जनजाति और जाति में क्या अंतर है?
यूरोप के कुछ समाजशास्त्रियों ने जनजाति को प्राथमिक स्तर के सामाजिक सम्बन्धों, रक्त-सम्बन्धों, सांस्कृतिक व भौगोलिक पर्यावरण में तादात्म्य, लिपिरहित भाषा और प्रौद्योगिकी के निम्न स्तर के आधार पर इसे परिभाषित करने का प्रयास किया है किन्तु भारतीय परिवेश में ऐसा सम्भव नहीं है।
भारत के इम्पीरियल गजेटियर के अनुसार, " जनजाति परिवारों का वह समूह है , जिसका एक सामान्य नाम होता है , जिसके सदस्य एक सामान्य भाषा बोलते हैं तथा एक सामान्य क्षेत्र में या तो वास्तव में रहते हैं अथवा अपने को उसी क्षेत्र से सम्बन्धित मानते हैं तथा ये अन्तर्विवाही भी होते हैं । "
जनजाति की परिभाषाएँ ( Definitions of Tribe )
जनजाति की विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न परिभाषाएँ दी हैं जिनमें कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं -
बोआस के अनुसार , “ जनजाति से हमारा तात्पर्य आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व्यक्तियों से ऐसे समूह से है जो सामान्य भाषा बोलते हों तथा बाहरी आक्रमणों से अपनी रक्षा करने के लिए संगठित हों । "
गिलिन तथा गिलिन के अनुसार , “ स्थानीय आदिवासियों के किसी भी ऐसे समूह को हम जनजाति कहते हैं जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो , एक सामान्य भाषा बोलता हो तथा एक सामान्य संस्कृति के अनुसार व्यवहार करता हो । "
रिचार्ड के अनुसार, " जनजाति एक ऐसे समूह का नाम है जो आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर होता है । समान भाषा बोलता है और जब किसी बाह्य शत्रु का सामना करना होता है तब इस समूह के सब लोग मिलकर एक हो जाते हैं । "
श्री हावेल के अनुसार, " प्रजाति या जनजाति विशिष्ट जननिक रचना के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले , शारीरिक लक्षणों का एक विशिष्ट संयोग रखने वाले अन्तःसम्बन्धित मनुष्यों का एक वृहत् समूह है । "
नोट्स एण्ड क्वरीज ऑन अन्थ्रोपोलोजी के अनुसार, " एक ऐसा समुदाय जो किसी विशेष भू - स्थान का स्वामी हो , जो राजनैतिक तथा सामाजिक दृष्टि से शृंखलाबद्ध स्वायत्त शासन चला रहा हो उसे ' जनजाति ' कहते हैं । "
मजूमदार के अनुसार , " जनजाति परिवारों या परिवार - समूहों के सम्प्रदाय का नाम है । इस परिवारों या परिवार समूहों का एक सामान्य नाम होता है , ये एक ही भू - भाग में निवास करते हैं , एक ही भाषा बोलते हैं तथा विवाह , उद्योग धन्धों में एक ही प्रकार की बातों को निषिद्ध मानते हैं । एक - दूसरे के साथ व्यवहार के सम्बन्ध में भी इन्होंने अपने पुराने अनुभव के आधार पर अपने कुछ निश्चित नियम बना लिये हैं । "
जनजाति की विशेषताएँ ( Characteristics of the Tribe )
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर जनजाति में निम्न विशेषताएँ दृष्टव्य हैं -
( 1 ) सामाजिक भावना -जनजाति के लोग अपने तथा अपने सभी परिवारों को एक ही पूर्वज की सन्तान मानते हैं । उनका विचार है कि हम सब एक ही पिता की सन्तान हैं । इसीलिए हमारी संस्कृति , सभ्यता , बोलचाल तथा व्यवहार सभी एक समान होते हैं । जनजाति के लोग एक - दूसरे से सम्बन्धित होने के कारण पारम्परिक मेल - जोल से कार्य करते हैं । इसी को सामूहिक भावना का नाम दिया जाता है जो कि जनजाति की मुख्य विशेषता है ।
( 2 ) निश्चित भू - भाग का नाम व भाषा - प्रत्येक जनजाति का एक निश्चित भू - भाग होता है जिसके अन्तर्गत वह जनजाति विकास करती है । प्रत्येक जनजाति का अपना विशिष्ट नाम होता है और उसकी अपनी एक विशिष्ट भाषा भी होती है ।
( 3 ) प्रकृति पूजा - भारत में अनेक जनजातियाँ निवास करती हैं और प्रत्येक जनजाति किसी न किसी देवी - देवता में विश्वास रखती है । चाहे वह देवता पत्थर को मूर्ति का रूप हो या किसी जड़ पदार्थ के रूप में हो । जनजाति में इस प्रकार की पूजा में विशेष आस्था दिखाई देती है तथा इस प्रकार की पूजा जनजाति के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य माना जाता है ।
