टोटम प्रथा - अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ एवं टोटमवाद | What is Totem

टोटम प्रथा - अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ एवं टोटमवाद |Totem Customs - Meaning, Definition, Characteristics and Totemism

टोटमवाद विश्व की अधिकतर आदिम जातियों में पाया जाता है। यह एक सर्वव्यापक संस्था है। अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा भारत में टोटमवाद पाया जाता है। 'टोटम ' शब्द का बोध उत्तरी अमेरिका के इण्डियनों में सर्वप्रथम जे. लांग ने सन् 1790 में किया था और जे. एफ. मैकलिनन ने एक आदिम सामाजिक संस्था के रूप में टोटमवाद के महत्त्व को सबसे पहले स्वीकार किया था ।

टोटम प्रथा - अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ एवं टोटमवाद  What is Totem

कुछ जनजातियाँ किसी वृक्ष , किसी पशु - पक्षी को वंश का आदि प्रवर्तक कल्पित कर लेती हैं तथा उसमें अटूट श्रद्धा रखती हैं । ये सम्बन्ध रहस्यमय और अलौकिक विश्वासों को जन्म देते हैं, जो सामाजिक जीवन को नियन्त्रित करते हैं । इसे मानवशास्त्री टोटमवाद कहते हैं । टोटम को हिन्दी में गण - चिह्न या गोत्र - चिह्न कहते हैं । 


टोटम की परिभाषा ( Definition of totem )

विभिन्न विद्वानों ने टोटम की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं -

पिडिंगटन के अनुसार, यह शब्द ( टोटम ) एक छिप्पवा शब्द से उद्धृत किया गया है जो विभिन्न रूप से डोडेम - टूडेम अटॉटिनन तथा अडोडम प्रयोग में लाया जाता है । अंग्रेजी भाषा में टोटम के रूप में अपना लिया जाता है ।


रैडक्लिफ ब्राउन के अनुसार, टोटम - प्रथाओं तथा विश्वासों का एक समूह है जो समाज तथा पौधों और पशुओं एवं दूसरे प्राकृतिक पदार्थों जो सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण हैं, के मध्य सम्बन्धों का एक विशिष्ट क्रम बैठता है ।


फ्रायड के अनुसार, " यह नियमानुसार एक पशु है ( चाहे भक्ष्य हो तथा हानि - रहित , भयंकर हो , तथा डरावना ) तथा यदा - कदा एक पौधा अथवा एक प्राकृतिक पदार्थ जैसे - वर्षा जल , जो समस्त गोत्र से घनिष्ठ सम्बन्ध रखता है । "


जेम्स फ्रेजर के अनुसार, " टोटम भौतिक वस्तुओं का एक वर्ग है , जिसे एक आदिम जाति यह विश्वास रखते हुए कि उसके तथा गोत्र के प्रत्येक सदस्य के बीच एक विशिष्ट आत्मीय सम्बन्ध विद्यमान है , का अन्धविश्वासपूर्वक आदर करती है । "


गोल्डन वाइजर का मत है, “ बहुत - सी आदिम वन्य जातियों में जो गोत्रों में विभाजित हैं , गोत्र नाम एक पशु , पौधा अथवा प्राकृतिक पदार्थ से उद्धृत हुआ है , गोत्र के व्यक्ति इन जीवधारियों अथवा वस्तुओं के प्रति विशेष भाव रखते हैं , जिसे इस सम्बन्ध में मानवशास्त्रियों द्वारा टोटम मनोनीत किया गया है । "


किसिंग के अनुसार, " यह शब्द ( टोटम ) विभिन्न क्रियाओं तथा विश्वासों की प्रणालियों की ओर निर्देश करता है , जो अपना सामान्य लक्षण मानव तथा पशुओं , पौधों या निर्जीव वस्तुओं के बीच एक काल्पनिक सम्बन्ध रखते हैं । "


हॉवल के अनुसार, " एक टोटम , एक पदार्थ अक्सर करके एक पशु अथवा पौधा है जिसका सामाजिक समूह के सदस्यों द्वारा विशेष आदर किया जाता है , जिसको ऐसा आभास होता है कि उनके तथा टोटम के बीच एक विशिष्ट समान भावनाओं का सूत्र है । "


चार्ल्स विनिक ने इसकी परिभाषा इस प्रकार की है , " टोटम एक वस्तु है जिसके प्रति रक्त - सम्बन्धी इकाई के सदस्य एक विशिष्ट मिथ्यावादी सम्बन्ध रखते हैं तथा जिसके साथ इकाई का नाम संलग्न है । यह वस्तु पशु , पौधा अथवा खनिज पदार्थ हो सकता है । "


उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि टोटम एक वृक्ष , पौधा , पशु इत्यादि में विश्वास का नाम है । टोटम से गोत्र के सदस्य घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं । यदि टोटम कोई पशु है तो उसका माँस खाना वर्जित समझा जाता है । 


