उपनयन संस्कार | Thread ceremony
उपनयन संस्कार वैदिकयुगीन शिक्षा की सबसे महत्त्वपूर्ण देन है । उपनयन का अर्थ होता है ‘ पास ले जाना ' अर्थात् इस संस्कार से बालक अपने गुरु के समीप जाता था व उसका विद्यारम्भ होता था । अर्थात् विद्याध्ययन के क्षेत्र में यह पहला संस्कार था । यह बाल्यकाल में ही होता था ।
ब्राह्मणों के लिए इसकी आयु पाँच वर्ष होती थी । संस्कार के समय ही गुरु शिष्य को गायत्री मंत्र की शिक्षा देता था तथा बालक ब्रह्मचारी कहलाता था । इसके बाद वह गुरु के साथ गुरुकुलों में विद्याध्ययन हेतु चला जाता था ।
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