भारतीय जनजातियों में बहुपति विवाह - Polygamous Marriage in Indian Tribes

भारतीय जनजातियों में बहुपति विवाह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

बहु पति विवाह ( Polygamous ) जब किसी स्त्री के एक समय में एक से अधिक पति होते हैं, तो विवाह के इस प्रकार को सामाजिक मानवशास्त्र बहुपति विवाह कहा जाता है । भारत की अनेक जनजातियों में बहुपति विवाह प्रथा का प्रचलन है । बहुपति विवाह के भी दो स्वरूप हैं 

( क ) भ्राता सम्बन्धी बहुपति विवाह 

( ख ) अम्राता सम्बन्धी बहुपति विवाह 


( क ) भ्राता सम्बन्धी बहुपति विवाह-

जब किसी स्त्री के सभी पति परस्पर सगे भाई होते हैं । विवाह के इस स्वरूप में सभी भाई मिलकर एक स्त्री से विवाह करते हैं । देहरादून जनपद की खस जनजाति और नीलगिरि पर्वत पर रहने वाली टोडा जनजात में विवाह की इसी प्रथा का प्रचलन है । 


( ख ) अभ्राता सम्बन्धी बहुपति विवाह -

जब किसी एक स्त्री के विभिन्न पति आपस में भाई नहीं होते वरन् कोई मिलकर किसी स्त्री से विवाह करते है , तो उसे अभ्राता सम्बन्धी बहुपति विवाह कहा जाता है । विवाह के इस स्वरूप के सम्बन्ध में डॉ ० मजूमदार और मदान ने कहा है " इसमें पतियों के बीच निकट सम्बन्ध नहीं होता और पत्नी थोड़े - थोड़े समय के सभी पतियों के यहाँ जाकर रहती है ।


ऐसे सामान्य बहुपति विवाह का प्रचलन टोडापो में पाया जाता है । जब तक पत्नी किसी एक पति के साथ रहती है , तब तक अन्य पतियों का उस पर कोई अधिकार नहीं रहता । नायर बहुपति विवाह इसी प्रकार का था । " बहुपति विवाहों के प्रचलन के कारण अनेक हैं । जैसे समाज में पुरुषों की संख्या कम होना , निर्धनता सम्पत्ति के विभाजन को रोकने के लिये आदि । 


बहुपति विवाह से लाभ-

( 1 ) सम्पत्ति का विभाजन नहीं होता ।

( 2 ) परिवार की उच्च आर्थिक स्थिति बनी रहती है ।

( 3 ) जनसंख्या की वृद्धि नहीं होती ।

( 4 ) सामाजिक संघर्षों की कम सम्भावना होती है ।


बहुपति विवाह से हानियाँ-

( 1 ) नारी में बाँझपन का विस्तार हो जाता है ।

( 2 ) पुरुषों में संघर्षों की सम्भावना बनी रहती है ।

( 3 ) अनैतिकता की वृद्धि । 


बहुपति विवाही जनजातियों के उदाहरण

बहुपति विवाह के उदाहरण के रूप में कपाड़िया ने जिन छः जनजातियों का उल्लेख किया है उनमें आपने केवल दो जनजातियों को ही पूर्णतया बहुपति विवाही स्वीकार किया है । इन दोनों जनजातियों के उदाहरण से बहुपति विवाह की प्रथा को सरलता से समझा जा सकता है । 


( क ) खस जनजाति के भ्रातृ बहुपति विवाह -

बहुपति विवाह का विस्तार सम्पूर्ण खस जनजाति में नहीं है, बल्कि यह प्रथा केवल देहरादून के जौनसार, बाबर परगना और टेहरी के रवाई तथा जौनपुर परगनों में पायी जाती है । इस जनजाति में जब बड़ा भाई किसी स्त्री से विवाह करता है तब उसकी पत्नी छोटे भाइयों की भी पत्नी मान ली जाती है ।


