शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण में परिवार की विवेचना करते हुए उसकी विशेषताएं बताइए।
शिक्षा का अनौपचारिक (इनफारमल) अभिकरण । (Informal Agencies of Education)
शिक्षा के अनौपचारिक अभिकरण को अविधिक या सहज अभिकरण भी कहा जाता है। इनमें न तो कोई निश्चित योजना होती है और न ही कोई निश्चित नियम हो होते हैं। ये बालक के आचरण का रूपान्तरण करते हैं पर रूपान्तरण की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष, सहज तथा आकस्मिक रूप से होती है। यह जीवन में प्राप्त होने वाले प्रत्येक अनुभव द्वारा व्यक्ति का ज्ञानवर्द्धन करती है।
वास्तव में अनौपचारिक अभिकरण से प्राप्त होने वाली शिक्षा संपूर्ण जीवन के अनुभवों से सम्बन्धित होती है, इसमें कोई बन्धन नहीं होता, व्यक्ति समाज में रहते हुए शिक्षा प्राप्त करता हैं मनुष्य समाज में उठते-बैठने, चलते-फिरते, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते, यात्रा करते, खेल-कूदते व्यवसाय करते आदि के माध्यम से विभिन्न व्यक्तियों के संपर्क में आता है, और सहज तथा अविधिक शिक्षा प्राप्त करता है।
इस प्रकार के अभिकरण में न तो कोई पाठ्यक्रम होता है, न तो समय सारणी, न निश्चित नियम और न ही कोई शिक्षक ही होता है। स। पूर्ण समाज ही शिक्षा का अभिकरण में न तो कोई पाठ्यक्रम होता है, न तो समय सारणी, न निश्चित नियम और न ही कोई शिक्षक ही होता है।
संपूर्ण समाज हो शिक्षा का अभिकरण है। अनौपचारिक अभिकरएण बालक को अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा प्रदान करते हैं तथा इस अभिकरण से शिक्षा जीवन पर्यन्त चलती रहती है। अनौपचारिक अभिकरण के अन्तर्गत परिवार, समुदाय, राज्य, धर्म, जनसंचार के साधन आदि महत्वपूर्ण है। इनमें से कुछ प्रमुख का उल्लेख निम्नलिखित है -
1. परिवार (Family):
अनौपचारिक अभिकरण में परिवार का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण खेती है। परिवार समस्त मानव सम्बन्धों का मूल स्रोत है और समस्त सामाजिक संगठनों की आधारशिला है। परिवार का अर्थ उस सामाजिक समूह से है जिसमें माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन आदि के आपस में सम्बन्ध होते हैं। परिवारों का संगठन मूल रूप से यौन सम्बन्धों को स्थायी बनाने, बच्चों का पालन पोषण करने और जीवन को सुखपूर्वक जो के लिए किया जाता है।
मैकाइवर एवं पेज के अनुसार " परिवार इस समूह का नाम है जिसमें स्त्री-पुरुष, और यौन सम्बन्ध पर्याप्त रूप से निश्चित होता है और बच्चों को पैदा करने और उनके लालन-पालन की व्यवस्था की जाती है।"
"The Family is a group defined by sex relationship sufficiently precise and enduring to Provide for the Procreation and upbringing of the children." -Maciver and Page
क्लेयर के अनुसार - "परिवार से हम सम्बन्धों की वह व्यवस्था समझते हैं, जो माता-पिता और उसको सन्तानों के बीच में पाई जाती है।"
"By Family are mean a system of relationship existing between parents and Children." Clare
बालक की शिक्षा में परिवार का महत्वपूर्ण स्थान होता है। परिवार बच्चे की प्रथम पाठशाला के रूप में कार्य करता है। परिवार से बालक को जो शिक्षा मिलता है। वह उसके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। परिवार बालक की सामान्य शिक्षा हेतु उचित पर्यावरण प्रदान करता है परिवार बच्चों की विद्यालयो शिक्षा हेतु उचित व्यवस्था करने के साथ राज्य द्वारा निश्चित शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहयोग करता है।
परिवार बालक के शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सामाजिक विकास, सांस्कृतिक विकास, व्यवसायिक विकास, आध्यात्मिक विकास तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। परिवार बालक पर अपना स्थायी प्रभाव अंकित कर देता है। वह उसको जैसा चाहे वैसा बना सकता है परिवार का वातावरण बालाकें के व्यवहार को सुधारने के लिए उत्तरदायी होता है।
