लघु समुदाय और कृषक समाज में अन्तर / Difference between Little community and peasant society

लघु समुदाय और कृषक समाज में अन्तर / Difference between Little community and peasant society

कृषक समाज एवम् लघु समुदायों में जहाँ एक और कुछ समानताएँ दृष्टिगत हैं तो दूसरी ओर इन दोनों में कुछ असमानतायें भी विद्यमान हैं । यह असमानतायें निम्नलिखित हैं- लघु समुदाय ( Little Community ) कृषक समाज ( Peasant Society )

लघु समुदाय और कृषक समाज में अन्तर  Difference between Little community and peasant society

 लघु समुदाय
( Little Community )
1 . आकार की दृष्टि से यह एक ऐसा समुदाय है , जिसका आकार अत्यधिक लघु या छोटा होता है । इसीलिए इसके सदस्यों के मध्य घनिष्ठ तथा प्राथमिक सम्बन्ध पाये जाते हैं तथा सदस्यों के बीच एक सामूहिक चेतना भी दिखाई देती है ।
कृषक समाज
( Peasant Society )
1. यह आकार की दृष्टि से उतने छोटे या लघु नहीं होते हैं । भूमि की सीमा तथा आर्थिक स्थिति में भिन्नता होने के कारणवश ही एक ही कृषक समाज में एक स्पष्ट संस्तरण भी दिखाई पड़ता है , अतः कृषक समाज में सामूहिक चेतना या सामुदायिक भावना भी । नहीं पायी जाती है । 
2. लघु समुदाय विशिष्टतायुक्त होते हैं अर्थात् यह समुदाय अनेक आधारों पर विशिष्ट होता है । इसमें सदस्यों के निवास की सीमा , व्यवहार प्रतिमान तथा प्रत्येक कार्य का स्थान पूर्णतया निश्चित होता है । इसीलिए एक लघु समुदाय के सभी सदस्यों का एक विशेष व्यक्तित्व भी होता है ।2. कृषक समाज में कोई विशिष्टता नहीं पायी जाती है । कृषक समाज के विभिन्न सदस्यों के व्यक्तित्व में एक स्पष्ट अन्तर होता है तथा सांस्कृतिक एवम् सामाजिक आधार पर उनमें अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ भी देखी जा सकती हैं ।
3. इस समुदाय की प्रमुख विशेषता समरूपता भी है अर्थात् लघु समुदाय के सदस्यों में खान - पान , रहन - सहन , स्थिति , त्यौहार , धर्म , देवी - देवता , संस्कार , प्रतिमान आदि में एक प्रकार की समरूपता दिखाई पड़ती 3. कृषक समाज में समरूपता नहीं पाई जात है । कृषक समाज अत्यन्त स्तरीकृत तथा विभेदीकृत होते हैं । अनेक विभिन्नताओं से युक्त कृषक समाज में किसी भी दृष्टि से समरूपता दृष्टिगत नहीं होती है ।
4. एक समुदाय आत्म निर्भर होते हैं अर्थात् एक लघु समुदाय के सभी सदस्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति अनेक छोटे समुदायों के भीतर ही करते हैं ।4. कृषक समाज अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनेक दूसरों वर्गों तथा स्थानों पर निर्भर करता है । यह समाज अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक बड़ी सीमा तक कस्बे और नगर पर भी आश्रित होता है ।
5. यह समुदाय अत्यधिक परम्परागत होता है तथा सामान्यतः अपने स्थापित जीवन में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को उचित भी नहीं समझता है ।5. कृषक समाज में कृषि की नवीन प्रविधियों , शिक्षा अनुसंधानों , संचार एवम् परिवहन के साधनों में अत्यधिक प्रगति हो जाने के कारण अनेक परिवर्तन हुए हैं ।
6 . लघु समुदाय अत्यधिक प्राचीन है ।
7. लघु समुदाय एक विशिष्ट प्रतिमान के रूप में विश्व के सभी स्थानों में किसी रूप में देखे जा सकते हैं
6. कृषक समाज अधिक प्राचीन नहीं हैं ।
कृषक समाज एक जीवन पद्धति है जो भिन्न - भिन्न देशों में एक - दूसरे से सर्वथा भिन्न होती हैं ।

यह भी पढ़ें- साम्राज्यवाद के विकास की सहायक दशाएँ ( कारक )

यह भी पढ़ें- ऐतिहासिक भौतिकतावाद

यह भी पढ़ें- अनुकरण क्या है? - समाजीकरण में इसकी भूमिका

यह भी पढ़ें- सामाजिक नियंत्रण में कला की भूमिका

यह भी पढ़ें- फ्रायड का समाजीकरण का सिद्धांत

यह भी पढ़ें- समाजीकरण और सामाजिक नियंत्रण के बीच सम्बन्ध

यह भी पढ़ें- प्राथमिक एवं द्वितीयक समाजीकरण

यह भी पढ़ें- मीड का समाजीकरण का सिद्धांत

यह भी पढ़ें- सामाजिक अनुकरण | अनुकरण के प्रकार

यह भी पढ़ें- सामाजिक नियंत्रण में जनमत की भूमिका

यह भी पढ़ें- सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top