टोटमवाद

टोटमवाद एक संस्था है जो टोटम पर आधारित होती है ।

किसिंग के अनुसार, " टोटमवाद मनुष्य तथा प्राकृतिक विषयों के बीच एक विशिष्ट सामाजिक समझौता की सम्पूर्ण प्रणाली जो कुछ अर्थों के उन सम्बन्धों के समान है जो समाज में स्वयं मनुष्यों के बीचं स्थापित होते हैं । ”


गोल्डनवाइजर ने टोटमवाद की परिभाषा करते हुए लिखा है “ वह संस्था जो गोत्रों का निर्माण करती है , उनके टोटम तथा सहयोगी विश्वास , प्रथाएँ एवं संस्कारों को टोटमवाद कहते हैं । "


नोट्स एण्ड क्वारीज ऑन एन्थ्रोपोलॉजी में इसकी परिभाषा इस प्रकार दी गई है । “ टोटमवाद शब्द एक सामाजिक संगठन तथा धार्मिक जादू - प्रथाओं के स्वरूप के लिये प्रयोग किया जाता है जिसकी केन्द्रीय विशेषता , कुछ जीवित तथा निर्जीव वस्तुओं के वर्ग के साथ एक अन्य जाति में कुछ समूहों को सम्मिलित करना है । "


गोल्डनवाइजर के अनुसार, “ कोई टोटमवाद की चर्चा उस समय करता है जब एक वन्य जाति एक सामाजिक संगठन का निर्माण करती है, अधिकार गोत्र के प्रतिमान स्वरूप जो एक विशिष्ट अलौकिक स्वरूप से सम्बद्ध होता है जो कि अधिक लाक्षणिक घटनाओं में पशुओं के समूह या पौधों अथवा प्राकृतिक पदार्थों के प्रति कुछ भावनाएँ रखता है । "


उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि टोटमवाद सामाजिक संगठन तथा जादू एवं धर्म - प्रथाओं का एक रूप है जो सदस्यों को एक पशु या पौधा अथवा वृक्ष में विश्वास द्वारा एक - दूसरे को सम्बन्धों में बद्ध करता है । गोत्र के सभी सदस्य टोटम से अपना एक विशेष प्रकार का सम्बन्ध समझते हैं तथा उसका आदर करते हैं । टोटम एक प्रकार से कल्पित पूर्वज होता है जो कुछ लोग सर्प को , कुछ शेर को, कुछ रीछ को, कुछ आम के पेड़ को अपना कल्पित पूर्वज मानते हैं ।


टोटम की विशेषताएँ ( Features of Totem )

टोटम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 

1. नाम का आधार

कुछ गोत्र तथा वन्य जाति के नाम टोटम के नाम पर होते हैं , जैसे कमारू जाति के एक गोत्र का नाम नागसोरी है । टोटम से सम्बन्धित लक्षणों पर बहुत से व्यक्ति अपना नाम रखते हैं । 


2. चिह्न के रूप में सजावट - गोत्र लगाते हैं तथा उन्हें सजाते हैं । पुरुष तथा स्त्रियाँ अपनी भुजाओं पर टोटम के चित्र सदस्य टोटम चिह्नों को दीवारों पर अंकित करा लेते हैं । कई लोग अपने हथियारों को भी टोटम के चित्रों से सजाते हैं । इसका महत्त्व यह है कि किसी व्यक्ति के गोत्र को आसानी से पहचाना जा सकता है । 


3. गोत्र का रक्षक - ऐसा विश्वास है कि टोटम गोत्र का रक्षक होता है तथा समय - समय पर सदस्यों को चेतावनी भी देता है । 


4. मारना या खाना वर्जित - यदि किसी गोत्र का टोटम पशु है तो उसे मारना या उसका गोश्त खाना वर्जित होता है । व्यक्ति अपने टोटम का व्यक्तिगत रूप से पालन कर सकते हैं । रेबिट गोत्र में जहाँ टोटम ही भोजन का प्रमुख साधन है वहाँ इस प्रकार की कोई पाबन्दी नहीं है । 


5. अन्तिम संस्कार– यदि गोत्र का टोटम कोई पशु है तो उसकी मृत्यु पर उसे आदरपूर्वक पुरुष के समान ही गाढ़ा जाता है तथा पुरुष की मृत्यु के समान ही उसकी मृत्यु पर शोक मनाया जाता है । 


6. कुछ अंगों को खाने का निषेध - कभी - कभी टोटम के कुछ अंगों के खाने पर ही निषेध होता है ।


7. अहानिकारक - यदि टोटम कोई हिंसक पशु है ; जैसे - साँप, शेर, चीता आदि तो गोत्र के सदस्यों का यह विश्वास होता है कि वह गोत्र के सदस्यों को हानि नहीं पहुँचायेगा ।


8. संकट में उपयोगी- सामान्य स्थिति में टोटम को खाना वर्जित होता है परन्तु खाद्य संकट के समय में उसका उपयोग किया जा सकता है । ऐसी स्थिति में गोत्र के सदस्य टोटम की प्रार्थना तथा कई प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार करते हैं । फ्रायड का मत है कि टोटम गोत्र का रक्षक माना जाता है तथा गोत्र की रक्षा के लिए यह अपना बलिदान कर सकता है । टोटम को एक विशेष विधि के द्वारा मारा जाता है । 


