सामाजिक नियंत्रण में हास्य व्यंग्य की भूमिका | Role of humor in social control in Hindi
कुछ विद्वानों और विशेषकर किम्बल यंग ( Kimball Young ) में सामाजिक चित्रण को सकारात्मक ( Positive ) और नकारात्मक ( Negative ) परम्पराओं, मूल्यों, आदर्शों आदि का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है और पुरस्कार किया जाता है । इसके विपरीत नकारात्मक सामाजिक नियन्त्रण में दण्ड का भय दिखाकर व्यक्ति को सामाजिक नियमों के पालन करने के लिए बाध्य किया जाता है अर्थात् दण्ड सामाजिक व्यवहारों को नियन्त्रित करना नकारात्मक नियन्त्रण है।
दण्ड की व्यवस्था अलग-अलग समाजों में अलग-अलग प्रकार की होती है। जैसे हमारे देश में प्राचीनकाल में वाक् दण्ड की व्यवस्था थी, पाश्चात्य देशों में अर्थ दण्ड तथा शारीरिक दण्ड का विधान है। हिन्दू जाति प्रणाली में इस बात का विधान है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जाति के विरुद्ध कार्य करता है अथवा ऐसे कार्य करता है जिन्हें सामाजिक मान्यता प्राप्त नहीं है जो उसे जाति से बहिष्कृत कर दिया जाता है ।
इस तरह का सामाजिक अपमान व्यक्ति को प्रेरित करता है कि वह किसी प्रकार समाज विरोधी या जाति विरोधी कार्य भविष्य में न करें । दण्ड का अन्य प्रकार है कि हँसी मजाक करना अथवा व्यंग्य करना सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के रूप में समाज विरोधी कार्य तथा व्यवहारों को नियन्त्रित करते हुए हास्य व्यंग्य सामाजिक नियन्त्रण में एक महत्त्वपूर्ण तथा प्रभावशाली साधन की भूमिका निभाता है ।
किसी व्यक्ति द्वारा सामाजिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों, आदर्शों, प्रतिमानों, परम्पराओं, प्रथाओं नियमों तथा कानूनों के विरुद्ध किये जाने वाले कार्यों या व्यवहारों की हास्य व्यंग्य के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की जाती है । यह एक ऐसी आलोचना होती है जिसमें विनोद, मृदुला , बुद्धि तथा गम्भीर उद्देश्य अथवा उद्देश्य का समावेश होता है और जे सांस्कृतिक मूल्यों के सन्दर्भ में की जाती है । परन्तु इसका व्यक्ति पर गहरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति इसकी उपेक्षा करने का साहस नहीं करता क्योंकि वह जानता है कि ऐसा करने पर उसे सामाजिक आलोचना का पात्र बनना पड़ेगा ।
अन्य शब्दों में हास्य - व्यंग्य मात्र हँसी - मजाक नहीं है । यह एक प्रकार की सामाजिक आलोचना है तथा इसमें उपहासात्मकता एवं विनोद के साथ - सात गम्भीर उद्देश्यों का भी समावेश होता है । हास्य व्यंग्य के माध्यण से अप्रत्यक्ष आलोचना की जाती है जो व्यक्ति के व्यवहार पर शक्तिशाली रूप में प्रभाव डालती है। हास्य व्यंग्य के द्वारा व्यक्ति की समाज विरोधी तथा विघटनकारी प्रवृत्तियो और व्यवहारों पर नियन्त्रण स्थापित किया जाता है। हास्य व्यंग्य अथवा हँसी-मजाक का व्यक्ति पर वैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जिससे व्यक्ति सामाजिक व्यवहार के विरुद्ध आचरण करने का सहज भाव से साहस नहीं करता।
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