सम्बन्ध में रेमण्ट का कथन उल्लेखनीय है, उनके अनुसार "दो बच्चे भले ही एक ही विद्यालय पढ़ते हों, एक हो समान शिक्षकों से प्रभावित होते हों, एक ही समान शिक्षकों से प्रभावित होते हो, एक सा ही अध्. ययन करते हों, फिर भी वे अपने सामान्य ज्ञान, सूचियों, भाषण, व्यवहार और नैतिकता में अपने घरों के कारण, जहां वे आते हैं, पूर्णतः भिन्न हो सकते हैं।"
महात्मा गांधी ने भी परिवार को बच्चे की प्रथम पाठशाला और उसकी मां को प्रथम शिक्षक माना है। उनके अनुसार परिवार के प्रेम और पर्यावरण में दी जाने वाली शिक्षा स्वाभाविक और स्थायी होती है। अतः कहा जा सकता है कि परिवार के वातावरण का प्रभावित व्यक्ति के विकास के सभी स्तरों पर पड़ता है।
परिवार की विशेषताएँ
परिवार को निम्नलिखित विशेषताएं बताई जा सकती है-
1. सार्वभौमिकता (Universality):
परिवार नाम की संस्था सार्वभौमिक है यह समिति के रूप में प्रत्येक सामाजिक संगठन में पाई जाती है। यह संस्था प्रत्येक समाज चाहे वह किसी भी सामाजिक विकास की अवस्था में हीं पाई जाती रही है। प्रत्येक मनुष्य परिवार का सदस्य होता है और उसे भविष्य में रहना पड़ेगा। परिवार संगठन केवल मनुष्य में ही नहीं अपितु पशओं की अनेक जातियों में भी पाया जाता है।
2. सीमित आकार (Limited Size):
परिवार का आकार सीमित होता है उसके सीमित होने का प्रमुख कारण प्राणी शास्त्रीय दशाएँ हैं। इनका सदस्य बही व्यक्ति हो सकता है जो परिवार में पैदा हुआ हो या विवाद या गोद लेने से उनमें सम्मिलित हुआ हो। सामाजिक संगठन में तथा औपचारिक संगठन में परिवार सबसे छोटी इकाई है। की
3. भावात्मक आधार (Emotional Base):
यह समिति मानव अनेक स्वाभाविक मूल प्रवृत्तियों पर आधारित है परिवार की सदस्यता भावना से परिपूर्ण होती है। माता का प्रेम उसे बच्चों के लिए सब कुछ त्याग करने के लिए प्रेरित करता है। यह सब संवेदनात्मक भावना के कारण ही है। परिवार को बनाए रखने में इनका महत्वपूर्ण भाग है।
4. समाजीकरण की संस्था (Institution of Socialization):
परिवार का रचनात्मक प्रभाव भी होता है। यह मनुष्य का प्रथम सामाजिक पर्यावरण है। सर्वप्रथम मनुष्य इसी समिति में अपना सामाजीकरण करता है। मनुष्य पर जो संस्कार बचपन में पड़ जाते हैं वह अमिट रहते हैं। इन्हीं संस्कारों पर मनुष्य के व्यक्तित्व की रचना होती है।
5. सामाजिक निंयंत्रण (Social Control):-
परिवार द्वारा सामाजिक नियन्त्रण होता है परिवार मनुष्य को समाज की नियम एवं प्रथाएं सिखाता है। विवाह द्वारा निश्चित नियम बना दिए जाते हैं। दो भागीदार इन निश्चित नियमों में कोई परिवर्तन नहीं कर सकते है। अपनी इच्छा से एक दूसरे को नहीं छोड़ सकते हैं। परिवार का नियन्त्रण मुख्यतः प्रेम और भावना पर आधारित है।
6. सामाजिक ढ़ाचे की केन्द्रीय स्थिति (Central Position of the Social Structure):
परिवार सामाजिक ढाँचे को केन्द्रीय स्थिति में है। यह सामाजिक संगठन की प्रमुख इकाई है। संपूर्ण सामाजिक ढाँचा परिवार पर आधारित है। परिवार से अन्य सामाजिक संगठनों का विकास होता है।
7. सदस्यों का उत्तरदायित्व (Responsibility of Members ):-
परिवार के सदस्यों का उत्तरदायित्व सबसे अधिक होता है। परिवार एक प्राथमिक समूह है। प्राथमिक समूह के सम्बन्ध में कहा जा सकता है कि इनमें उत्तरदायित्व असीमित रहता है। परिवार के लिए मनुष्य हमेशा कार्य करता रहता है। वह इतना वयस्त रहता है कि परिवार ही उसके लिए सब कुछ हो जाता है। परिवार में महिलाएँ और पुरुष दोनों ही कठिन परिश्रम करते हैं। परिवार के प्रति उत्तरदायित्व की भावना मनुष्य स्वभाव में हो पाई जाती है।
8. स्थायी एवं अस्थायी प्रकृति (Permanent and Temporary Nature):-
परिवार समिति के रूप में अस्थायी है। पति-पत्नी मिलकर एक समिति का निर्माण करते हैं। लेकिन दोनों में से एक की मृत्यु हो जाने पर समिति समाप्त हो जाती है इस दृष्टिकोण से देखा जाय तो परिवार अस्थायी है। परन्तु परिवार को संस्था के रूप में देखा जाय तो यह सदैव जोवित रहता, केवल कार्य करने वाले व्यक्ति परिवर्तित होते हैं।
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