9. पशु या पौधा - टोटम कोई व्यक्ति नहीं होता बल्कि यह सदैव पेड़ , पौधा , पशु अथवा कोई अन्य निर्जीव प्राकृतिक प्राणी होता है । 


10. भविष्यवक्ता - गोत्र के जिन सदस्यों को टोटम में अटूट विश्वास होता है या जो गोत्र के प्रधान होते हैं उनसे टोटभ भविष्यवाणी भी करता है तथा स्वप्न में आकर उन्हें कुछ बता देता है । 


11. पूर्वज - गोत्र के सदस्य टोटम को अपने पूर्वजों का सम्बन्धी मानते हैं । अथवा टोटम को ही पूर्वज मानकर उसका आदर करते हैं । उन्हें इनमें अडिग विश्वास होता है । 


टोटम का सामाजिक पक्ष ( The social side of the totem )

टोटमवाद का जनजातियों के जीवन में काफी महत्व है और उनकी सामाजिक व्यवस्था को संगठित तथा व्यवस्थित करने में यह काफी महत्वपूर्ण कार्य करता है । टोटम के आधार पर ही सामुदायिक भावना और इस कारण भ्रातृभाव का जन्म होता है जो कि जनजातीय संगठन को स्थिर रखने में काफी सहायक सिद्ध होता है ।


टोटम - समूह के सभी सदस्य एक - दूसरे के भाई - बहिन हैं , यह भावना इतनी तीव्र होती है कि उनमें विवाह एवं किसी भी प्रकार का संसर्ग निषिद्ध है । इसी टोटम के आधार पर उनमें परस्पर सहिष्णुता , सहानुभूति , भ्रातृभाव , स्नेह और सहयोग पाया जाता है । ये तत्व सामाजिक जीवन की शान्ति और सुव्यवस्था में बड़े महत्व के होते हैं । संकट के समय में इसीलिए टोटम समूह के सदस्य एक - दूसरे की सहायता करते हैं और प्रत्येक के प्रति सबका उत्तरदायित्व सभी सदस्य अनुभव करते हैं ।


बाहर के किसी व्यक्ति ने अगर टोटम - समूह के किसी सदस्य को किसी प्रकार की हानि या आघात पहुँचाया है तो सम्पूर्ण टोटम समूह उसका बदला लेता है । टोटम या टोटमवाद सामाजिक नियन्त्रण का भी एक साधन है । टोटम के आधार पर जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, विवाह - सम्बन्धों को नियमित किया जाता है ताकि एक समूह के अन्तर्गत यौन सम्बन्धी व्यभिचार न फैल सके ।


कुछ निश्चित वस्तुओं के प्रति आदरभाव रखना , उन्हें मारना या आघात न करना तथा उनके मांस आदि को न खाना आदि अनेक रूपों में टोटम के आधार पर व्यक्तियों के व्यवहारों को नियन्त्रित किया जाता है । टोटम की कुछ विशिष्ट शक्ति होती है , उस शक्ति के डर से भी टोटम समूह के सदस्य अपने व्यवहारों को नियन्त्रित तथा नियमित रखते हैं।


टोटम का धार्मिक पक्ष ( Religious side of totem )

फ्रेजर ने टोटम के धार्मिक रूप पर बल देते हुए कहा है कि गोत्र के लोग टोटम के नाम पर ही अपना नाम रखते हैं तथा ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि वह टोटन की हो सन्तान हैं । टोटम को मारना तथा खाना पाप समझा जाता है । बहुत से गोत्रों में तो यदि कोई टोटम को देख ले तो उसकी विनती करता है । बहुत से गोत्रों में टोटम को उसका नाम लेकर भी नहीं पुकारा जाता ।


यदि टोटम की मृत्यु होती है तो उसे गोत्र के सदस्य की मृत्यु के समान समझा जाता है तथा उसका अन्तिम संस्कार इसी प्रकार किया जाता है जैसे कि गोत्र का कोई सदस्य मरा हो । गोत्र का प्रत्येक सदस्य उसकी मृत्यु पर शोक मनाता है टोटम गोत्र की रक्षा करता है । उसे गोत्र का रक्षक माना जाता है । यदि टोटम कोई भयानक पशु है तो ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह गोत्र के सदस्यों को हानि नहीं पहुँचायेगा ।


यदि कभी टोटम गोत्र के सदस्य पर हमला करता है तो उस व्यक्ति को खराब समझकर गोत्र से बाहर निकाल दिया जाता है । टोटम से गोत्र का सदस्य हर प्रकार से सम्बन्ध जताना चाहता है इसलिए वह उसकी खाल पहनता है , उसके नाम पर बच्चों के नाम रखता है तथा टोटम की तस्वीर वह अपने शरीर के किसी अंग जैसे बाजू या छाती पर गुदवाता है । विशेष अवसरों पर गोत्र के सदस्य टोटम का रूप धारण करके सामूहिक नृत्य करते तथा टोटम भोज देते हैं । इस भोजन को साधारण भोजों से पवित्र माना जाता है । इस प्रकार गोत्र का प्रत्येक सदस्य टोटम के प्रति आदर प्रदर्शित करता है ।


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