जनजातीय विवाह किसे कहते हैं ?
' जनजातीय विवाह ' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
भारतीय जनजाति समाज के विवाह तथा परिवार की प्रमुख विशेषताओं को जानने के पहले यह आवश्यक है कि जनजाति क्या है, इसे जाना जाय । वास्तव में जनजाते परिवार या विवाह समूहा के समुदाय का नाम है । इन परिवार या परिवार समूहों का एक सामान्य नाम होता है। ये एक ही भू - भाग में निवास करते हैं, एक ही भाषा बोलते हैं तथा विवाह सम्बन्धी धन्धों में एक ही प्रकार की बातों को निषिद्ध मानते हैं ।
एक और एक साथ व्यवहार के सम्बन्ध में भी ये पुराने अनुभव के आधार पर कुछ निश्चित नियम बना लेते हैं । भारत में कई परकार की जनजाति पाई जाती है , जिसमें परिवार एवं विवाह के सम्बन्ध में बहुत सारी भित्रता पाई जाती है । जैसे विवाह को ही ले लिया जाय, भारत में बहुत सी जनजातियाँ, बहुविवाही होती हैं तथा कुछ जातियाँ बहुभर्तृया होती है इसलिए इन जातियों के विवाह में या परिवार से सम्बन्धित सामान्य विशेषताओं का पाया जाना कठिन है । फिर भी भारतीय जनजातियों के विवाह एवं परिवार से सम्बन्धित विशेषताएँ इस प्रकार हैं ।
जनजातीय विवाह से सम्बन्धित प्रमुख विशेषताएँ -
भारत की जनजाति में विवाह से सम्बन्धित भिन्न - भिन्न विशेषताएँ पायी जाती हैं । जैसे किसी जनजाति में एक विवाह की प्रथा पाई जाती है तो दूसरी जनजाति में बहुभार्यता की प्रथा पाई जाती है यही नहीं , विवाहों से सम्बन्धित तौर - तरीकों में भी भिन्नता पाई जाती है ।
किसी जनजाति में अपहरण विवाह की मान्यता प्राप्त है , तो किसी जनजाति में सेवा विवाह की विवाह के बाद के जीवन से सम्बन्धित समान विशेषताओं को पाया जाना लगभग असम्भव - सा प्रतीत होता है । तब भी भारतीय जनजातियों में विवाह से सम्बन्धित विशेषताएँ पायी जाती हैं । '
1. एक विवाह की प्रथा -
एक विवाह का अर्थ है एक पुरुष एक ही स्त्री से शादी करे । आदिकालीन समाज की आर्थिक व्यवस्था फल - फूल एकत्र करने वाली सरल आर्थिक व्यवस्था थी । इस आर्थिक व्यवस्था वाली जो जनजातियाँ इस समय जीवित पाई जाती हैं । उनके परिवार के सदस्यों में एक पुरुष तथा एक स्त्री का ही नियम है । भारत में पाई जाने वाली ये जनजातियों में बहुत सी जनजातियाँ ऐसी हैं जो एक विवाह प्रथा पर विश्वास रखती हैं । शादी का यह छोटा रूप छोटा नागरूप तथा असम में पाई जाने वाली जनजातियों में प्रचलित है ।
2. भर्तृता की प्रथा -
बहुविवाह की प्रथा एक संसार के बहुभागों में प्रचलित हैं । बुहविवाह का एक रूप है । एक स्त्री के अनेक पति का होना , इसे बहुभर्तृता कहते हैं । भारत की जाति , टोडा , कोट - कुटुम्ब और कुंभल जनजातियों में बहुभर्तृता विवाह आज भी प्रचलित हैं । लेकिन अधिकांश जनजातियाँ ऐसी हैं जो धीरे - धीरे इस प्रथा को छोड़ती जा रही हैं ।
3. बहुभर्यता-
भारतीय जनजातियों में बहुभार्यता की प्रथा आज भी प्रचलित है । इस प्रथा में एक पुरुष की अनेक स्त्रियाँ होती हैं । भारतीय जनजातियाँ नागा , वेगा , गोंड , खस , टोड़ा और भी ऐसी जातियाँ हैं , जो सभ्यता के विकसित इस रूप में भी बहुभार्यता को पसन्द करती हैं ।
4. अन्तर्विवाह -
ज्यादातर जनजातियाँ अन्तर्विवाह पद्धति पर विश्वास करती हैं । इस पद्धति के अन्तर्गत एक पुरुष अपने ही वर्ग में चाहे वह वर्ग ग्राम परिवार या सामाजिक इकाई पर ही क्यों न हो अपनी जीवन संगिनी चुनता है । नीलगिरि की टोडा जाति के टर्थ रोल तथा टर्वी रोल गोत्र अन्तर्विवाही हैं । अन्य काले भील काले भील में , उचले भील उजले भील में विवाह करेंगे ।
5. बहिर्विवाह -
भारतीय जनजातियों में विवाह के नानाविध रूप दृष्टिगोचर होते हैं । जब पुरुष अपने वर्ग से बाहर अपनी जीवनसंगिनी चुनता है तो बर्हिविवाह होता है । इस प्रथा के अनुसार वंश सपुदाय जोग व कुल जनजाति से विवाह करना आवश्यक होता है । इसमें – गोड , वेगान हो कोखा उरांव खासी , नागा आदि सभी बर्हिविवाह प्रथा मानते हैं ।
6. भाई - बहन सन्तति विवाह -
इस पद्धति में चचेरे , ममेरे , फुफेरे , मौसेरे भाई बहन के बीच शादी होती है । उदाहरणार्थ - गोंड जनजाति में ऐसी शादियाँ प्रचलित हैं । इनकी शादी में पहला हकदार इसी रिश्तों में माना जाता है । अगर कोई इस हक को अदा न करे तो दूसरे पक्ष को खामियाजा देना पड़ता है ।
जहाँ तक विवाह विशेषताओं तौर - तरीकों को लेकर होती है । कुछ जनजाति में क्रय तो में परेक्ष्य विवाह होते हैंक । इस प्रकार की भिन्नता आम रूप में पाई जाती हैं
( a ) भारत के कुकी जनजाति में परीक्षा विवाह है । इसमें लड़का - लड़की को अपने पा लाकर रखता है प्रकृति मिलने पर शादी होती है ।
( b ) परीक्षा विवाह की प्रथा भील जनजाति में होती है । इसमें लड़के की बाहुबल चातुरी की परीक्षा के द्वारा विवाह होता है ।
( c ) भील , गोंड , नागा में अपहरण के द्वारा विवाह होता है । इसमें माता - पिता की आज्ञा से कन्या का अपहरण कर विवाह कर लिया जाता है ।
( d ) रेगमा , नाग जनजाति में कन्या का मूल्य चुकाकर विवाह करना प्रचलित है।
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