ग्रामीण समाजशास्त्र में एक ग्राम की अध्ययन प्रणाली

ग्रामीण समाजशास्त्र में एक ग्राम की अध्ययन प्रणाली पर प्रकाश डालिए | A Village Study Methodology in Rural Sociology in Hindi

भारत तथा अन्य राष्ट्रों में ग्रामीण समाजशास्त्र की मूलभूत समस्याओं को समझने के लिए प्रायः प्रत्येक गाँव का अलग - अलग अध्ययन किया जाता है अथवा एक ग्राम के अध्ययन आधार पर सामान्यीकृत धारणाओं का निर्माण होता है । ' एक ग्राम ' की अध्ययन प्रणाली का क्या महत्व है तथा इससे क्या लाभ हैं उसे इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है -

ग्रामीण समाजशास्त्र में एक ग्राम की अध्ययन प्रणाली
ग्राम का सम्पूर्ण अध्ययन 

प्रत्येक ग्राम के अलग - अलग अध्ययनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उस छोटे से ग्राम के समस्त अंगों की जानकारी हम भली प्रकार कर सकते हैं । जब क्षेत्र विस्तृत होता है तो भी हमें अध्ययन हेतु उसको छोटा एवं सीमित करना पड़ता है । डॉ . श्रीनिवास ने इस तथ्य को समझते हुए लिखा है कि " यह कहना आवश्यक है कि एक सामाजिक मानवशास्त्री द्वारा एक छोटे समुदाय के चुनने के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य यह भी है कि वह उसके बारे में एक विचार पाना चाहता है जिसमें कि एक समाज के समस्त अंग संलग्न हैं । " 


ग्रामीण समाजशास्त्र में एक ग्राम की सैद्धान्तिक महत्व 

एक ग्राम का अध्ययन सैद्धान्तिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस अध्ययन से सामान्य सिद्धान्तों का परीक्षण होता है । इस संदर्भ में सांडर्स लिखता है कि " एक सीमित अन्वेषण और खोजों के प्रकाशन का एक दूसरा लाभ यह भी है कि उन सामाजिक वैज्ञानिकों को जो कि विशाल सामान्यीकरण पर कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं, तत्सम्बन्धित विषयों के लिए खोज सामग्री प्रदान की जाये। ”


इसी विषय में डॉ . श्यामाचरण दुबे लिखते हैं कि " इस प्रकार के अध्ययन केवल हमारी जिज्ञासा को तथा बहुमूल्य सिद्धान्त को ही विकसित करने में संतुष्ट नहीं करेंगे वरन् भारत के भावात्मक एकीकरण की समस्या के अन्तर्गत आने वाले जटिल एवं आन्तरिक कारणों के मूल रूपों को समझने में हाथ बटाएँगे और उनके लिए अपेक्षित गुण अथवा वस्तु , पृष्ठभूमि एवं खोज सामग्री प्रदान करेंगे जिसके द्वारा कि उद्देश्यपूर्ण नियोजन उत्पन्न हो सकता है । " एक ग्राम का प्रतिनिधित्यात्मक महत्व – एक ग्राम देश का प्रतिनिधि माना जा सकता है। '


एक ग्राम के अध्ययन से हमें जो सूचना प्राप्त होती है उसमें सम्पूर्ण देश की प्रमुख विशेषताओं का समन्वय होता है । डॉ. श्री निवास ने इन अध्ययनों के बारे में उचित ही लिखा है , " ये अध्ययन हमारे देश के सामाजिक, राजनीतिक , आर्थिक तथा धार्मिक इतिहास के लिए एक बहुमूल्य संविधान का निर्माण करते हैं । " डॉ . श्यामाचरण दुबे ने ' एक ग्राम ' के अध्ययन का महत्व बताते हुए लिखा है , " निश्चित समय में मानवशास्त्री एक अकेले ग्राम के अध्ययन से प्रसन्न अधिवक्ता की भाँति रह सकता है ।


जिस प्रकार वहाँ परिवार एवं उनके सम्बन्धों के लिए सम्पूर्ण करने वाले छात्र हैं , क्योंकि एक ग्राम संस्कृति अध्ययन की इकाई के रूप में उस प्रदेश एवं राष्ट्र के बारे में कुछ निश्चित एवं महत्वपूर्ण तथ्यों का आदर्श प्रस्तुत करता है । " अध्ययन की सूक्ष्म इकाई- ' एक ग्राम ' के अध्ययन प्रायः सभी समस्याओं का अध्ययन सूक्ष्म दृष्टि से किया जा सकता है । इसलिए ग्रामीण समस्याओं को भली - भाँति समझने के लिए इसका उपयोग हम कर सकते हैं ।


डॉ . श्रीनिवास ने तो यहाँ तक लिखा है कि " मेरे अध्ययन ने मुझे विश्वास दिला दिया है कि भारत की समस्त समाजशास्त्रीय समस्याओं को समझने के लिए ' एक ग्राम ' के अध्ययन का अत्यधिक महत्व है । मैं यह नहीं कहता हूँ कि समस्त समाजशास्त्रीय समस्याओं का अध्ययन ग्राम में ही किया जा सकता है , पर इतना अवश्य है कि उनमें से अधिक महत्वपूर्ण यह पायी जाती है । " 


अनुसंधान का व्यावहारिक क्षेत्र 

' एक ग्राम ' अनुसन्धानकर्ता स्वयं क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त करता है और वहाँ से सूचनाएँ एकत्रित करत है । जब क्षेत्र बड़ा होता है तो अनुसंधानकर्ता स्वयं क्षेत्र के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाता है तथा उसे अपने कार्यकर्ताओं पर आश्रित होना पड़ता है । कार्यकर्ताओं के उपयोग से धन का अधिक व्यय होता है तथा कार्यकर्ता कितनी रुचि से अनुसंधान कार्य करते हैं , यह भी कहना कठिन है । अतः कम व्यय की दृष्टि से भी ' एक ग्राम ' का अध्ययन लाभप्रद है।


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