( 4 ) नेता का नियन्त्रण - प्रत्येक जाति का अपना एक नेता होता है । नेता को जनजाति के ऊपर नियन्त्रण करने का पूर्ण अधिकार होता है । यह नेता अपनी जनजाति के सदस्यों को पूर्णरूप से संगठित करता है । इस नेता के नेतृत्व में जनजाति का राजनीतिक संगठन होता है । इसी संगठन के द्वारा जनजाति अपने जन - समूह को नियन्त्रित रखती है ।
( 5 ) अन्तर्विवाही जन - समूह जनजाति के सदस्य अपनी जनजाति के बाहर विवाह नहीं कर सकते । बोआस का मत है कि जनजाति अन्तर्विवाह की नीति पर आधारित एक ऐसा सामाजिक समूह है जिसके सदस्य सामान्य भू - भाग , भाषा , संस्कृति , जीवन स्तर , धर्म , व्यवसाय तथा वंश - परम्परा के आधार पर समानता की भावना द्वारा बँधे होते हैं ।
( 6 ) आर्थिक निर्भरता - जनजाति को एक आत्मनिर्भर समूह माना गया है । क्योंकि जनजाति के सभी सदस्य अपने दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं का निर्माण स्वयं करते हैं तथा अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति भी स्वयं करते हैं । अतः सभी विद्वान् इस बात से सहमत हैं कि जनजाति ही एक ऐसा समूह है जो आत्मनिर्भर माना गया है ।
( 7 ) एक जनजाति में सामान्य संस्कृति और भाषा का होना आवश्यक है । जबकि प्रजाति में सामान्य संस्कृति और भाषा का होना आवश्यक नहीं है ।
( 8 ) जनजाति के लोग किसी सामान्य देवता को अपना पूर्वज मानते हैं किन्तु प्रजाति के लोग किसी भी सामान्य देवता को अपना पूर्वज नहीं मानते ।
( 9 ) जनजाति में वृक्ष , नदी , अग्नि आदि प्राकृतिक शक्तियों की पूजा की जाती है किन्तु प्रजाति में प्रकृति की पूजा का कोई निश्चित विधान नहीं है ।
( 10 ) जनजाति एक अन्तर्विवाही समूह है जबकि प्रजाति विशाल जनसमूह होने के कारण अन्तर्विवाही नहीं माना जाता है ।
( 11 ) एक जनजाति की एक भाषा होती है किन्तु एक प्रजाति के लोग विभिन्न स्थानों पर रहने के कारण विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं ।
जाति की परिभाषा एवं अर्थ ( Definition and meaning of caste )
' जाति ' शब्द अंग्रेजी के ( Caste ) शब्द का हिन्दी रूपान्तर है । ( Caste ) पुर्तगाली शब्द ( Casta ) से लिया गया है । ( Casta ) का अर्थ प्रजाति , जन्म और भेद है । ( Casta ) शब्द का सबसे पहले ग्रैसिया डी ओर्टा ने ' प्रजातीय समूहों के विभेद ' के अर्थ में प्रयोग किया । बाद में प्रजातीय विभेद को स्पष्ट करने के लिए फ्रांसीसी विचारक अब्बेदुब्बाय ने इसका प्रयोग किया । जाति की जो परिभाषाएँ की गई हैं तथा उसके जो लक्षण हैं उन्हें देखने से स्पष्ट हो जाता है कि ( Casta ) शब्द से उनका बोझ नहीं होता है । इससे प्रजातीय भिन्नता का बोध होता है ।
जाति - व्यवस्था प्रजातीय भिन्नता की नहीं अपितु जन्म से निर्धारित होने वाले सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था है । कुछ लोग संस्कृति के ' जात ' शब्द से इसकी उत्पत्ति मानते हैं । जातः से जन्म अथवा ' जन्म से परिवार का बोध होता है । ' जाति ' शब्द की जो परिभाषाएँ की गयी हैं तथा उसके जो लक्षण हैं , उनका मेल इसी शब्द से खाता है । जाति की अनेक परिभाषाएँ की गई हैं ।
मजूमदार और मदान ने इसकी परिभाषा करते हुए लिखा है कि " जाति एक शब्द वर्ग है । "
कूले के अनुसार , “ जब एक वर्ग पूर्णतः वंशानुक्रमण पर आधारित होता है तो हम इसे जाति कहते हैं । "
सर हरबर्ट रिजले का कहना है कि " जाति परिवारों या परिवारों के समूह का एक संकलन है जिसका एक सामान्य नाम है जो एक काल्पनिक पूर्वज , मानव या देवता से एक सामान्य वंश परम्परा या उत्पत्ति का दावा करते हैं , एक ही परम्परागत व्यवसाय को करने पर बल देते हैं और एक सजातीय समुदाय के रूप में उनके द्वारा मान्य होते हैं और जो अपना ऐसा मत व्यक्त करने के योग्य हैं । '
