वर्ग संघर्ष क्या हैं? | What is class struggle?
मार्क्स के अनुसार सामाजिक परिवर्तन केवल संघर्ष एवं क्रांति में ही संभव होता है। उत्पादन की प्रणाली समाज के सदस्यों को दो विशिष्ट वर्गों में विभाजित कर देती है। एक वर्ग उत्पादन के साधनों का स्वामी होता है, जिसे मार्क्स ने बुर्जुआ वर्ग कहा है । दूसरा श्रमिक वर्ग होता है, जो उत्पादन के साधनों के स्वामियों के लिए काम करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, जिसे मार्क्स ने सर्वहारा वर्ग कहा है।
बुर्जुआ वर्ग आर्थिक दृष्टि से धनी, सामाजिक दृष्टि से शोषक और राजनैतिक दृष्टि से शोषित और राजनैतिक दृष्टि से शासित तथा आश्रित होता है । मार्क्स के अनुसार, इतिहास प्रथम युग में स्वामी और दास ऐसे ही वर्ग थे, कृषि युग में सामंत और किसान, ऐसे ही वर्ग थे और आधुनिक औद्योगिक समाज में भी पूंजीपति और मजदूर ऐसे ही दो वर्ग हैं । उत्पादन का स्वामित्व चाहे खेत के रूप में रूप में हो अथवा कारखाने या व्यापारिक फर्म के रूप में, उसके साथ जुड़ी शक्ति और आय की प्रकृति में अन्तर नहीं होता ।
इसी प्रकार श्रम चाहे खेत में किया जाये या कारखाने में, उसकी प्रवृत्ति और परिणाम समान होता है। मार्क्स के विचार से आधुनिक औद्योगिक समाज में युद्यपि अनेक वर्ग दिखाई देते हैं, परन्तु वास्तव में वे दो मौलिक वर्गों के ही भित्र भिन्न रूप हैं। श्रम चाहे शरीर से किया जाये या मस्तिष्क और स्वामित्व चाहे भूमि पर हो या उद्योग पर , वर्ग संरचना और वर्गों की मानसिकता समान ही होती है।
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