भारतीय विश्वविद्यालय आयोग, 1902 के सुझाव | Suggestions of the Indian University Commission, 1902 in Hindi
भारतीय विश्वविद्यालय आयोग, 1902 के सुझाव -
1. विश्वविद्यालयों के विधान में ऐसा परिवर्तन कर दिया जाय , जिससे वे कुछ सीमा तक शिक्षण कार्य कर सकें।
2. विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति करें।
3. सीनेट एवं सिण्डीकेट का पुनर्गठन आवश्यक है । सीनेट के सदस्यों की संख्या कम कर दी जाय और उनको अवधि 5 वर्ष कर दी जाय । सिण्डीकेट के सदस्यों की संख्या 5 से 15 तक रखी जाय।
4 . सीनेट में कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों तथा सुयोग्य विद्वानों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाय।
Read also
- भारतीय शिक्षा आयोग 1964-66
- राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति, 1958 द्वारा नारी शिक्षा के लिए सुझाव
- मध्यकालीन भारत के प्रमुख शिक्षण केन्द्र
- विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के गुण एवं दोष
- निस्यंदन सिद्धांत क्या है?
- मध्यकालीन शिक्षा के उद्देश्य
- विद्यालय संकुल - School Complex
- लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति
- Self-Realization: आत्मानुभूति शिक्षा का सर्वोत्कृष्ट उद्देश्य है। क्यों ?
- मैकाले का विवरण पत्र क्या है?
- शैक्षिक अवसरों की समानता
- सामाजिक शिक्षा के उद्देश्य
- राधाकृष्णन आयोग के सुझाव
- भारतीय शिक्षा आयोग 1882
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
- ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड क्या है?
- Wood's Manifesto: वुड के घोषणा पत्र का महत्व तथा भारतीय शिक्षा पर प्रभाव
- शिक्षा में अपव्यय - Wastage in Education