बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उपादेयता। The utility of Buddhist education in the present education system in Hindi
बौद्ध काल की शिक्षा की अनेक विशेषतायें आधुनिक समय में भी उपादेय सिद्ध हो सकती हैं । यद्यपि बौद्धकालीन शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बौद्ध धर्म का प्रचार व प्रसार करना था, तथापि बौद्ध शिक्षा के अन्य उद्देश्य जैसे नैतिक चरित्र का विकास, व्यक्तित्व का विकास तथा जीविकों की तैयारी आज भी पूर्णतया प्रासंगिक है।
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में इन उद्देश्यों को समाहित करके ही शिक्षा प्रणाली को पूर्ण बनाया जा सकता है । बौद्ध शिक्षा प्रणाली के ' दस सिक्खा पदानि आज भी पूर्णतया उपयोगी तथा सार्थक है । इन्हें दस शिक्षा पद नाम से भी जाना जाता है ।
आधुनिक भारतीय शिक्षा बौद्ध युग की देन (CONTRIBUTION OF BUDDHIST YUG TO MODERN INDIAN EDUCATION)
वर्तमान समय में बौद्ध शिक्षा प्रणाली के गुण और दोषों का अलग-अलग मूल्यांकन करके दोनों का उपयोग किया जा सकता है। शिक्षा में निहित कुछ गुणों जैसे, शिक्षा की केन्द्रीय व्यवस्था, संघों का लोकतांत्रिक स्वरूप, जातिवाद का निषेध, शिक्षा में उत्कृष्टता की अनिवार्यता, सादगी व मानवतापूर्ण जीवन पद्धति जैसी समाज हेतु लाभदायक विशेषताएँ ग्रहण की जा सकती हैं व दोषों का त्याग किया जा सकता है। संक्षेप में भारतीय शिक्षा हेतु ग्रहणीय तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. शिक्षा पर केन्द्रीय नियन्त्रण की शुरुआत।
2. शिक्षा का विभिन्न स्तरों पर विभाजन।
3. मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाना।
4. छात्रों का मानवतावादी सादगीपूर्ण जीवन।
5. प्रौद्योगिकी व व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था।
6. उच्च शिक्षा केन्द्रों में प्रवेश परीक्षा।
7. सह शिक्षा का आरम्भ।
8. सामूहिक शिक्षण की व्यवस्था।
9. जन शिक्षा को प्रोत्साहन ।
10. गुरु-शिष्य के मध्य मधुर सम्बन्ध।
।। स्त्री-पुरुषों को समान शिक्षा के अवसर।
12. शिक्षा संस्थाओं का जनतन्त्रीय संगठन।
13. शिक्षा की विस्तृत पाठ्यचर्या व विशिष्टीकरण।
14. समयानुकूल शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण।
15. शिक्षा का अन्तर्राष्ट्रीयकरण ।
16. धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा की निरन्तरता।
17. कला-कौशलों की प्रधानता।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली की नींव तो वैदिक काल में ही रख दी गई थी, परन्तु उसका पूर्ण ढाँचा (केन्द्रीय प्रशासन, विद्यालयी शिक्षा, सामूहिक शिक्षण, बहु-शिक्षक-प्रणाली आदि) बौद्ध शिक्षा प्रणाली में ही तैयार किये गये थे। बौद्ध शिक्षा काल के बाद ही मुस्लिम शिक्षा प्रणाली व अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का विकास हुआ।
अतः आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विकास में भी इसका बहुत बड़ा योगदान है। इसके स्वरूप को अंकित करते हुये डॉ. आर. के, मुखर्जी ने लिखा है "बौद्ध-प्रणाली में शिक्षा, विहार या मठ में दी जाती थी, जिसमें सामूहिक जोवन, भ्रातृत्व भावना और जनतन्त्र के लिये अवसर प्रदान किया जाता था।"
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