-जगह पर बागों एवं पार्को की व्यवस्था करती है। साफ और स्वच्छ वातावरण में रहने से बालक में सफाई की आदत पड़ जाती है तथा बागों एवं पार्कों के खुले वातावरण में खेलने-कूदने, भागने-दौड़ने और घुमने-फिरने से बालक को स्वच्छ एवं परिवत्र वायु प्राप्त होती है। सफाई में रहने तथा स्वच्छ एवं परिवत्र वायु प्राप्त होती है। सफाई में रहने तथा स्वच्छ एवं परिवत्र वायु प्राप्त होती है। सफाई में रहने तथा स्वच्छ एवं परिवत्र बायु मिलने से बालक का स्वास्थ्य ठीक्क रहता है। इससे उसका सम्यक शारीरिक विकास होता है। यही नहीं, समुदाय संगठित स्वास्थ्य केन्द्रों तथा चिकित्सालयों की भी व्यवस्था करता है इन स्थानों से बालक को भी स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास के विषय में पर्याप्त ज्ञान प्राप्त होता है। संक्षेप में, स्थानीय संस्था द्वारा व्यवस्थित किये हुए विभिन्न साफ स्वास्थ्य एवं रमणीय स्थानों तथा विभिन्न स्वास्थ्य सम्बन्धों संस्थाओं के द्वारा बालक के स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास पर शांतिशील प्रभाव पड़ता है।
2. मानसिक विकास पर प्रभाव
समुदाय जगह-जगह पर पुस्तकालयों की व्यवस्था करता है जिससे बालक के ज्ञान में वृद्धि होती है। यह नहीं, वह समय समय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं मुशायरों, कवि सम्मेलनों तथा नाना प्रकार की गोष्ठियों की भी व्यवस्था करता है। इन सबसे बालक का मनोरंजन भी होता है और मानसिक विकास भी।
3. सामाजिक विकास पर प्रभाव
समुदाय में समय-समय पर सामाजिक सम्मेलन, मेले तथा उत्सव एवं धार्मिक कार्य होते रहते हैं। बालक इन सब प्रसन्नतापूर्वक भाग लेते हुए समुदाय के विभिन व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित करता है। इस सब लोगों के साथ-साथ मिल जुलकर रहने से तथा कार्य करने से बालक में सामाजिकता को भावना विकसित हो जाती है।
इस सामाजिकता के विकसित होने से उनके सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं, मान्यताओं तथा विश्वासों एवं आदर्शों का ज्ञान प्राप्त होता है। इससे उसमें सहानुभूति, सहयोग, सहनशीलता, समाज सेवा एवं त्याग अनेक सामाजिक गुण का विकास हो जाता है।
यही नहीं, सामुदायिक वातावरण में रहते हुए उसे कर्तव्यों और अधिकारों तथा स्वतंत्रता एवं अनुशासन का भी वास्तविक अर्थ पता चल जाता है। और वह शैने-शैने जान लेता है कि अधिकारों तथा स्वतंत्रता के साथ अनुशासन परम आवश्यक है। इस प्रकार बालक के सामाजिक विकास पर भी समुदाय का गहरा प्रभाव पड़ता है।
4. सांस्कृतिक विकास पर प्रभाव
प्रत्येक समुदाय को अपनी निजी संस्कृति होती है। इन संस्कृक्ति की छाप समुदाय के प्रत्येक सदस्य पर लगी होती है। जब बालक समुदाय के सांस्कृतिक तथा धार्मिक उत्सवों में भाग लेता है अथवा समय-समय पर बड़े-बूढ़ों को अपनी संस्कृति का आदर एवं संरक्षण करते हुए देखता है तो अनुकरण द्वारा वह भी अनजाने हो उस समुदाय की संस्कृति को अपना लेता है।
यही कारण है कि प्रत्येक बालक पर उसकी समुदाय की बोलचाल, भाषा तथा आचरण की गहरी छाप लगी होती है। इस छाप के अन्तर को शहरी तथा ग्रामीण समुदाय के बालकों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। संक्षेप में, बालक के सांस्कृतिक विकास पर समुदाय की अमिट छाप लगी रहती है।
5. चारित्रिक तथा नैतिक विकास पर प्रभाव
यूँ तो बालक के चारित्रिक तथा नैतिक विकास पर परिवार का ही विशेष प्रभाव पड़ता है, परन्तु इस सम्बन्ध में समुदाय का प्रभाव भी कुछ कम नहीं पड़ता। यह प्रभाव अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी यदि समुदाय का वातावरण शुद्ध, अनुशासित एवं सरल होता है तो बालक के चारित्रिक एवं नैतिक गुण विकसित होते अन्यथा अनैतिक। इस प्रकार के नैतिक तथा अनैतिक चरित्र को परिवार के पश्चात् समुदाय ही प्रभावित करता है।
6. राजनीतिक विचारों पर प्रभाव
समुदाय के विभिन्न सदस्यों से वाद-विवाद करने, उठने-बैठने तथा नेताओं को भाषण को सुनाने से बालक को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं का ज्ञान हो जाता है। वह बिना किसी पुस्तक को पड़े हो जान लेता है कि संसार में कौन-कौन से राजनीतिक विचारधारायें मुख्य है। तथा किस-किस देश में कौन-कौन से राजनीतिक विचारधाराओं प्रचलित है इन्हीं राजनीतिक विचारधाराओं में से हो वह किसी एक स्वयं भी अपना लेता है। इस प्रकार समुदाय का राजनीतिक प्रभाव बालक के राजनीतिक विचारों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
7. व्यवसायिक विकास पर प्रभाव
समुदाय का प्रभाव बालक के व्यवसायिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। बालक यह देखता रहता है कि उसके समुदाय के लोग किस व्यवसाय के द्वारा अपनो आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। शैने-शनैः वह भी उसी व्यवसाय में रूचि लेने लगता है। अन्त में उसी व्यवसाय को वह स्वयं भी अपना लेता है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह बात देखने में आती हाती है कि यदि कोई बालक ऐसे व्यवसाय करने लगता है जिसे समुदाय नहीं चाहता, तो समुदाय उस बालक को उस समय तक के लिए बहिष्कृत कर देता है जब तक वह उस व्यवसाय को छोड़ नहीं देता। इस प्रकार समुदाय का बालक के व्यवसायिक विकास पर भी शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है।
8. अन्य साधनों के द्वारा प्रभाव
समुदाय बालक को शिक्षित करने के लिए रेडियो, सिनेमा, नाट्यशाला अभिनय केन्द्रों, अजायबघर, चित्रशालाओं तथा पत्र-पत्रिकाओं एवं वाचनालयों आदि अनौपचारिक साधनों की भी व्यवस्था करता है। इन साधनों के द्वारा बालक को समुदाय की विभिन्न समस्याओं तथा उनके सुलझाने के ढंगों का ज्ञान प्राप्त होता है। इस प्रकार समुदाय बालक पर अनौपचारिक साधनों के द्वारा ऐसे प्रभावों को डालता रहता है जिसने उसका सर्वागीण विकास होता है।
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