नैतिक शिक्षा क्या है?
नैतिक शिक्षा: शिक्षा मूलतः अभ्यासात्मक व व्यावहारिक थी । छात्र के आचार से होते हुए भी केवल आचरण सम्बन्धी व्याख्यान व उपदेश न देकर शिष्य के दैनिक जीवन में इसका अभ्यास कराया जाता था । ब्रह्मचर्य के कठोर अनुशासन व्रत के साथ ही उत्तेजक भोजन वर्जित था ।
छात्र काम, क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार आदि त्याग, शान्त, दान्त, उपरत, तितिक्षु व समाहित होकर अपने शारीरिक सौन्दर्य से सर्वथा विमुख रहता था। उसे जटाधारी या मस्तक मुँहा हुआ रखना पड़ता था ।
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