जनजातियों में विवाह - पूर्व यौन सम्बन्ध - Premarital sex among tribes

जनजातियों में विवाह - पूर्व एवं विवाह अतिरिक्त यौन सम्बन्ध का वर्णन कीजिए-

भारत की अधिकांश जनजातियों में यौनिक पवित्रता पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता । इस कारण जनजाति के युवक - युवतियों को विवाह के पूर्व यौनिक सम्बन्ध स्थापित करने की स्वतन्त्रता रहती है । इस सम्बन्ध में से सुप्रसिद्ध मानवशास्त्री मैलिनोवस्की का कहना है- " यौन पवित्रता इन देशजातों में एक अज्ञात गुण है । अविश्वसनीय प्रारम्भिक अवस्था में वे यौनिक जीवन आरम्भ कर देते हैं - ज्यों ही वे युवा होते हैं , वे स्वतन्त्र प्रेममय जीवन व्यतीत करते हैं , जो धीरे - धीरे स्थायित्वकी ओर बढ़ता है । जिसका अन्त विवाह होता है ।

जनजातियों में विवाह - पूर्व यौन सम्बन्ध - Premarital sex among tribes

" Chastity is unknown virtue among those native. At an incredibly early free love, which gradually develops into permanent attachment which ends in age they become initiated into sex life ... As the grow up, they live in marriage . " -Malinowaski 


विवाह पूर्व यौन सम्बन्ध


कई जनजातियों में ‘ युवागृह ’ संस्था पाई जाती है । युवागृहों में रात्रि के समय जनजाति के अविवाहित युवक और युवतियाँ परस्पर मिलते हैं और प्रेम सम्बन्ध की स्थापना करते हैं । प्रेम सम्बन्धों के प्रगाढ़ हो जाने पर वे परस्पर विवाह भी कर लेते हैं । इन युवागृहों में प्रौढ़ आयु की औरतें युवक और युवतियों की यौन सम्बन्ध स्थापित करने का प्रशिक्षण एवं जानकरी देती है । हट्टन का कहना है- " ओह ( जनजाति ) स्त्री अपवित्रता के लिए बदनाम है । बाल्यावस्था से है युवतियाँ विवाह से पूर्व जो चाहें कर सकती हैं । "

" The Aoh are notorious for the unchastity for their ............ form tender age girls are to free to do as they like before the marriage . " - Hutton.


भारत की विभिन्न जनजातियों में विवाह - पूर्व यौन सम्बन्धों की स्वतन्त्रता है । जनजातियों में विलम्ब विवाह का प्रचलन है , इस कारण युवक और युवतियों को विवाह पूर्वयौन - सुख प्राप्ति की स्वतन्त्रता है । युवा गृहों में प्रौढ़ युवतियाँ छोटी युवतियों और युवकों को काम कला की शिक्षा देती है । मुरिया जनजाति में तो विवाह पूर्व यौन सम्बन्धों की जानकारी को अच्छा माना जाता है ।


भारत की नहीं विश्व की विभिन्न जनजातियों में विवाह पूर्व युवक - युवतियों को यौन सम्बन्ध स्थापित करने की स्वतन्त्रता प्राप्त है । अतः कहा जा सकता है कि विवाह पूर्व यौन सम्बन्धों की स्थापना जनजातीय समाजों की संस्कृति का एक अङ्ग है । इन समाजों में युवा - गृहों में युवक और युवतियाँ रात्रि में एक साथ रहते हैं , अतः ऐसे सम्बन्धों को रोकना सम्भव नहीं है ।


सामूहिक उत्सवों के अवसर पर वे परस्पर उन्मुक्त प्रेम एवं यौन सम्बन्धों का प्रदर्शन करते हैं । हमें यह भी स्मरण रखना होगा कि कई जनजातियों में विवाह पूर्व यौवन सम्बन्धों की तो स्वतन्त्रता रहती है लेकिन कुँवारी युवती का गर्भवती होना अच्छा नहीं माना जाता । युवती के गर्भवती हो जाने पर उसके प्रेमी को उसके साथ विवाह करने के लिए बाध्य किया जाता है । इस प्रकार के विवाह में वधू - मूल्य पर ध्यान नहीं दिया जाता या बहुत ही कम वधू - मूल्य दिया जाता है।


विवाह अतिरिक्त यौन सम्बन्ध


कई जनजातियों में विवाह के पश्चात् भी स्त्री को पति के अतिरिक्त दूसरे पुरुषों से सम्बन्ध स्थापित करने की स्वतन्त्रता रहती है । थारू एवं खस जनजातियों में विवाह अतिरिक्त यौन सम्बन्ध स्थापना की प्रथा प्रचलित है । कई जनजातियों में अतिरिक्त सत्यकार के लिये पुरुष स्त्री रात्रि में अतिथि के साथ रहती है । थारू स्त्री जब पति के घर रहती है तो , वह कड़ी यौन नैतिकता का पालन करती है , लेकिन जब वही स्त्री पिता के घर आती है तो उसे अपने प्रेमियों से यौन सम्बन्ध स्थापित करने की स्वतन्त्रता होती है ।


टोडा और मुरिया जनजाति में भी विवाह अतिरिक्त यौन सम्बन्धों की स्वतन्त्रता स्त्री को है । कई जनजातियों में अतिथि सत्कार के लिए अतिरिक्त यौन सम्बन्धों की स्वतन्त्रता रहती हैं । पुरुष अतिथि की सेवा में संसर्ग के लिए स्त्री भेंट करता है । स्त्री रात्रि में अतिथि के साथ रहती है । सभ्य समाजों के सम्पर्क में आने के कारण जनजातियों में इन प्रथाओं का धीरे-धीरे लोप हो रहा है।


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