( ख्र ) टोडा जनजाति के मिश्रित बहुपति विवाह -

नीलगिरी पर्वत की टोडा जनजाति इस जनजाति का मूल स्थान मालाबार क्षेत्र माना जाता बहुपति विवाह की प्रथा एक लम्बे समय तक प्रचलित रही है और इसी कारण कुछ विद्वानों का विचार है कि टोडा जनजाति की यह विशेषता नैयर लोगों से ही प्राप्त की गयी मालूम होती है । प्रो ० रिवर्स के अध्ययन के आधार पर टोडा जनजाति में प्रचलित बहुपति विवाह की प्रथा को निम्नांकित रूप से स्पष्ट किया जा सकता है बहुपति विवाह का एक प्रमुख उदाहरण है ।


( 1 ) सामान्यतया टोडा जनजाति में भ्रातृ बहुपति विवाह की प्रथा पायी जाती है । यहाँ तक तब इतने छोटे भाई को कि यदि किसी पुरुष के विवाह के बाद उसके किसी भाई का जन्म भी उस स्त्री का पति मान लिया जाता है । 

( 2 ) इस जनजाति में पितृत्व का निर्धारण सांस्कृतिक रूप से होता है । पत्नी के गर्भवती होने पर पाँचवे माह में कोई एक भाई ‘ पुरसुतपिमि ' संस्कार पूरा करता है । इस संस्कार के अन्तर्गत कोई एक पति पत्नी को धनुष और बाण देकर बच्चे का दायित्व लेने की घोषणा करता है और इस प्रकार उसे बच्चे का पिता स्वीकार कर लिया जाता है । 

( 3 ) यदि किसी स्त्री के सभी पति आपस में भाई - भाई नहीं होते और वे विभिन्न गाँवों में रहते हैं , तब पत्नी एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्येक पति के पास बारी - बारी से जाकर रहती है । ऐसी स्थिति जो भी पति ' पुरसुतपिमि ' संस्कार पूरा करता है , बच्चे का गोत्र उसी के वंश से जोड़ दिया जाता है । 

( 4 ) टोडा लोगों में स्त्री का साहचर्य अपने पतियों तक ही सीमित नहीं होता बल्कि पतियों के अतिरिक्त उसके और भी प्रेमी हो सकते हैं । 

( 5 ) सामाजिक रूप से यद्यपि पितृत्वका अधिकार सबसे बड़े भाई को दिया जाता है , लेकिन फिर भी सामान्यतया सभी भाइयों अथवा पतियों को सन्तान का पिता माना जाता है । 


बहुपति विवाह के कारण ( reasons for polyandry )


प्रश्न यह उठता है कि बहुपति विवाह की प्रथा किन परिस्थितियों में प्रचलित हुई ? विभिन्न मानवशास्त्रियों ने इसे अनेक कारणों के आधार पर स्पष्ट किया है 

( 1 ) कुछ मानवशास्त्रियों का मत है कि बहुपति विवाह का प्रमुख कारण पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों के अनुपात में काफी कमी होना है । इसके प्रमाण में यह तर्क दिया जाता है कि टोडा जनजाति में बहुत - सी लड़कियों के जन्म लेते ही उनकी हत्या कर दी जाती है ।

( 2 ) कुछ जनजातियों में विवाह के समय पुरुष को पत्नी - मूल्य चुकना पड़ता है । जनजातियों की आर्थिक स्थिति निम्न होने के कारण भी अनेक भाई मिलकर एक ही स्त्री से विवाह कर लेते 

( 3 ) बहुपति विवाह का एक मुख्य कारण जनजातियों का संघर्षपूर्ण प्राकृतिक जीवन है । 

( 4 ) कपाड़िया का मत है कि जनजातियों में जीविका उपार्जित करने के लिए पुरुषों को सामान्यतया घर से बाहर ही रहना होता है । ऐसी स्थिति में हो सकता है कि स्त्री की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी बहुपति विवाह की प्रथा को प्रोत्साहन मिला हो । 

( 5 ) पैतृक सम्पत्ति को विभाजन से बचाने की इच्छा भी बहुपति विवाह का कारण है ।


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