ग्रामीण समुदायों में परिवार का क्या महत्व है ?- Importance of family in rural communities?

ग्रामीण समुदायों में परिवार का क्या महत्व है ?

सिम्स ने ग्रामीण परिवार की महता को स्वीकार करते हुए कहा है, हमेशा से ही भारतीय ग्रामीण समुदाय की एक ऐसी प्रमुख संस्था रही है जो कि प्रदान करती है तथा सामाजिक ढाँचे की अधिकांश प्रकृति को निश्चित करती है । " ग्रामीण परिवार की विशेषताओं तथा महत्व कावर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है-

( 1 ) सदस्यों की पारस्परिक निर्भरता

ग्रामीण परिवार मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करता है । ग्रामीण परिवार सदियों से अपने पूर्व निश्चित कार्य करता आ रहा है । इनमें कभी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । ग्रामीण परिवार एक प्रकार से सहकारी परिवार होता है । इसके सदस्यों पर अस्तित्व एक दूसरे पर आधारित होता है ।

सभी आर्थिक कार्य पारिवारिक स्तर पर सम्पन्न किये जाते हैं । परिवार व्यक्ति की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं । इस प्रकार ग्रामीण परिवार तथा इसके सदस्य परस्पर एक - दूसरे पर आधारित होते हैं । ग्रामीण परिवार में सामूहिक अस्तित्व का बोध होता है ।

( 2 ) सामंजस्यात्मक सम्बन्ध -

ग्रामीण परिवार के सदस्यों में परस्पर सामंजस्य पाया जाता है । सभी सदस्यों का समान उद्देश्य होता है । इनका लक्ष्य पारिवारिक लक्ष्यों की सामूहिकता के अस्तित्व को सुरक्षा प्रदान करना होता है । इसके अतिरिक्त रक्त सम्बन्ध की तीव्र भावना भी सदस्यों को एकता के में बांधे रखती है ।

( 3 ) अनुशासन -

ग्रामीण परिवार की एक मुख्य विशेषता परिवार के सदस्यों पर शक्तिशाली अनुशासन होता है । ग्रामीण परिवारों में नगरों की भाँति अधिक स्वतन्त्रता नहीं पायी जाती अतः उनके सदस्यों में अधिक कठोर अनुशासन पाया जाता है । परिवार के सभी सदस्य परिवार में सबसे बड़े व्यक्ति की आज्ञाओं का पालन करते हैं तथा पारिवारिक प्रतिष्ठा का ध्यान रखते हैं ।

( 4 ) परिवार की प्रभावशीलता

ग्रामीण समाज में परिवार एक अत्यन्त प्रभावशाली प्रतिष्ठा की संस्था है । परिवार को व्यक्ति तथा समाज की अपेक्षा अधिक महत्व प्राप्त है । व्यक्ति परिवार की प्रतिष्ठा में निहित होती है । परिणामस्वरूप ग्रामीण समाज में मानवीय क्रियायें परिवार तक ही सम्बद्ध रहती है ।

( 5 ) परिवार के मुखिया की सत्ता -

ग्रामीण परिवार में सभी सदस्यों के पारम्परिक सम्बन्धों में समन्वय पाया जाता है । परिवार में सबसे बड़ा व्यक्ति समन्वय का केन्द्र होता है , इस व्यक्ति को मुखिया भी कहा जा सकता है । परिवार के सदस्य इसकी आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं कर सकते , नहीं तो परिवार का विघटन अनिवार्य हो जायेगा । मुखिया परिवार का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है ।

( 6 ) पारस्परिक सहयोग

ग्रामीण परिवार में सभी कार्य परस्पर सहयोग द्वारा सम्पन्न होते हैं । पारिवारिक कठिनाइयों का सामूहिक रूप से सामना किया जाता है तथा पारिवारिक समृद्धि का उपभोग भी सामूहिक रूप से किया जाता है ।

( 7 ) आर्थिक सहयोग -

ग्रामीण परिवार के सदस्यों में आर्थिक कार्यों से सम्बन्धित सहयोग की भावना पायी जाती है । इन परिवारों में परिवार के समस्त सदस्य खेती के कार्य में हाथ बँटाते हैं . तथा सहयोगपूर्वक कार्य करते हैं ।

( 8 ) संयुक्त परिवार प्रथा-

भारतीय ग्रामीण परिवारों में संयुक्त परिवार प्रथा पायी जाती है । भारतीय ग्रामीण समुदाय में व्यक्ति संयुक्त परिवार की एक इकाई है ।

( 9 ) स्त्रियों की निम्न स्थिति

भारतीय ग्रामीण परिवार में स्त्रियों की स्थिति अपेक्षाकृत निम्न होती है । यद्यपि वे कृषि कार्य में पुरुषों को बराबर का सहयोग प्रदान करती है , तथापि अशिक्षा व पर्दा प्रथा स्त्रियों की निम्न स्थिति के प्रमुख कारण हैं ।

( 10 ) अतिथि सत्कार -

ग्रामीण परिवार की एक अन्य विशेषता अतिथि सत्कार है । अतिथि सत्कार का इतना ऊँचा आदर्श कि अतिथि को भगवान स्वरूप माना जाये , किसी भी समाज में नहीं मिलता ।

( 11 ) परम्परावादी प्रकृति -
ग्रामीण परिवार अपनी परम्पराएँ बनाये रखने का पूरा प्रयास करते हैं । गाँवों में लगभग सब जगह पितृ पूजा अधिक दृष्टिगोचर होती है।

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