ब्लंड ने जाति की परिभाषा इस प्रकार की है , “ एक जाति एक अन्तर्विवाही समूह या अन्तर्विवाही समूहों का संकलन है जिसका एक सामान्य नाम होता है । जिसकी सदस्यता पैतृक होती है , जिसके सदस्यों पर सामाजिक सम्पर्क के मामले में कुछ प्रतिबन्ध होते हैं , जो पैतृक व्यवसाय अपनाता है या सामान्य उत्पत्ति का दावा करता है और साधारणतः सजातीय समुदाय का निर्माण करने वाला समझा जाता है । '
रिजले की परिभाषा से यह परिभाषा अधिक स्पष्ट और व्यापक है तथा इसमें जाति के अनेक तत्वों अथवा लक्षणों का समावेश है परन्तु यह भी त्रुटिपूर्ण है । रिजले की तरह ब्लंट ने भी जाति और गोत्र को मिलाकर एक कर दिया है जिससे भ्रम उत्पन्न होता है । उन्होंने यह भी कहने की गलती की है कि जाति एक सामान्य उत्पत्ति का दावा करती है । वास्तविकता यह है कि जाति नहीं , बल्कि गोत्र इस प्रकार का दावा करती है । उन्होंने भी जाति को समुदाय कहने की गलती की है ।
समाजशास्त्रीय पद्धति से जाति से समुदाय के लक्षण नहीं मिलते हैं । इन दोषों के बावजूद इसका इस दृष्टि से अपेक्षाकृत अधिक महत्व है कि इससे न केवल संरचनात्मक पक्ष का भी बोध होता है , बल्कि इसमें उसके अनेक महत्वपूर्ण लक्षणों का भी उल्लेख किया गया है
( 1 ) यह एक अन्तर्विवाही समूह है ।
( 2 ) जाति की सदस्यता वंशानुगत या जन्म पर आधारित होती है ।
( 3 ) वह अपने सदस्यों पर सामाजिक सहवास के सम्बन्ध में कुछ प्रतिबन्ध लगाती है
( 4 ) यह एक सामान्य परम्परागत पेशे को करती है ।
जाति की विशेषताएँ ( Characteristics of Caste )
इसकी स्पष्ट परिभाषा के लिए हमें विद्वानों की परिभाषाओं के साथ - साथ विशेषता पर भी विचार करना चाहिए ।
( 1 ) जाति की सदस्यता जन्म से निर्धारित होती है । कोई भी व्यक्ति आर्थिक और सामाजिक स्थिति में परिवर्तन के आधार पर अपनी जाति का परित्याग कर दूसरी जाति की सदस्यता नहीं ग्रहण कर सकता है ।
( 2 ) यह एक बन्द वर्ग है अर्थात् कोई भी व्यक्ति अपनी जाति नहीं परिवर्तित कर सकता है ।
( 3 ) यह अन्तर्विवाही समूह होता है अर्थात् जाति - व्यवस्था के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी जाति के बाहर विवाह नहीं कर सकता ।
( 4 ) प्रत्येक जाति का अपना व्यवसाय होता है ।
( 5 ) अपने सदस्यों के लिए प्रत्येक जाति के व्यवहार सम्बन्धी अपने कुछ नियम होते हैं ।
( 6 ) यह परिवार या परिवारों के समूहों के संकलन के रूप में होता है ।
( 7 ) इसका एक सामान्य नाम होता है ।
जाति और जनजाति में अंतर ( Difference between Caste and Tribe )
जाति की तरह जनजाति का भी एक सामान्य नाम होता है । यह भी विवाह सम्बन्धी निषेध लागू करती है । फिर भी दोनों में काफी अन्तर है -
( 1 ) जाति एक सामाजिक संस्था है जो भौगोलिक सीमाओं में आबद्ध नहीं है ।
( 2 ) भौगोलिक एकता , सामान्य भाषा और नैतिक नियम जनजाति की सफलता के आधार हैं । जातीय सफलता का आधार जन्म है ।
( 3 ) जाति के सदस्य किसी काल्पनिक पूर्वज से अपनी उत्पत्ति नहीं मानते हैं ।
( 4 ) प्रत्येक जनजाति का एक राजनीतिक संगठन होता है जबकि जाति एक सामाजिक संस्था है जिसका कोई राजनीतिक स्वरूप नहीं है ।
( 5 ) खान-पान , व्यवसाय और सामाजिक सहवास के सम्बन्ध में जाति अपने सदस्यों पर प्रतिबन्ध लगाती है जबकि जनजाति ऐसा नहीं करती है ।
( 6 ) जातियों में ऊँच - नीच और अस्पृश्यता की भावना होती है जबकि जनजातियों में इस प्रकार की भावना नहीं पायी जाती । जाति समाज का खण्डात्मक विभाजन कर सामाजिक संस्तरण में जन्म देती है । जनजाति ऐसा नहीं करती है। जनजातियों में अन्तर्विवाह का नियम कठोर नहीं है।
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