वैदिककालीन शिक्षा का स्वरूप बताइए / Describe the nature of Vedic education
वैदिक काल में शिक्षा का केन्द्र गुरुकुल या आश्रम अर्थात् गुरु का घर होता था। यह शिक्षा मौखिक होती थी अध्ययन के विषय ये वेद, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, चिकित्साशास्त्र, तर्कशास्त्र तथा नीतिशास्त्र। गुरु तथा शिष्य में निकट सम्पर्क होता था । शिष्य गुरु का आदर करते थे और गुरु शिष्य को पुत्रवत् मानते थे । कुछ परिव्राजक जिन्हें ' चरक ' कहा जाता था, धूम - घूमकर विद्या और ज्ञान का प्रचार करते थे।
शिक्षा का स्वरूप एकांगी था, उसमें छात्र की रुचियों, क्षमताओं और प्रवृत्तियों के लिए स्थान नहीं था । सिर्फ रटने पर बल दिया जाता था । दमनात्मक अनुशासन को अधिक महत्त्व दिया जाता था। यह कथन सर्वमान्य था- यदि बालक को दण्ड नहीं दिन जायगा, तो वह बिगड़ जायगा ।
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