कादर जनजाति ( Kadar Tribe )
कादर जनजाति : भारत के सुदूर दक्षिणी भाग कोचीन के घने जंगलों में रहने वाली कादर जनजाति सबसे अधिक आदिम जनजाति कही जा सकती है । यह जनजाति आज भी शिकार करने और भोजन एकत्रित करने के स्तर में है । इसमें खेती का प्रचलन किसी भी रूप में नहीं है । इसकी आजीविका का मुख्य साधन जंगलों से शिकार करना, खाने योग्य फलों और जड़ों को एकत्रित करना तथा शहद को इकट्ठा करके पेट भरना है ।
अधिकांश कादर लोगों का जीवन आज भी घुमन्तू है यह लोग शिकार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं , इसलिए किसी भी स्थान पर स्थायी रूप से झोपड़ियाँ बनाकर नहीं रह पाते । कुछ समय के लिए किसी स्थान पर रहने के लिए बाँस की जालीनुमा झोंपड़ियाँ बना लेते हैं तथा झोंपड़ियों के आस - पास आग जलाए रखते हैं जिससे जंगली जानवरों के आकस्मिक आक्रमगों से बचा जा सके ।
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कादर जनजाति Kadar Tribe |
कादर जनजाति में स्त्रियों तथा पुरूषों के बीच कोई स्पष्ट श्रम - विभाजन नहीं पाया जाता स्त्रियाँ मछली पकड़ने का काम करने के साथ ही जंगलों से फल - मूल भी एकत्रित करती हैं । कादर पास कोई विशेष हथियार भी नहीं होते । केवल बाँस के बने नुकीले तीरों , और नुकीली लकड़ियों से ही शिकार किया जाता है । यह लोग साधारणतया बन्दरों और छोटे - छोटे जनवरों का शिकार करके अपनी उदर - पूर्ति करते हैं ।
कुछ कादर बकरियाँ और मुर्गियाँ भी पालने लगे हैं लेकिन यह सुविधा बहुत कम लोगों को मिल सकी है । अधिकांश कादर बाँस की कटोरियाँ व तश्तरी बनाकर उसी लोगों के कुदालों लम्बी पूँछ वाले में भोजन करते हैं । यह स्थिति वैसी ही है जैसी कि मलक्का और इण्डोनेशिया की शिकार पर आधारित जनजातियों में पायी जाती है । बाँस की कंधियाँ बनाने में कादर पुरुष बहुत निर्पुण होते हैं यद्यपि इन कंधियों को बेचकर मुद्रा प्राप्त करने का प्रचलन उनमें नहीं है ।
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