सामाजिक मानवशास्त्र के उद्देश्य क्या है ? Aims of Social Anthropology.

सामाजिक मानवशास्त्र के उद्देश्य ( Aims of Social Anthropology )

पिडिंगटन ( Piddington ) ने सामाजिक मानवशास्त्र के निम्नलिखित दो प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार से है -


मानव - प्रकृति ( human nature ) के सम्बन्ध में यथार्थ ज्ञान प्राप्त करना ।

मानव-प्रकृति के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के विरोधी मत प्रचलित हैं। कहा जाता है कि स्वभाव रूप से या प्राकृतिक रूप में साम्यवादी, परार्थवादी और शान्तिप्रिय है। इसके यह भी कहा जाता है कि मानव वास्तव में व्यक्तिवादी और युद्धप्रिय होता है, स्वभाव से धार्मिक होता है या धर्म और नीति आर्थिक परिवर्तन का ही परिणाम मात्र हैं ।


मानव - प्रकृति के सम्बन्ध में इन समस्त आकर्षक वाद-विवादों में आदिम मनुष्यों को अधिकतर खींचकर लाया जाता है ताकि उनके उदाहरण द्वारा वाद - विवाद करने वाले अपने-अपने मत की पुष्टि कर सकें। इन समस्त वाद - विवाद के मध्य सामाजिक मानव - शास्त्र का उद्देश्य मानव-प्रकृति के सम्बन्ध में वैज्ञानिक तथा ठोस प्रमाणों को प्रस्तुत करना तथा मानव-प्रकृति एवं मानव सम्बन्धों के अन्तर्निहित नियमों को ढूँढ निकालना है । 


सांस्कृतिक सम्पर्क की प्रक्रिया तथा परिणामों का अध्ययन करना ।

दूसरे शब्दों में , सामाजिक मानवशास्त्र का दूसरा प्रमुख उद्देश्य उन परिणामों या प्रभावों का अध्ययन करना है जोकि सभ्य समाजों के सम्पर्क में आने के कारण आदिम समाजों में दृष्टिगोचर होते हैं । सामाजिक मानवशास्त्र का उद्देश्य सांस्कृतिक सम्पर्क के फल उत्पन्न समस्त समस्याओं के सम्बन्ध में यथार्थ ज्ञान का संग्रह है या समस्याएँ उत्पन्न करने वाले कारणों को ढूंढ निकालना है ताकि इस प्रकार संकलित ज्ञान के आधार पर प्रशासक तथा नियोजक अपने - अपने कार्यों को उचित ढंग से कर सकें ।


ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैण्ड की शाही मानवशास्त्रीय संस्था की एक समिति ने सामाजिक मानवशास्त्र के प्रमुख उद्देश्यों का संक्षेप में इस प्रकार उल्लेख किया है-

( 1 ) आदिम संस्कृति का उस रूप में अध्ययन करना जिस रूप में वह आज है ।

( 2 ) सांस्कृतिक सम्पर्क तथा परिवर्तन या विशिष्ट प्रक्रियाओं के रूप में अध्ययन करना । जिस संस्कृति में कुछ भिन्नताएँ उत्पन्न हो गई हैं , उसमें बाहरी समूहों के उन प्रभावों को ढूँढ निकालना जिसके कारण वे परिवर्तन हैं ।

( 3 ) सामाजिक इतिहास का पुनर्निर्माण करना, और

( 4 ) सार्वभौमिक रूप में प्रमाणित सामाजिक नियमों को ढूँढना । इस प्रकार संक्षेप में कहा जा सकता है कि सामाजिक मानवशास्त्र का उद्देश्य विशेषकर समाजों के सामाजिक जीवन व सम्बन्ध , सामाजिक व्यवस्थाओं एवं संस्थाओं का का वर्णन करना तथा उन सामाजिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण तथा निरूपण करना है त्मक अध्ययन करना , सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्तियों के संस्थागत व्यवहारी जिनके द्वारा मानवीय समाज , संस्कृति तथा सभ्यता विकसित एवं स्थिर रहती है।


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